जब पत्थर से बनते थे औज़ार

मेरठ

 30-05-2018 03:00 PM
जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

मानव शुरुआत से ही आज के वर्तमान मानव की तरह घरों में निवास नहीं किया करता था बल्कि वह कंदराओं में निवास किया करता था। अभी हाल ही में होमो-नलेडी (Homo Naledi) नामक हमारे एक पूर्वज का पता चला जहाँ पर उसकी हड्डियाँ एक कन्दरा या गुफा में पड़ी हुयी मिलीं। इसके अलावा यदि देखा जाए तो आदि काल में मानवों द्वारा बनायी गयी चित्रकारियां हमें इस बात की तरफ आकर्षित करती हैं कि आदिकालीन मानव गुफाओं में निवास किया करता था। स्पेन के अल्त्मिरा नामक आदिकालीन पुरास्थल से बड़े पैमाने पर मानवों से जुड़ी जानकारियाँ हमें प्राप्त होती हैं। मध्य प्रदेश के भीमबेटका से भारत में रहने वाले आदिमानवों की जानकारियाँ हमें मिलती हैं। इन्ही विभिन्न जानकारियों से हमें पता चलता है कि आदि काल में मानव अपनी साज सज्जा पर खास ध्यान देता था। यही कारण है कि अनेकों स्थान से गले में पहनने वाले मनके हमें प्राप्त हुए हैं जो इस तथ्य को सिद्ध करते हैं।

पाषाण कालीन मानव मातृ देवी की पूजा किया करता था, इसी कारण अल्त्मिरा, मिर्ज़ापुर आदि स्थानों से मातृ देवी की प्रतिमाएं प्राप्त हुयी हैं। ये प्रतिमाएं विश्व की सबसे प्राचीन प्रतिमाएं हैं। मेरठ के समीप ही बसे दिल्ली से पाषाण कालीन मानवों द्वारा बनाये गए हथियार हमें प्राप्त हुए हैं। ये हथियार पत्थर के बनाये गए हैं जैसा कि उस काल में किसी प्रकार के धातु की खोज नहीं हुयी थी तो उस काल में पूरे विश्व में पत्थर के ही हथियार बनाए जाते थे, जैसा कि कुछ पत्थर के बने औज़ार चित्र में भी दर्शाए गए हैं। यदि देखा जाए तो पाषाण काल को 5 प्रमुख भागों में बांटा गया है- निम्न पुरा पाषाण काल, मध्यम पुरा पाषाण काल, उच्च पुरा पाषाण काल, महाश्म काल और नव पाषाण काल। ये समस्त काल खंड उस समय मानव द्वारा बनाये जाने वाले हथियारों पर आधारित थे।

निम्न पुरा पाषाण काल के हथियार कम धारदार और बड़े आकार के हुआ करते थे तथा नव पाषाण काल आने तक हथियार छोटे और ज्यादा धार दार हो गए थे। इन हथियारों से मानव शिकार करता था तथा मांस के लोथड़ों को चीरने का काम किया करता था। मेरठ से ही सटे हुए स्थान सहारनपुर से भी पाषाण काल के मानवों के कई साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। ये समस्त साक्ष्य यह सिद्ध करते हैं कि भारत में पाषाण कालीन मानव बड़े पैमाने पर विचरण किया करता था। ये मानव खुद के जीवन से जुड़ी घटनाओं का चित्रण गुफाओं में किया करते थे जिसको देख कर हम यह अंदाजा लगा सकते हैं कि उस समय किस प्रकार के जानवर उस क्षेत्र में निवास किया करते थे और मानव अपना जीवन यापन कैसे किया करता था।

1. प्रेहिस्टोरिक ह्यूमन कॉलोनाईजेशन ऑफ़ इंडिया, वी. एन. मिश्र
2. प्री एंड प्रोटोहिस्ट्री ऑफ़ इंडिया, वी के जैन

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