रविवार कविता: इंटरव्यू

ध्वनि II - भाषाएँ
08-07-2018 12:34 PM
रविवार कविता: इंटरव्यू

प्रस्तुत कविता मशहूर कवि वाकिफ़ मुरादाबादी द्वारा लिखी गयी है। वाकिफ़ अपनी व्यंगात्मक कविताओं के लिए जाने जाते हैं जिनमें से एक कविता ‘इंटरव्यू’ आपके सामने प्रस्तुत की जा रही है:

हिरामन का बेटा मिट्ठू, जो मेरा हमसाया है,
आगरे से अब के बी.ए. पास करके आया है।
नौकरी की खोज में दिन रात वो बेचैन है,
जीनियस है, तेज़ है, और ख़ासा जेंटलमैन है।
पाई है हाज़िर जवाबी में भी बेबाकी बहुत,
दफ्तरों की धांधली का पर है वो साकी बहुत।
उसको शिकवा है के मैं कामिल था इंटरव्यू में,
मैं ही मैं अव्वल था साहिब डेढ़ सौ के क्यू में।
जो क्वेश्चन भी किया, मैंने दिया फट से जवाब,
इस पे भी मुझको कमिटी ने किया ना कामयाब।
मैंने पूछा ये कहो आखिर वो सब क्या थे सवाल,
बोला, सब थे बेतुके, यूंही समझ लें गोल माल।
अपने अंदाज़े से मतलब खोलता जाता था मैं,
पूछते जाते थे वो और बोलता जाता था मैं।
यू.के. और यू.एन.ओ. की बाबत कहो क्या है ख़याल,
कह दिया मैंने के दोनों हैं बड़े साहिब कमाल।

कितने मुल्कों में है डिक्टेटर, हैं कितने बादशाह?
रूस के राजा कैनेडी, चाऊ अमरीका के शाह।
राजधानी रूस की बतलाओ। जी शंघाई है,
यूकोहामा, वो दलाई लामा का इक भाई है।
पृथ्वी राज और घोरी का बता सकते हो हाल?
फिल्म के एक्टर हैं दोनों, और दोनों बा-कमाल।
कौन था नादिर? वो घंटा घर का इक दलाल था;
अहमद अब्दाली? बड़ा नामी वो इक कव्वाल था।
कुछ बता सकते हो तुम क्या है विलादी वास्तिक
इक दवा का नाम है, जैसे के सोडा कास्टिक।
जनरल नासिर कहो, क्यों मर्द-ए-आली शान है,
शान यूं है भरती फौजों का वो कप्तान है।
अरावली और सतपुरा? दरिया हैं दो ईरान के,
काठमांडू? जी बड़े परधान हैं जापान के।
वेल डन, शाबाश कह कर मुझको चलता कर दिया,
दामन-ए-उम्मीद मेरा पत्थरों से भर दिया।

संदर्भ:
1. मास्टरपीसेज़ ऑफ़ ह्यूमरस उर्दू पोएट्री, के.सी. नंदा