सिन्धु सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता है। यह विश्व की कई सभ्यताओं से भी अत्यंत प्राचीन है। सिन्धु सभ्यता भारत की पहली ऐसी सभ्यता है जो कि नगरीकरण पर आधारित है। इस सभ्यता में सबसे पहले हमें नगरों के उल्लेख दिखाई देते हैं। सिन्धु सभ्यता को प्रोटो हिस्ट्री (Proto History) के अंतर्गत माना जाता है। भारत के इतिहास का विभाजन 3 भागों में किया गया है - 1. प्रागितिहास (Prehistory) 2. प्रोटो हिस्ट्री (Protohisory) और 3. आरंभिक इतिहास (Early History)। इन तीन के अलावा भी कई अन्य उपभागों में भारत का इतिहास बांटा गया है।
ताम्बा धातु की खोज के दौरान ही इस सभ्यता का जन्म हुआ था। इस सभ्यता में लोग नगरों में निवास करते थे तथा विभिन्न कलाओं का भी जन्म इसी सभ्यता के दौरान हुआ था। नर्तकी की प्रतिमा और अन्य मोहरों के अंकन से इसके प्रमाण हमें मिल जाते हैं। जब हम बात करते हैं कि इस सभ्यता का फैलाव कितना था तो अफगानिस्तान से लेकर गुजरात तक और पश्चिमी उत्तरप्रदेश तक इस सभ्यता के प्रमाण बड़े पैमाने पर हमें प्राप्त होते हैं। अब तक पुरातत्वविदों को इस सभ्यता से जुड़े सैकड़ों पुरास्थल मिल चुके हैं और 60 से अधिक बड़े पुरास्थल भी इसमें शामिल हैं। दुनिया की सबसे बड़ी सिन्धु सभ्यता का पुरास्थल हरियाणा का राखीगढ़ी है जहाँ से विभिन्न खुदाइयों में कई पुरासम्पदायें मिली हैं। यहाँ से ही सरदारी परंपरा के भी साक्ष्य हमें प्राप्त हुए हैं। किलेबंदी के भी साक्ष्य हमें राखीगढ़ी से प्राप्त हुए हैं। मोहनजोदारो और हड़प्पा जो कि वर्तमान पकिस्तान में हैं, भी इस सभ्यता के प्रमुख नगर थे। सबसे पहले इस सभ्यता की खोज हड़प्पा से हुई थी, इसी कारण इस सभ्यता को हड़प्पा की भी सभ्यता कहा जाता है। 1871 में सर्वप्रथम एक मोहर मिली थी जिसको इस सभ्यता का पहला साक्ष्य माना जाता है। यह मोहर भारतीय पुरातत्व के पिता कहे जाने वाले सर अलेक्ज़ेडर कनिंघम को प्राप्त हुयी थी।
20वीं शताब्दी के दौरान हुयी खुदाइयों में इस सभ्यता से जुड़े कई साक्ष्य प्रकाश में आये जिन्होंने इस सभ्यता को दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। पशुपति का सबसे पहले अंकन इसी सभ्यता में दिखाई देता है। खेती के प्रमाण और वस्त्र के भी प्रमाण हमें इस सभ्यता से बड़े पैमाने पर मिलते है। मेरठ एक अत्यंत प्राचीन भौगोलिक स्थान पर बसा हुआ है। यहाँ का इतिहास महाभारत काल से भी पीछे जाता है। यहाँ पर सिन्धु सभ्यता का एक प्रमुख नगर स्थित है जिसको आलमगीरपुर के नाम से जानते हैं। आलमगीरपुर सिन्धु सभ्यता से सम्बंधित पुरास्थल है। इसकी तिथि 3300-1300 ईसा पूर्व तक आंकी जाती है। यह सिन्धु सभ्यता की पूर्वी दिशा के सबसे आखिर में बसा पुरास्थल है। इस पुरास्थल की खुदाई सन 1958 से 1959 के करीब की गयी थी। यहाँ की खुदाई में टाइल, मिटटी के बर्तन बनाने का कारखाना, जले हुए इंट के साक्ष्य प्राप्त हुए है। यहाँ से विभिन्न मिट्टी के बर्तन, बैल, सांप की मिटटी की मूर्तियाँ भी प्राप्त हुयी हैं। कांच, कार्नेलियन, कुँर्तज़, एगेट, जेस्पर आदि के मनके भी यहाँ से प्राप्त हुए हैं। यहाँ से एक टूटा हुआ दरांती भी मिला है जो कि ताम्बे का बना हुआ था। आलमगीरपुर से ही सबसे पहले कपड़े के साक्ष्य प्राप्त हुए थे, सोने के प्रयोग का भी साक्ष्य यहाँ से प्राप्त हुआ है। प्रस्तुत किये गए चित्र में आलमगीरपुर से मिले मिट्टी के बर्तनों के अवशेष को दर्शाया गया है, जिसे देखकर यह कहा जा सकता है कि ये एक मिट्टी का घड़ा था जो अनाज रखने के काम आता था। यह सिन्धु सभ्यता का अत्यंत ही महत्वपूर्ण पुरास्थल है। मेरठ के पास ही स्थित बागपत में भी सिन्धु सभ्यता से सम्बंधित कई पुरास्थल प्राप्त हुए हैं जो कि यह सिद्ध करते हैं कि सिन्धु सभ्यता के दौर में मेरठ एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान था तथा यहाँ पर मानव तभी से बसना शुरू कर दिए थे।
1.https://www.researchgate.net/publication/283348204_Recent_Excavations_at_Alamgirpur_Meerut_District_A_Preliminary_Report
2.अर्ली इंडिया, रोमिला थापर
3.द राइज ऑफ़ सिविलाइज़ेशन इन इंडिया एंड पाकिस्तान, अल्चिन
4.अ हिस्ट्री ऑफ़ अन्सियंट एंड अर्ली मेडिवल इंडिया, उपेंदर सिंह
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.