कोहिनूर हीरे का सफ़र

मेरठ

 23-07-2018 04:50 PM
खनिज

कहते हैं हीरा हर औरत का सबसे ख़ास मित्र होता है। इसकी चमक ही कुछ ऐसी होती है कि इसे देख हर किसी की आखें चौंधिया जाती हैं। हमारा रामपुर भी एक रियासत राज्य होने के कारण इतिहास में हीरों का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। तो चलिए आज बात करते हैं दुनिया के सबसे ख़ास हीरे ‘कोहिनूर’ की।

कोहिनूर हीरा सन 1849 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया को प्राप्त हुआ| यह हीरा तब तक पंजाब प्रान्त के महाराजा, बालक दिलीप सिंह और उनकी माँ, रानी जिन्दन के पास था. रानी जिन्दन को गिरफ्तार कर, दिलीप सिंह का हस्ताक्षर लेकर कोहिनूर ब्रिटेन के राजपरिवार का हो गया और आज तक ब्रिटेन के पास है।

ब्रिटेन की राजधानी लंदन के केंद्र में थेम्स नदी के किनारे, लंदन टॉवर (London Tower) एक भव्य किला है। इसी किले में कोहिनूर को रखा गया है। चित्र में महारानी एलेक्सान्द्रा को कोहिनूर हीरा जड़े मुकुट को पहने दिखाया गया है। और दूसरी तरफ इस मुकुट को भी नज़दीक से दिखाया गया है।

कोहिनूर हीरा गोलकोंडा की खदान से मिला था, जब यह स्थान काकतीय राजाओं के शासन में था। पहली बार कोहिनूर का ज़िक्र सन् 1304 में मिलता है। उस समय इसके मालिक मालवा के राजा महलाक देव थे।

कोहिनूर का दूसरा ज़िक्र बाबरनामा (1526) में मिलता है। इसके अनुसार ग्वालियर के राजा बिक्रमजीत ने अपना सारा खजाना आगरा किले में सुरक्षा के दृष्टिकोण से भेज दिया था। परन्तु पानीपत की लड़ाई में बाबर ने सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर आगरा किले की सारी दौलत हथिया ली और यहीं से कोहिनूर बाबर के कब्ज़े में आया। 17वीं सदी में शाहजहां ने अपने लिए एक विशेष सिंहासन बनवाया। इस सिंहासन को बनाने में सैयद गिलानी नाम के शिल्पकार और उसके कारीगरों की टोली को तकरीबन सात साल का समय लगा।

इस सिंहासन को बनाने में ताज महल से चार गुना ज़्यादा पैसे लगे, और इसका नाम रखा गया 'तख़्त-ए-ताऊस’ (Peacock Throne)। इस में कई किलो सोना मढ़ा गया, इसे अनेकानेक जवाहरातों से सजाया गया। बाद में यह ‘मयूर सिंहासन’ के नाम से जाना जाने लगा। कोहिनूर को भी इसी सिंहासन मे मढ़ दिया गया। दुनिया भर के जौहरी इस सिंहासन को देखने आते रहते थे, इन में से एक था वेनिस शहर का होर्टेंसो बोरजिया।

बादशाह औरंगज़ेब ने हीरे की चमक बढ़ाने के लिए इसे बोरजिया को दिया, बोरजिया से काम के दौरान हीरे के टुकड़े-टुकड़े हो गए। यह 793 कैरट की जगह महज़ 186 कैरट का रह गया। औरंगज़ेब ने बोरजिया से 10,000 रुपये ज़ुर्माने के रूप में वसूल किए। सन 1739 में फ़ारस के नादिर शाह ने दिल्ली पर क़ब्ज़ा कर लिया, नादिर शाह के सिपाही पूरी दिल्ली में कत्ले-आम कर रहे थे।

इसे रोकने के एवज़ में मुगल सुल्तान मुहम्मद शाह ने उसे मुगल तोशखाने से कोई 2,50,000 जवाहरात दिए। उनमें से एक यह हीरा भी था।

कहा जाता है कि नादिर शाह ने ही इसे नाम दिया था 'कोह-ए-नूर' यानि 'रौशनी का पर्वत'। नादिर शाह की हत्या के बाद कोहिनूर अहमद शाह दुर्रानी के कब्जे में आ गया। अहमद शाह दुर्रानी का बेटा, शाह शुजा, जब सिखों की हिरासत में लाहौर जेल में था तो कहा जाता है कि सिख महाराजा रणजीत सिंह ने उसके परिवार को तब तक भूखा प्यासा रखा जब तक कि शुजा ने कोहिनूर हीरा रणजीत सिंह के हवाले नहीं कर दिया।

सिखों को हराने पर कोहिनूर हीरा अंग्रेज ईस्ट इंडिया कम्पनी (British East India Company) के हाथ लगा। और फिर यह कोहिनूर रानी विक्टोरिया के पास चला गया। इस हीरे के बारे में यह भी मान्यता रही है कि यह हीरा अपने साथ दुर्गती व दुर्भाग्य लेकर आता है। यही कारण है कि यह हीरा जहाँ भी रहा, जहाँ भी गया, उस स्थान का पतन हो गया।

संदर्भ:
1. भारद्वाज, मोनिशा. 2002. ग्रेट डायमंड्स ऑफ इंडिया, इंडिया बुक हाउस
2. https://www.smithsonianmag.com/history/true-story-koh-i-noor-diamondand-why-british-wont-give-it-back-180964660/
3. http://kohinoordiamond.org/history-of-kohinoor-diamond/
4. https://www.thebetterindia.com/63992/journey-history-kohinoor-diamond/

RECENT POST

  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id