उपनिवेशवाद के दौर में कई प्रकार के खेलों का विस्तार और प्रसार हुआ। यह वह दौर था जब दुनिया भर के एक बड़े भूभाग पर ब्रिटिश का आधिपत्य था। यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस काल में इतने बड़े पैमाने पर खेल कैसे फैले और वर्तमान समय में उनकी क्या स्थिति है। दुनिया भर में दो ऐसे खेल हैं जिनको बड़ी संख्या में लोग देखा करते हैं- 1. फुटबॉल 2. क्रिकेट।
ये दोनों खेल वर्तमान जगत में एक महत्वपूर्ण ऊँचाई प्राप्त किये हुए हैं तथा इनको खेलने वालों की संख्या में विगत कुछ दशकों में अप्रतिम बढ़त देखने को मिली है। अभी फुटबॉल का महासमर शुरू है जिसे फीफा (FIFA) नाम से जाना जाता है। इस खेल को देखने के लिए लोगों में एक अलग ही उत्साह हमें दिखाई देता है। उपनिवेशवाद के दौरान यह समझा जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि ब्रिटिश काल के दौरान यह खेल एक एकजुट बल का प्रेरक था तथा यह राष्ट्रवादी राजनीति को भी प्रभावित करने का कार्य करता था। यह खेल लोगों द्वारा अपना विरोध दिखाने का भी एक कारक था। खेलों के जरिये भी लोग अपना विरोध प्रस्तुत किया करते थे। यही कारण था कि फुटबॉल और क्रिकेट आदि खेलों को उपनिवेशिक काल में लोगों द्वारा खेला जाता था तथा ये खेल इस दौरान बड़े पैमाने पर फैलना शुरू हुए।
भारतीय रूप में अगर फुटबॉल को देखा जाए तो कलकत्ता में भारतीय टीम ने स्वदेश संस्कृति को फुटबॉल से जोड़ कर नंगे पैर फुटबॉल खेल कर ब्रिटिश साम्राज्य का विरोध किया। चित्र में बंगाल की टीम मोहन बागान का को दर्शाया गया है जिन्होंने सन 1911 में ईस्ट यॉर्कशायर रेजिमेंट को हराकर शील्ड प्राप्त की थी। दक्षिण अफ्रीका में भी देशी टीमों ने ब्रिटिश प्रयासों को अस्वीकार कर दिया था जो यह प्रदर्शित करता है कि खेल को किस प्रकार से विरोध का एक जरिया बनाया गया था। खेल को विरोध का जरिया बनाने के कारण कई टीमों का उदय हुआ तथा रंगभेद आदि का भी विरोध इन खेलों में किया गया। वेस्ट इंडीज क्रिकेट का उदाहरण इसमें अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है कि किस प्रकार से इस खेल में 1960 में फ्रैंक वोर्रेल को पहले काले रंग के कप्तान के रूप में देखा गया।
फुटबॉल की बात की जाए तो 19वीं शताब्दी में इस खेल में काले लोगों को खेलने के लिए आदेश दिया जा चुका था। खेल मैत्री और विरोध दोनों के परिचायक हैं। ऐशेस क्रिकेट (ASHES Cricket) को आज भी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के मध्य में बड़ी विरोधी भावना के रूप में खेला जाता है। भारत और पाकिस्तान के बीच में भी कई मैत्री खेलों को खेला जा चुका है।
संदर्भ:
1.http://www.inquiriesjournal.com/articles/64/breaking-boundaries-football-and-colonialism-in-the-british-empire
2.https://www.tandfonline.com/doi/abs/10.1080/17430430600916434?journalCode=fcss20
3.https://www.tandfonline.com/doi/pdf/10.1080/17430430802472319
4.https://www.researchgate.net/publication/284724488_Beyond_CLR_James_Race_and_Ethnicity_in_Sport
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