जानिए क्यों है ज़रूरत मेरठ को वर्षा जल संरक्षण की

मेरठ

 17-07-2018 01:47 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

जल जीवन है तथा यह एक ऐसा तत्व है जिसके बिना जीवन संभव नहीं है। पृथ्वी के सृजन से लेकर आज तक इस पर जितनी भी गतिविधियाँ संभव हो पायी हैं उनमें पानी ही एक मात्र ऐसी जरूरत रही है जिसने सब संभव बनाया। मेरठ एक औद्योगिक शहर है तथा उद्योग में पानी की महत्ता अत्यंत बढ़ जाती है। मेरठ में कपड़े का काम बड़े पैमाने पर किया जाता है जिसका सीधा सा मतलब यह है कि यहाँ पर पानी का प्रयोग ज्यादा मात्रा में किया जाता है। कपड़ा उद्योग में पानी बड़ी मात्रा में लगता है। कच्चे माल की सफाई में पानी का प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। पानी का प्रयोग कई चरणों में किया जाता है, सफाई से लेकर रंगाई तक। कपड़े के इसी कार्य में कई प्रदूषित तत्त्व भी निकलते हैं जिनसे एक अलग प्रकार के जल प्रदूषण का जन्म होता है। ऐसी स्थिति में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि पानी का इलाज और पुनर्चक्रण सही से किया जाए। पानी का पुनर्चक्रण इस लिए महत्वपूर्ण है क्यूंकि पुनर्चक्रण के बाद इस पानी को पुनः कपड़े के उद्योग में प्रयोग में लाया जा सकता है।

वर्तमान में यह स्थिति है कि करीब 1 अरब लोगों के पास पीने योग्य पानी की उपलब्धता तक नहीं है और हर साल लगभग 50 लाख लोग पानी की कमी या पानी के अशुद्ध होने के कारण मर जाते हैं। ऐसी स्थिति में यह महत्वपूर्ण बिंदु है कि कपड़े के उद्योग में यदि पुनर्चक्रित पानी का प्रयोग नहीं किया जाएगा तो बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे। मेरठ में वैसे भी जल एक समस्या की स्थिति पर है तथा पीने योग्य जल की यहाँ पर किल्लत है। शहर में बहने वाली काली नदी का पानी पूर्ण रूप से विषैला हो चुका है। अब ऐसी स्थिति में यदि उद्योगों में पुनर्चक्रित पानी और जल संरक्षण की तकनीक को नहीं अपनाया गया तो भविष्य में मेरठ को शुद्ध जल की समस्या से दो-दो हाथ करना पड़ सकता है। जैसा कि अभी वर्तमान में वर्षा की ऋतु चल रही है तो इस समय बारिश के पानी का संरक्षण अत्यंत ज़रूरी बिंदु है, तो आइये जानते हैं कि आखिर बारिश के पानी का संरक्षण है क्या?

वर्षा के पानी का संरक्षण एक तालाब या टैंक में वर्षा के पानी को भर कर किया जाता है। इस जल को एक साफ़ तालाब में वर्षा के दौरान भरा जाता है जिससे गर्मी आदि के दौरान इस जल का पीने से लेकर औद्योगिक कार्यों तक प्रयोग किया जा सके। इस प्रकार से ज़मीन के अन्दर भी जल की स्थिति सही बनी रहती है। वर्षा के पानी को घरों में भी ज़मीन में टैंक बना कर संरक्षित किया जा सकता है जिससे बाद में संकट के दौर में कार्य किया जा सकता है। आज वर्तमान में भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अनेकों देश इस तकनीक का पालन कर रहे हैं। हाल ही में मेरठ में भी कुछ वर्षा जल के संरक्षण की योजनायें चलायी गयीं। मेरठ के खासपुर गांव में, 15.5 बीघा से बड़े 700 वर्षीय तालाब को हाल ही में पुनर्जीवित किया गया है। इस तालाब को कुछ एन.जी.ओ. (Non-governmental Organization) आदि के माध्यम से संरक्षित किया गया ताकि बारिश के पानी का संरक्षण किया जा सके और लोगों तक जल की उपलब्धता हो सके। आंकड़ों के अनुसार मेरठ में हर वर्ष जल की स्थिति में 68 सेंटी मीटर की गिरावट दर्ज की जा रही है। ऐसे में यहाँ पर जल की स्थिति को ठीक करने के लिए जल संरक्षण की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। कपड़े के उद्योग में भी इस प्रकार के जल संरक्षण की आवश्यकता है जिससे जल की उपलब्धता बरक़रार रहे।

संदर्भ:
1.https://oecotextiles.wordpress.com/2010/02/24/textiles-and-water-use/
2.https://www.lenntech.com/textile_industry_and_water_treatment.htm
3.http://www.fibre2fashion.com/news/textile-news/sustainable-water-management-key-issue-in-textile-industry-241256-newsdetails.htm
4.http://www.yarnsandfibers.com/preferredsupplier/reports_fullstory.php?id=475§ion=&p_type=General&country=Global
5.http://www.siwi.org/wp-content/uploads/2017/06/Water-Governance-Mapping-Report-INDIA.pdf
6.http://www.cleanenvironment.co.in/rain_water_harvesting
7.https://timesofindia.indiatimes.com/city/meerut/Rainwater-harvesting-has-few-takers-in-city/articleshow/52706456.cms
8.https://www.financialexpress.com/industry/hccbpl-revives-700-year-old-meerut-pond-for-rainwater-harvesting/122839/
9.http://www.janhitfoundation.in/rainwater_harverting.html

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id