ईद उल फ़ितर का अर्थ एवं महत्त्व

मेरठ

 15-06-2018 12:30 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

ईद-उल-फ़ितर दुनिया-भर में मुसलमानों द्वारा मनाया जाने वाला एक मुबारक (शुभ) त्यौहार है। यह अवसर रमज़ान के इस्लामी पवित्र महीने के रोज़े (उपवास) का अंत है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में पैगम्बर मुहम्मद को पवित्र कुरान की पहली श्रुति (प्रकाशन) मिली। उत्सव की तारीख़ नए चंद्रमा की दृष्टि के संयोजन के साथ-साथ खगोलीय गणना पर भी निर्भर करती है। इसके अलावा, ईद की शरूवात इस बात पर भी निर्भर करती है कि एक व्यक्ति दुनिया में कहां स्थित है । ईद का उत्सव केवल चंद्रमा देखने के बाद ही शुरू होता है।

ईद-उल-फ़ितर का अर्थ है ‘रोज़े (उपवास) को तोड़ना’, जो एक महीने तक चलते हैं। यह जश्न तीन दिनों तक मनाया जाता है और इसे ‘छोटी ईद’ भी कहा जाता है। सुन्नत के अनुसार, रोज़े के समय प्रत्येक मुसलमान सुबह जल्दी उठता है, अपने सलात-उल-फ़ज (दैनिक प्रार्थना) का जप करता है, स्नान करता है और इत्र लगाता है। लोगों द्वारा सिर झुकाकर विशेष सामूहिक प्रार्थना करने से पहले एक हार्दिक नाश्ता खाना एक पंरपरा है।

इस्लाम विश्वास रखता है कि अमीर और गरीब के बीच की असमानता को दूर करने के लिए एक पुल की जरूरत है। इस्लाम के अनुसार ज़कात देना, मतलब दान देना अनिवार्य है। हर मुस्लिम को अपनी वार्षिक कमाई का 2.5% दान करना होता है और यह पूरे साल में कभी भी किया जा सकता है, लेकिन अधिकतर लोगों द्वारा यह पवित्र रमज़ान के महीने में किया जाता है।

रमजान महीने के अंत में यह त्यौहार प्रत्येक मुस्लिम द्वारा एक समान रूप से मनाया जाता है। यह जश्न मनाना एक मुस्लिम के लिए तब तक उचित नहीं है, जब तक उसका गरीब पड़ोसी भी जश्न मनाने के काबि़ल न हो। इस प्रकार ईद-उल-फ़ितर में ‘फ़ितर’ वह दान है, जो दान करने में सक्षम मुस्लिम द्वारा अपने गरीब पड़ोसी या जरूरतमंद मुस्लिम को दिया जाता है, ताकि दोनों एक समान रूप से त्यौहार मना सकें।

ईद-उल-फ़ितर की शुरूवात ‘शव्वल महीने’ के पहले दिन से होती है, जो उस महीने का एकमात्र दिन है जब मुसलमानों को रोज़ा रखने की अनुमति नहीं होती है। ईद महीने का पहला दिन किसी भी चंद्र हिजरी महीने पर निर्भर करता है। इस मौके पर एक विशेष ‘सलात’ (इस्लामी प्रार्थना) होती है, जो दो ‘रकातों’ (इकाइयों) से मिलकर बनती है। आम तौर पर एक बड़े गोले या खुले मैदान में प्रार्थना की जाती है। प्रार्थना, केवल एक जनसमूह में की जाती है। प्रार्थना में छह तकबीर होते हैं; जिसमें दोनों हाथों को उपर उठाकर कानों तक लाया जाता है और ‘अल्लाह-हू-अकबर’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि ‘ईश्वर महान है’।

1.http://indianexpress.com/article/lifestyle/life-style/eid-ul-fitr-2018-know-the-importance-and-significance-of-eid-ul-fitr-ramdan-and-why-we-celebrate-eid-ul-fitr-5214551/
2.https://www.quora.com/What-is-the-meaning-of-Eid-ul-Fitr-Why-is-the-holy-month-called-Ramzan

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id