मेरठ से अनेकों पुरातात्विक स्थल हमें प्राप्त होते हैं। उन्हीं पुरातात्विक स्थलों में से महाभारत में वर्णित एक स्थान है हस्तिनापुर। हस्तिनापुर के उत्खनन से अनेकों पुरातात्विक वस्तुओं के प्रमाण हमें प्राप्त हुए हैं। ये वस्तुएं हमें इस स्थान की प्राचीनता के प्रमाण प्रस्तुत करती हैं। महाभारत में ही लाक्षागृह का भी जिक्र हमें मिलता है जहाँ पर पांडवों ने अपना आवास बनाया था। यह मेरठ से ही सटे जिले बागपत में स्थित है। हाल ही में कराये गए उत्खनन से यहाँ से अनेकों पुरातात्विक वस्तुओं की प्राप्ति हुयी है जो कि अनेकों रोचक जानकारियों को जन्म देती हैं। बागपत के ही सिनौली गावं में हुए पुरातात्विक स्थल की खुदाई ने इतिहास के पन्नों को बदल कर रख दिया है।
यह वस्तु है रथ के पहिये। इस प्राप्ति ने भारतीय इतिहास को एक नयी दिशा प्रदान कर दी है। पुरातत्वशास्त्रियों की मानें तो इस स्थान की ऐतिहासिकता करीब 2200 ईसा पूर्व की है जो कि आज से करीब 4000 वर्ष पूर्व है। प्राप्त ढाँचे से यह पता चलता है कि यहाँ के रथ मेसोपोटामिया की सभ्यता में दर्शाए गए रथों की तरह थे। ये रथ ताम्बे व लकड़ी के बनाये जाते थे जिसमें पूरा चक्का लकड़ी का होता था तथा उस पर ताम्बे की पट्टी चढ़ाई जाती थी जो लकड़ी को बाँध कर रखती थी तथा ताम्बे के कील का भी प्रयोग किया जाता था। यह एक कब्र के पास से मिला है। हजारों साल से मिट्टी में दबे होने के कारण लकड़ी ख़त्म हो चुकी है परन्तु उसके आकार का छापा मिट्टी पर देखने को मिलता है। ताम्बे के कील और पट्टी की प्राप्ति यहाँ से हुयी है जो कि यह प्रदर्शित करती है कि इस चक्के पर ताम्बे का प्रयोग किया गया था।
ये रथ दो पहिये के हुआ करते थे जिनपर एक बड़ी लकड़ी लगाई जाती थी जो कि बैल या घोड़े द्वारा खींची जाती थी। अभी तक यह सिद्ध नहीं हो सका है कि इस रथ को कौन सा जानवर खींचा करता था। इस प्राप्ति से महाभारत में वर्णित रथों आदि की बात सिद्ध होती है। कई विद्वानों का मत था कि रथ भारत में बाहर से आये थे परन्तु इस प्राप्ति ने सबके मुँह बंद कर दिए तथा यह सिद्ध कर दिया कि भारत में रथ अत्यंत प्राचीन काल से ही हुआ करते थे। रथ के अलावा तलवार आदि की प्राप्ति ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि उस काल में लोग लड़ाई आदि भी किया करते थे और हो सकता है कि इस रथ का प्रयोग लड़ाइयों में किया गया हो। यह भारतीय उपमहाद्वीप का पहला साक्ष्य है जहाँ पर रथ के अवशेष प्राप्त हुए हैं अन्यत्र अब तक की हुयी खुदाइयों में रथ की प्राप्ति कभी नहीं हुयी थी। इस प्राप्ति से यह सिद्ध हो जाता है कि मेरठ और उसके आस-पास में सभ्यताएं अत्यंत उन्नत थीं।
1. https://khabar.ndtv.com/news/uttar-pradesh/chariot-from-pre-iron-age-found-during-excavation-in-ups-sanauli-1862344
2. http://hindi.sakshi.com/news/2018/06/05/baghpat-excavation-mahabharata-period-body-and-chariot-found
3. http://www.indiawatchnews.com/news/-UP:-Sonauli-Meer-chariot-found-during-the-excavation-of-grave/6229
4. http://specialcoveragenews.in/uttar-pradesh/baghpat/4000-year-old-chariot-and-crown-found-in-baghpat-uttar-pradesh-during-asi-excavation-483626
5. चित्र का श्रेय डॉक्टर अमित पाठक को जाता है तथा इसका प्रयोग उनकी अनुमति से किया गया है।
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