नीलगाय भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला एक बड़ा बारहसिंगा प्रकार का जीव है। यह जीव कद काठी में बारहसींगा की तरह विशालकाय होता है जिनमें से नर नीलगाय शरीर में मादा से बड़ा और ताकतवर होता है। वहीं, मादा नर से भिन्न होती हैं, मादाओं का रंग हल्का भूरा होता है तथा नरों को सींग होते हैं लेकिन मादाओं को नहीं। वैसे तो यह एक हिरण परिवार का पशु है, लेकिन हम इसे गाय के परिवार से जोड़ कर देखते हैं। तराई क्षेत्र और उत्तर भारत वह जगह है जहां नीलगाय मुख्य रूप से पाया जाता है, हालांकि दक्षिणी भारत में 2 असाधारण स्थान ऐसे भी हैं जहां पर ये पाए जाते हैं। नर और मादा दोनों के गर्दन पर छोटे छोटे कड़े बाल होते हैं। नीलगाय इतने गतिशील होते हैं कि यदि वे चाहें तो वे एक घोड़े से भी तेज़ दौड़ सकते हैं।
नीलगाय एक अत्यंत सुंदर जीव है जो कि जंगलों और खेतों आदि में पाया जाता है। ब्रिटिश काल में अनेक जीवों को भारत से विदेशों मे ले जाया गया था, जैसे कि हाथी, गैंडा आदि। इन्हीं जानवरों में नीलगाय भी एक ऐसा जीव है जिसे विदेश ले जाया गया था। भारत से अमेरिका में करीब 1930 से 1940 के बीच कुछ अमेरीकियों द्वारा भारत से नीलगाय आयात किया गया था। उदहारण के तौर पर टेक्सास के एक खेत ‘किंग रैंच’ (King Ranch) ने भारत से नीलगाय ले जाने की शुरुआत की थी। नीलगाय ऐसा जीव है जो कि खाद्य की उपलब्धता पाने पर अपनी संख्या में अप्रतिम वृद्धि करता है। और इसके परिणामस्वरूप आज टेक्सास में नीलगाय की तादात इतनी बढ़ गयी है कि उनका शिकार किया जा रहा है। उसी राज्य में आजकल रैंच शिकारियों को आकर्षित करने के लिए मनोरंजक और आर्थिक रूप से भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।
यह जानवर देखने मे अत्यंत सुंदर है और यह एक शांत प्रवृत्ति का जानवर है जो किसी भी प्रकार की आक्रामकता नहीं दिखाता है। यह जानवर खेतों में फसलों आदि को खाता है जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश की सरकार ने इसकी हत्या करने की इजाज़त दे दी। सरकार का यह मानना था कि यह जीव कृषि में व्यवधान लाता है और किसानों की उपज पर प्रभाव पड़ता है। अब यहां पर यह जानने की जरूरत है कि आख़िर यह जरूरत ही क्यूँ पड़ी कि ऐसे जानवर का शिकार किया जाए, इसका मामला वास्तव में मानव की जनसंख्या वृद्धि से जुड़ा हुआ है। मानव की जनसंख्या ने इस प्रकार से वृद्धि की, कि हमने इन जानवरों के प्राकृतिक स्थल पर अपना खेत, घर आदि बना लिया। हमें यह जानने की आवश्यकता है कि क्या हमें इन जानवरों का शिकार करना चाहिए या नहीं, क्यूंकि ये तो अपने प्राकृतिक स्थान पर ही हैं। ये तो हम मानव हैं जिन्होंने इनके प्रभाव क्षेत्र में सेंधमारी का कार्य किया है।
कितने ही जीव इसी प्रकार से विलुप्त हो चुके हैं। उनमें नीलगाय बच गयी हैं और हम इसके प्रति सहानुभूति रखने के बजाय इनके शिकार की तरफ अग्रसर हैं, कहीं ऐसा ना हो कि ये जानवर पूर्ण रूप से विलुप्त हो जायें, यदि हम इसी प्रकार से इनको मारना जारी रखें।
संदर्भ:
1.http://www.factzoo.com/mammals/nilgai-blue-bull-india-antelope.html
2.https://tshaonline.org/handbook/online/articles/tcn01
3.https://www.themonitor.com/article_68883719-99ac-5a10-b4e5-14f61a00e837.html
4.http://articles.latimes.com/2007/apr/29/news/adna-antelope29
5.https://www.hindustantimes.com/india/akhilesh-govt-mulls-bounty-on-pesky-nilgais/story-WqJOhEySjLMM1S7ZxjS1dN.html
6.https://indianexpress.com/article/india/india-news-india/if-you-love-gai-nilgai-so-much-keep-them-at-shakhas-nitish-kumar-tells-rss-bjp-2958438/
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