ध्वनिहीन ध्वनि का राज़

मेरठ

 27-05-2018 12:05 PM
ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

ऐसे भी लोग हैं जो झींगुर-गान या चमगादड़ की चीख जैसी तीखी ध्वनि नहीं सुन पाते। ये लोग बहरे नहीं हैं, उनके कान ठीक ठाक हैं, फिर भी वे ऊंची तान नहीं सुन पाते। विख्यात अंग्रेज भौतिकवाद का कहना था कि कुछ लोग गौरैये की आवाज़ भी नहीं सुन पाते!

हमारे कान हमारे गिर्द के सभी कम्पनों को नहीं सुन पाते। यदि पिंड एक सेकंड में 16 से कम कम्पन करता है, तो हमें ध्वनि सुनाई नहीं देती। यदि वह सेकंड में 15-22 हज़ार से अधिक कम्पन करता है, तो भी हमें कोई आवाज़ नहीं सुनाई देती। तान सुनने की ऊपरी सीमा भिन्न लोगों के लिए भिन्न होती है। वृद्ध लोगों के लिए ऊपरी सीमा सिर्फ 6 हज़ार कम्पन प्रति सेकंड वालो तान होती है। इसी कारण से यह विचित्र बात देखने को मिलती है कि कान बेधने वाली तीखी ध्वनि कुछ लोग अच्छी तरह से सुनते हैं और कुछ लोग बिलकुल नहीं सुन पाते।

अनेक कीड़े-मकोड़े (जैसे मछर, झींगुर) ऐसी आवाजें निकालते हैं, जिनकी तान प्रति सेकंड 20 हज़ार कम्पन वाली होती है। कुछ लोग इसे सुन सकते हैं और कुछ के लिए इसका कोई अस्तित्व नहीं होता। उच्च तान के प्रति असंवेदनशील लोग जहाँ पूर्ण नीरवता का रस लेते हैं, दूसरे लोगों को तीखी ध्वनियों का बेतरतीब शोर सुनाई देता रहता है। टिंडल बताते हैं कि उन्हें एक ऐसी घटना देखने का अवसर मिला था, जब वे अपने एक मित्र के साथ स्विट्ज़रलैंड में टहल रहे थे : रास्ते के दोनों तरफ मैदानी घास में कीड़े-मकोड़े भरे हुए थे, जो हवा में तरह-तरह से भनभनाहट और चर्राहट की आवाज़ फैला रहे थे। उनके मित्र इन आवाजों को बिलकुल नहीं सुन पा रहे थे; उनके लिए कीड़े-मकोड़ों के कलरव का कोई अस्तित्व ही नहीं था।

चमगादड़ की चीख पतंगे के तीखे स्वर से पूरा एक सरगम नीचे है, अर्थात उससे हवा में होने वाले कम्पन की बारंबारता दुगुनी कम है। पर ऐसे लोग भी मिल जाते हैं, जिनको इससे भी कम कम्पन वाली आवाज़ सुनाई देती है और उनके लिए चमगादड़ एक मूक जंतु है। पावलोव की प्रयोगशाला में निर्धारित किया गया था कि कुत्ते 38 हज़ार कम्पन प्रति सेकंड वाली तान भी सुन सकते हैं।

1. मनोरंजक भौतिकी, या. इ. पेरेलमान

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id