वनों का महत्व मानव जीवन में अत्यधिक है। यह पृथ्वी के जीवों के उद्भव के काल से लेकर वर्तमान समय तक सभी जीवों को प्राणवायु देते आ रहे हैं। वन पृथ्वी के वायुमंडल को बनाये रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। पाषाण कालीन मानव इन्हीं जंगलों और पर्वतों की कंदराओं में अपना जीवन यापन करता था तथा उसके लिए प्रचुर मात्रा में आहार की उपलब्धता इन्हीं जंगलों से होती थी। वर्तमान मेरठ जिस स्थान पर बसा हुआ है वह स्थान एक समय में अत्यंत सघन वन हुआ करता था। यहाँ पर स्थित हस्तिनापुर जो कि वर्तमान काल में एक छोटा सा जंगल है, कभी वह एक बड़े क्षेत्र में फैला हुआ करता था। हस्तिनापुर का वर्णन हमें महाभारत में मिलता है जहाँ पर इस स्थान को एक अत्यंत सघन जंगल होने का प्रमाण मिलता है।
करीब 2000 ईसा पूर्व में विश्व की आबादी करीब 27 मिलियन थी (2 करोड़ 70 लाख)। इस अनुसार देखा जाए तो आज उत्तर प्रदेश की आबादी कुल 20 करोड़ है और मेरठ की जनसंख्या करीब 35 लाख है जो यह प्रदर्शित करती है कि विश्व भर की आबादी आज किस स्तर पर बढ़ी है। जनसँख्या ज्यादा होने के कारण लोगों ने जंगलों को काटना शुरू कर वहां पर बसना शुरू किया और ऐसा समय आया जहाँ पर हर जगह जंगल हुआ करता था वहां जंगल या तो ख़त्म हो गया या तो एक छोटे क्षेत्र में सिमट कर रह गया है। मानवों द्वारा पेड़ों का संहार बड़े पैमाने पर किया गया चाहे वो खेत बनाने के लिए या फिर उन लकड़ियों से घरों का निर्माण करने के लिए हो। उद्योगों की स्थापना ने जंगलों को समेटने में बड़ी भूमिका निभायी। मेरठ जो कभी जंगल से गुलजार हुआ करता था तथा जहाँ कभी हाथी, बाघ, जंगली सूअर, तेंदुआ और अन्य कई प्रकार के जानवर चला करते थे वो एक छोटे से इलाके में तब्दील हो गया और यहाँ के जानवर तो मानो विलुप्त से हो गए। यहाँ पर जानवरों का शिकार भी बड़े पैमाने पर किया गया। जंगली सूअरों को भाले से मारने का खेल यहाँ पर बड़ी उत्सुकता द्वारा अंग्रेजों द्वारा खेला जाता था।
भारत में जंगलों के संरक्षण और उनके अध्ययन का कार्य ह्यूग फ्रांसिस क्लार्क क्लेगहॉर्न ने किया था। इनका जन्म मद्रास में 1820 में हुआ था। उन्होंने 1841 में एडिनबरा में चिकित्सा में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और वहाँ के रॉयल बॉटनिकल गार्डन में रॉबर्ट ग्राहम के सानिध्य में वनस्पति विज्ञान में प्रशिक्षण प्राप्त किया। क्लेगहॉर्न 1842 में ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत मद्रास चिकित्सा विभाग में शामिल हुए और 1852 में उन्होंने वनस्पति विज्ञान में रूचि दिखाना शुरू किया। 1852 में उन्होंने वानस्पतिक सर्वेक्षण कोयम्बटूर का गठन किया। वनों का पेशेवर तरीकों से संरक्षित करने पर उनकी रिपोर्ट भारत भर में वन विभागों की स्थापना के लिए मील का पत्थर साबित हुयी। 1855 में भारत का पहला वन विभाग मद्रास में बनाया गया जहाँ पर क्लेगहॉर्न को वन का पहला संरक्षक बनाया गया। इन्हीं सभी कारकों के चलते भारत के जंगलों का संरक्षण शुरू हुआ और मेरठ के आस-पास के जंगलों का भी संरक्षण इन्हीं कारकों से शुरू हुआ। मेरठ के पास स्थित सहारनपुर वानस्पतिक उद्यान का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है मेरठ और आस-पास के क्षेत्रों के जंगलों के संरक्षण में। चित्र में दिखाया गया देहरादून का वन शोध संस्थान अपनी तरह का इकलौता संस्थान है भारत में जो वनों के संरक्षण और उनके वैज्ञानिक तरीके से किये जाने वाले फैलाव व बसाव पर कार्य करता है।
1. https://www.quora.com/What-is-scientific-forestry
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Forest_Research_Institute_(India)
3. http://www.thehindu.com/lf/2005/02/01/stories/2005020100810200.htm
4. https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_forest_research_institutes_in_India
5. http://www.worldhistorysite.com/population.html
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