वर्तमान में भारत की आबादी लगभग 1.35 अरब है और यह तेजी से बढ़ रही है। साथ ही साथ बढ़ रही है ‘प्लास्टिक आपदा’, जो एक ऐसी आपदा है जिसका कोई निवारण नजर नहीं आता है। यह एक ऐसा तत्त्व है जो आसानी से नहीं खत्म होता, इसकी आयु लम्बी है। यह अजर-अमर है। इसको न कोई शस्त्र मार सकता है, न जल गला सकता है, न वायु सुखा सकती है और न ही अग्नि पूर्णतया जला सकती है। यह हर रूप में मानव और पर्यावरण दोनों के लिए एक भयंकर आपदा है।
प्लास्टिक की प्लेटें, शादी में खानपान के लिए सबसे अधिक उपयोग की जाती हैं क्योंकि वे सस्ती और सुविधाजनक होती हैं। लेकिन बावजूद इसके वे हमारे पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक हैं। इन प्लेटों का न तो दोबारा उपयोग किया जाता है और न ही इनको ठीक से नष्ट किया जा सकता है। इस समस्या को समझते हुए, केरल के एक गांव में विवाह समारोह में प्लास्टिक की प्लेटों का इस्तेमाल नहीं करने के निर्देश दिये गये हैं।
यह बढ़ती आपदा जीवन का अति शीघ्र अंत है। अधिकांश प्लास्टिक, पेट्रोलियम या गैस से बने होते हैं। अपरिवर्तनीय संसाधन खोजे जाते हैं और उर्जा-गहन तकनीकों का उपयोग करके उनको संसाधित किया जाता है, जिसके कारण नाजुक पारिस्थितिक तंत्र नष्ट हो जाता है। प्लास्टिक का निर्माण और इसका विनाश एक ही साथ वायु, भूमि, और जल को प्रदूषित करता है। इसमें जहरीला रसायन होता है, जो कैंसर की उत्पत्ति करता है और लोगों को मौत के मुंह में ढकेलता है।
हर जगह फैले प्लास्टिक के थैले भूमि पर फैले कचरे का एक महत्तवपूर्ण स्त्रोत हैं। यह जल और थल दोनों जगह पर रहने वाले समुद्री और भूमिचर जीव-जन्तु और जानवरों द्वारा खाया जाता है, जिसके कई घातक परिणाम रोजाना हमारे सामने देखने को मिलते हैं। सिंथेटिक प्लास्टिक वातावरण में अपने आप समय के साथ नष्ट नहीं होता है। यह सिर्फ जल और थल में ठहरता है और जमा होता रहता है और पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
प्लास्टिक का कचरा नगरपालिका के लिए एक बुरा सपना बन गया है। प्लास्टिक के थैलों पर प्रतिबंध लगाने के लिए विश्वभर में स्थानीय सरकारों को प्रेरित और जागरूक करना पड़ेगा, ताकि तेजी से पॉलीस्टायरीन (Polystyrene) बंद हो सके।
प्लास्टिक प्रदूषण, नग्न आंखों से भी नहीं देखा जा सकता है क्योंकि शोध दिखा रहा है कि दुनियाभर में और सभी प्रमुख महासागरों में हवा में माइक्रोस्कोपिक प्लास्टिक कण मौजूद हैं। प्लास्टिक अब हमारे स्थलीय, जलीय और वायुमण्डलीय वातावरण में सब जगह फैल गया है।
घोषणा की गयी है कि भारत 2022 तक देश में प्लास्टिक के उपयोग को पूरी तरह खत्म कर देगा। इसके अनुसार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में रहने वाले 1.35 अरब लोगों द्वारा प्लास्टिक के प्रवाह को काफी हद तक रोकने की कोशिश करना है।
आज हमारे द्वारा चुने गए विकल्पों से कल हमारे सामूहिक भविष्य को परिभाषित किया जाएगा। विकल्प आसान नहीं हो सकता है, लेकिन जागरूकता और प्रौद्योयोगिकी के माध्यम से, हम सही विकल्प चुन सकते हैं। आइए सभी प्लास्टिक प्रदूषण को हराकर एक साथ जुड़े और इस ग्रह को जीने के लिए एक बेहतर जगह बना दें।
संदर्भ:
1.https://yourstory.com/2018/01/village-kerala-plastic-plates-ban-wedding/?utm_content=bufferbe543&utm_medium=social&utm_source=facebook.com&utm_campaign=buffer
2.https://www.theguardian.com/environment/2018/jun/05/india-will-abolish-all-single-use-plastic-by-2022-vows-narendra-modi
3.https://www.lifewithoutplastic.com/store/how_plastics_affect_the_environment#.WyvvdSB9jIU
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