कुछ अंग्रेज़ी मुहावरे जिनका मूल है जुड़ा भारत से

मेरठ

 07-07-2018 01:37 PM
ध्वनि 2- भाषायें

मुहावरे किसी भी भाषा में एक नयी जान फूकने का कार्य करते हैं तथा ये कई बातों को स्पष्ट भी करते हैं। मुहावरों और लोकोक्तियों से भाषा में श्रृंगार की अधिकता आती है और यही कारण है कि विभिन्न भाषाओँ में मुहावरों को एक विशिष्ट अधिकार प्राप्त है। जैसा कि हम हिंदी में देखते हैं तो इसमें कई मुहावरे हैं। हम सब कभी न कभी इन मुहावरों का प्रयोग करते रहते हैं जैसे कि ‘ऊंट के मुँह में जीरा’। यह मुहावरा काफी प्रचलित मुहावरों में से एक है। अंग्रेजी भाषा में भी कई मुहावरों का प्रयोग हमें देखने को मिलता है। अल्बर्ट जैक द्वारा लिखित किताब “रेड हेरिंग्स एंड वाइट एलीफैंट” में हमें अनेकों मुहावरे आदि देखने को मिलते हैं जो कि अंग्रेजी भाषा में काफी प्रचलित हैं और साथ ही यह भी पता चलता है कि आखिर ये मुहावरे आये कहाँ से।

प्रथम और द्वीतीय विश्व युद्ध के दौरान सेना द्वारा बड़े पैमाने पर मुहावरों का प्रयोग किया गया था जो कि सेना की रणनीति का एक हिस्सा था। इन्हीं मुहावरों में से एक था ‘The Balloon Has Gone Up’ (गुब्बारा हवा में ऊपर जा चुका है)। जैसा ज्ञात है कि प्रथम विश्वयुद्ध में गुब्बारों का प्रयोग दुश्मन सेना से स्वयं की देख रेख के लिए किया जाता था। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजी शहरों में बाजारों आदि के पास गुब्बारों का प्रयोग किया जाता था एक मजबूत स्टील (Steel) के तार से बांध कर। यह गुब्बारे दुश्मन सेना के जहाज़ों को क्षतिग्रष्त करने के रूप में लगाए गए थे। और ये दुश्मन के मिसाइल से भी शहर की रक्षा करते थे। यह मुहावरा प्रदर्शित करता था कि आगे संकट है। इस प्रकार से हम जानते हैं कि मुहावरों का प्रयोग सेना द्वारा सैन्य सुरक्षा के लिए किया जाता था।

आइये अब कुछ अंग्रेजी के महत्वपूर्ण मुहावरों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं-
To Bite The Bullet/टू बाईट दी बुलेट (गोली को चबाना)- यह मुहावरा या वाक्यांश भारत की प्रथम स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान प्रयोग किया जाता था जो कि मेरठ से शुरू हुयी थी। यह मुहावरा यह प्रदर्शित करता है कि एक ऐसा कार्य करना जो कि कर्ता की इच्छा के मुताबिक नहीं है। इसकी उत्पत्ति ब्रिटिश साम्राज्य में हुई थी जैसा कि विक्टोरियन काल के लोग बन्दूक की नोक पर सबको अपना दोस्त बना रहे थे। भारतीय विद्रोह के दौरान बन्दूक की गोलियाँ दो भागों में आती थी जिसमें गाय और सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता था। बन्दूक को चलाने से पहले बन्दूक की गोलियों को दांत से काट कर उनमें बारूद भरा जाता था। जैसा कि हिन्दू और इस्लाम दोनों धर्मों में अलग-अलग मांस का प्रयोग अवैध है तो सेना को गोलियों को दांत से काटने के लिए मजबूर किया जाता था।

Hanging Fire/हैंगिंग फायर (लटकती हुई आग)- इस मुहावरे का प्रयोग किसी कार्य के शुरू होने से पहले लिए गए विश्राम के लिए किया जाता था। इस शब्द का प्रयोग उस व्यक्ति को इंगित करने के लिए भी किया जाता है जो कोई भी कार्य करने में धीमा हो। ऐसा इसलिए क्योंकि 16वीं शताब्दी की सेनाओं की बंदूकें थोड़ी धीमी गति से चलती थीं। बारूद में आग लगाने और गोली के चलने के मध्य एक फासला होता था।

Getting Down to Brass Tacks/गेटिंग डाउन टू ब्रास टैक्स (पीतल की कील तक पहुँच जाना)- इस मुहावरे का अर्थ है किसी विषय पर हुयी चर्चा अब पूरी हो चुकी है और अब अंतिम निर्णय या कार्य करने का समय आ चुका है। इस मुहावरे का प्रयोग अमेरिका के एक कहानी से हुआ है। इसके मूल का ठोस सबूत नहीं है। कुछ लोगों का मनना है कि यह अमरीकी कपड़े की दुकानों से आया है जहाँ कपड़ा चुन लेने के बाद आखरी कदम होता था माप लेने का जिसके लिए माप का स्केल (Scale) पीतल की कीलों से काउंटर (Counter) पर ठुका हुआ होता था। उस तक पहुँच जाना अर्थात बिक्री सफल रही। इसके और भी कुछ मूल बताये जाते हैं।

Having A Dekko/हैविंग अ देक्को- यह एक अत्यंत ही आम मुहावरा है जिसका सार है कि किसी एक वास्तु को देखना। ‘देक्को’ शब्द हिंदी भाषा के ‘देखो’ से लिया गया है। यह शब्द सन 1800 में अंग्रेजी भाषा में आया, जब यहाँ से अंग्रेजी सिपाही साम्राज्य निर्माण कार्य के लिए इंग्लैंड लौट रहे थे।

Gone Doolally/गॉन दूलाली- यह शब्द भारत के देवलाली नामक स्थान से आया है जहाँ पर 19वीं शताब्दी के अंत में अंग्रेजों ने एक छावनी का निर्माण करवाया था। इस छावनी में एक पागलखाना भी था जहाँ पर दिमागी रूप से अस्थिर लोगों को भेजा जाता था। यहाँ से लौटने के लिए सैनिकों को महीनों तक इंतज़ार करना पड़ता था जिस कारण उनके व्यवहार में कई बदलाव आ जाते थे। इसी कारण उनके ब्रिटेन लौटने पर उनके बदले व्यवहार की सफाई देते हुए बताया जाता था कि वह व्यक्ति ‘दूलाली’ रहकर आया है इसलिए वह ऐसा पेश आ रहा है।

Mufti Day/मुफ़्ती डे- इस मुहावरे का अर्थ है कि एक दिन के लिए किसी भी वर्दी का प्रयोग न कर के व्यक्ति अपने मन पसंद का कपड़ा पहन सकता है। यह शब्द उत्तर मध्य देशों से निकल कर आया है जहाँ पर मुस्लिम कानून के जानकार जिनको ‘मुफ़्ती’ कहा जाता है, एक अत्यंत आरामदायक चोगा पहनते हैं।

इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि मुहावरों का जन्म किस प्रकार से हुआ और प्रत्येक मुहावरों से किस प्रकार से एक कहानी जुड़ी हुयी है।

संदर्भ:

1. http://leafo.net/hosted/ase/WhatCD/Red%20Herrings%20and%20White%20Elephants-%20The%20Origins%20of%20the%20Phrases%20We%20Use%20Every%20Day%20%28Albert%20Jack%29.pdf

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