आज तकनीकी ने मानव जीवन को पूरी तरह से अपने कब्जे में कर रखा है। तथा हम एक दूसरे को विभिन्न संचार साधनों से जुड़ा हुआ पाते हैं। परन्तु प्रकृति एक ऐसी अहम् बिंदु है जिससे हम अत्यंत दूर हैं। प्राचीन काल में सभ्यताओं के उदय के दौरान तब का मानव प्रकृति से अधिक जुड़ा हुआ था। इसके प्रमाण हमें विभिन्न सभ्यताओं से जुड़े तथ्यों से मिल जाता है। प्रकृति से जुड़े इन्हीं रूपों में ग्रीष्मकालीन संक्रांत भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है। आज 21 जून ग्रीष्म कालीन संक्रांत के दिवस के रूप में जाना जाता है तथा आज साल का सबसे बड़ा दिन होता है। विश्व भर की तमाम प्राचीन सभ्यताओं में संक्रांत के विषय में विषद जानकारियाँ उपलब्ध थी। यही कारण है कि इससे जुड़े स्रोत आज भी मूर्तरूप में उपलब्ध हैं। ये मूर्तरूप महाश्म संस्कृति में उपलब्ध हैं जैसे कि मिस्र की सभ्यता में, पगन की सभ्यता में, माया की सभ्यता में, बौद्ध धर्म में, उत्तरी अमेरिका में और ईस्टर द्वीप समूह पर। इन सभी तथ्यों को हम निम्नवत रूप से देख सकते हैं-
1. मिस्र के विशाल पिरामिड-
मिस्र के दोनों पिरामिड के बिलकुल मध्य में बने काल्पनिक मानव के सर के बिलकुल बीचोबीच से संक्रांत के सूर्य का अस्त होता है। यह प्रदर्शित करता है कि कितने व्यवस्थित तरीके से इन पिरामिडों का निर्माण किया गया था। साथ ही यह ये समझाता है कि सूर्य दुनिया के निर्माण का स्रोत है और यह काल्पनिक मानव के सर के चारों और एक चक्र का निर्माण करता है।
2. मिस्र का ओसिरिओन-
यह एक बड़ी मंदिर श्रृंखला है जो कि माना जाता है कि मिस्र के भगवान ओसिरिस को समर्पित है। मिस्र के पिरामिड की तरह ही इसका भी निर्माण ग्रीष्म की संक्रांति से जुड़ा हुआ है। जब भी संक्रांत के सूर्य का अस्त होता है तो लीबिया के पहाड़ों के मध्य से एक रौशनी इस मंदिर को छूती है। इस मंदिर का मिस्र के धार्मिक विचार से अत्यंत गहरा रिश्ता है तथा यह माना जाता है कि प्राचीन मिस्र के धर्म ग्रंथों का उदय यहाँ पर प्रदर्शित किया गया है।
3. इंग्लैंड का स्टोनहेंज-
यह एक महाश्मकाल की गोलाकार आकृति है जो कि कई पत्थरों से बनायी गयी है। ग्रीष्म संक्रांत का सूर्य जब उदित होता है तब वह इस बड़े घेरे के सामने स्थित एक केंद्र को छूता है और जब सूर्य दोपहर के समय में पहुँचता है तो वह उस समय इस गोले के मध्य में बने केंद्र पर सीधा पड़ता है। स्टोनेहेंज प्रौद्योगिकी का एक अनुपम उदाहरण है तथा यह प्राचीन प्राकृतिक विज्ञान की महत्ता को भी प्रदर्शित करने का कार्य करता है।
4. अजंता की गुफाएं-
भारत की अजंता की गुफाएं ग्रीष्म कालीन संक्रांत को प्रदर्शित करती हैं। अजंता की गुफा संख्या 26, संक्रांत के उदय के साथ-साथ प्रकाशमान हो जाती है। यह भारत में बौद्ध शिल्पकला और खगोलशास्त्र को प्रदर्शित करती है।
5. एक्स्टर्नस्टाइन जर्मनी-
यह एक बलुए पत्थर पर उकेरी गयी आकृति है जो कि धार्मिक अनुष्ठान को करने के लिए बनायी गयी थी। यह 9वीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी के मध्य बनायी गयी थी। ग्रीष्म कालीन संक्रांति के दौरान इस चट्टान में बने गोलाकार छेद से सूर्य का प्रकाश संरेखित हो जाता है।
इस प्रकार से हम समझ सकते हैं कि प्राचीन काल में लोगों को प्रकृति से जुड़ी तमाम घटनाओं आदि की जानकारी थी तथा उन्होंने व्यवस्थित तरीके से इनसे जुड़े तथ्यों की रचना की जो आज भी हमारे मध्य में स्थित हैं।
संदर्भ:
1. http://guardianlv.com/2013/06/summer-solstice-rises-again-as-in-ancient-times/
2.https://preservationjourney.wordpress.com/2014/06/18/six-summer-solstice-sites-youve-probably-never-heard-of/
3. https://belsebuub.com/articles/ancient-sacred-sites-aligned-to-the-summer-solstice
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.