संगीत सुनना किसे पसंद नहीं है। यह आज से नहीं बल्कि बहुत पहले से सुना जाता आ रहा है। आज से कुछ समय पहले तक जब इन्टरनेट इतना प्रसारित नहीं हुआ था तब लोग विभिन्न कंप्यूटर की दुकानों पर मोबाईल में गाने भरवाने के लिए जाया करते थे। परन्तु इन्टरनेट के आगमन ने इसे पूर्ण रूप से बदल कर रख दिया। आज भी हम कहीं न कहीं ऐसी दुकानें देख लेते हैं। वर्तमान काल में जहाँ लोगों को इन्टरनेट पर गाने आराम से सुनने या डाउनलोड करने को मिल जाते हैं वह आज से करीब 30-40 साल पहले किसी बड़े खर्चे से कम न हुआ करता था।
1970-80 के दशक में मेरठ में लोगों के पास दो प्रमुख विकल्प हुआ करते थे। पहला यह कि वे या तो एल.पी. (लॉन्ग प्ले रिकॉर्ड) खरीदें जो कि अत्यंत महंगा हुआ करता था तथा यह आम व्यक्ति के लिए अत्यंत मुश्किल हुआ करता था। दूसरा विकल्प यह था कि वे बेगम पुल या आबू लेन के पास से रिकॉर्ड किया हुआ कैसेट प्राप्त करें जो कि मूल एल.पी. से निकाला गया होता था। यह विकल्प सस्ता हुआ करता था। वर्तमान काल में गाने इस प्रकार से प्राप्त हो जाते हैं कि हम गाने की रिकॉर्डिंग के इतिहास को देखते ही नहीं। तो आइये जानते हैं रिकॉर्डिंग के इतिहास को।
एडिसन ने जब बोलने वाली मशीन का आविष्कार किया था तब शायद ही किसी को ज्ञात था कि यह आविष्कार आगे चलकर पूरे विश्व में एक बड़ी क्रांति का रूप ले लेगा। खुद एडिसन को इस आविष्कार से इतनी अपेक्षाएं नहीं थी। यही कारण है कि उन्होंने कहा था कि यह अधिक मूल्य की मशीन नहीं है। उनके द्वारा बनाया गया बेलनाकार डिस्क कालांतर में प्लेट के रूप में बदल गया जिसका एक स्वरुप हम सी.डी. के रूप में देख पाते हैं। एच.एम.वी. (H.M.V. : His Master’s Voice) वह कंपनी थी जिसने भारत में रिकॉर्डिंग की परंपरा की शुरुआत की थी। भारत में यह माना जाता है कि पहली रिकॉर्डिंग गौहर जान द्वारा की गयी थी। नीचे दिये गये वीडियो पर क्लिक करके आप गौहर जान की उस रिकॉर्डिंग को सुन सकते हैं-
परन्तु इस बात में कई मतभेद हैं कि गौहर जान की आवाज़ से भारत में रिकॉर्डिंग की शुरुआत हुई थी, और अभी हाल के शोधों से पता चला कि गौहर जान से करीब 3 दिन पहले ही एक रिकॉर्डिंग की गयी थी जो कि शशिमुखी की आवाज़ की थी। यह साल था 1902। हालाँकि ये रिकॉर्डिंग भारत में की गयी थी परन्तु इसकी डिस्क इंग्लैंड में बनायी गयी थी। इस रिकॉर्डिंग को नीचे दिए गए वीडियो पर क्लिक करके सुनें-
भारत में पहली ग्रामोफोन बनाने वाली कंपनी की स्थापना एक इंग्लैंड की कंपनी ने सियालदह, कलकत्ता में की थी। बाद में कलकत्ता के डम डम में एक कारखाना स्थापित किया गया जहाँ पर ग्रामोफोन का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। ग्रामोफोन समय के साथ-साथ कई मॉडलों में आया, जैसे- पोर्टेबल मॉडल, टेबल टॉप मॉडल, अलमारी की तरह दिखने वाला ग्रामोफोन आदि। विभिन्न मॉडलों की विभिन्न कीमतें हुआ करती थीं। भारत में विभिन्न स्थानों पर इसी काल में रिकॉर्डिंग स्थानों की स्थापना की गयी, यह काल क्रांति का समय था। भारत के विभिन्न नाटक जैसे हरिश्चंद्र, प्रहलाद आदि की रिकॉर्डिंग की गयी जो कि फिर लोगों के घरों में पहुंची। मेरठ जो कि एक ऐसा शहर था जिसका निर्माण अंग्रेजों के समय काल में हुआ था तो यहाँ पर भी रिकॉर्डिंग स्थानों का निर्माण बड़ी संख्या में हुआ और यहाँ के लोगों ने संगीत का लुत्फ़ उठाना शुरू किया। इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि इन संगीत के कारकों ने एक लम्बा सफ़र तय किया है।
संदर्भ:
1.http://www.thehindu.com/ms/2003/12/01/stories/2003120100310600.htm
2.https://www.mustrad.org.uk/articles/indcent.htm
3.https://indianexpress.com/article/lifestyle/a-voice-from-long-ago-sashimukhi-not-gauhar-jaan-was-the-first-indian-voice-to-be-recorded/
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