हॉलीवुड से प्रेरित भारत के कुछ हास्य अदाकार

दृष्टि II - अभिनय कला
22-07-2018 10:00 AM

हास्य किसे नहीं पसंद। हास्य ही वह एक चीज़ है जो हमें हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी की परेशानियों से सेकंड भर में दूर ले जाता है। भारत में हास्य को विशेष महत्त्व दिया जाता है और समय के साथ यह बढ़ता भी जा रहा है जिसके साक्ष्य हैं आजकल के भारतीय स्टैंड-अप (Stand-Up, एक तरह की हास्य कला) कलाकार। तो आइये आज बात करते हैं कुछ हास्य कलाकारों और उनकी प्रेरणा की।

यदि बात की जाये विश्व में आज तक के सबसे प्रसिद्ध हास्य कलाकारों की तो एक नाम नहीं बल्कि डो नाम हमारे ज़हन में आते हैं, स्टैन लौरेल और ओलिवर हार्डी जो प्रसिद्ध हैं ‘लौरेल एंड हार्डी’ (Laurel and Hardy) के नाम से। नीचे दिया गया वीडियो लौरेल और हार्डी की कला का एक नमूना है। वीडियो में हार्डी और लौरेल एक मधुशाला में बैठकर शराब पीते दिखाए गए हैं जहाँ वे लौरेल की बीवी को उल्लू बनाकर आते हैं, परन्तु मज़ा तब आता है जब श्रीमती लौरेल भी वहाँ आ पहुँचती हैं, देखिये और ठहाके भरिये:


लौरेल और हार्डी इतने मशहूर थे कि उनकी अदाकारी से भारतीय फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) ने प्रेरणा लेते देर नहीं की। यह वो समय था जब रणजीत फिल्म कम्पनी दूसरे भारतीय स्टूडियो (Studios) जैसे प्रभात स्टूडियोज़, न्यू थिएटर्स और बॉम्बे टॉकीज़ आदि को टक्कर देने की फ़िराक में थी। और यही वो समय था जब भारत को अपने खुदके लौरेल और हार्डी मिले ‘दिक्षित और घोरी’ के रूप में। मनोहर जनार्धन दिक्षित और नज़ीर अहमद घोरी को एक साथ पहली बार 1932 में जयंत देसाई की फिल्म ‘चार चक्रम’ में देखा गया था। फिल्म में और कई बड़े कलाकार भी थे परन्तु जनता को दिक्षित और घोरी की जोड़ी सबसे ज़्यादा भाई। फिर क्या था, एक के बाद एक फिल्म के साथ यह जोड़ी कमाल करती गई और लोगों के दिलों में बसती गई।

परन्तु यह सफ़र यहीं ख़त्म नहीं होता। एक बार फिर भारत को अपने लौरेल और हार्डी लौटाने का ज़िम्मा लिया याकुब और गोपे की जोड़ी ने। ‘पतंगा’ (1949), ‘बेकसूर (1950), ‘सगाई’ (1951) जैसी फिल्मों से इस जोड़ी ने लौरेल और हार्डी की हास्य जादूगरी को फिर दर्शाया जिसे आप ऊपर दिए गए पहले वीडियो में देख सकते हैं। कुछ समय में इस जोड़ी के सदस्य याकुब और गोपे अपने-अपने रास्ते चले गए। परन्तु इस समय तक भारत में हास्य इतना विकसित हो चुका था कि अब हॉलीवुड से प्रेरणा लेने की बजाय भारतीय कलाकार अपनी एक नयी पहचान बना रहे थे।

याकुब और गोपे की कलाकारी का एक और नमूना नीचे दिया गया है, देखें और अपना रविवार बनायें बेहतर:


सन्दर्भ:

1.https://www.cinestaan.com/articles/2016/dec/3/3218/india-s-very-own-laurel-and-hardy