ग्रामीण-शहरी सीमान्त से उत्पन्न समस्याएँ एवं उनके उपाय

मेरठ

 21-05-2018 03:01 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

मेरठ शहर वर्तमान काल में भारत का एक अत्यंत तीव्र गति से बढ़ने वाला शहर है। इस शहर को आगे बढ़ने में सबसे ज्यादा मददगार दिल्ली साबित हुआ है और दिल्ली के कारण यह शहर बड़े पैमाने फैला है। मेरठ भारत का एक बड़ा एन.सी.आर. शहर है। यदि देखा जाए तो प्रत्येक बड़े शहर का एक सीमान्त शहर होता है जिसका प्रमुख शहर की प्रगति में एक बड़ा योगदान होता है। ऐसे शहर ग्रामीण और शहरी दोनों प्रकार का जीवन यापन प्रस्तुत करते हैं। ऐसे दोनों शहरों को अलग-अलग क्षेत्रों के रूप में नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि शहर मिश्रित भूमि उपयोग के माध्यम से स्पष्ट रूप से ग्रामीण इलाकों में विलीन हो जाता है। अधिकांश शहरों में देखा जाए तो यह पता चलता है कि इन ग्रामीण इलाकों से अधिक मात्रा में लोग नौकरी के लिए शहर की तरफ जाते हैं। मेरठ से भी बड़ी संख्या में लोग दिल्ली रोजगार के लिए जाते हैं जिनका प्रमुख साधन निजी या सरकारी साधन है। शहरी सीमांत, शहर और ग्रामीण इलाकों दोनों के लिए एक मामूली क्षेत्र है जो कि शहर के अंत और ग्रामीण इलाके की शुरुआत को प्रदर्शित करता है। जमीन के समुचित उपयोग को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु है। क्यूंकि यदि देखा जाए तो शहर अत्यंत भीड़-भाड़ वाला होता है तथा वहां पर जमीन व रहना अत्यंत खर्चीला सौदा होता है जिस कारण इन ग्रामीण या सीमान्त वाले क्षेत्रों में ज्यादा लोग रहते हैं तथा वो इन क्षेत्रों से अपने कार्य क्षेत्र को जाते हैं। उदाहरण के लिए मुंबई को भी लिया जा सकता है। ग्रामीण-शहरी सीमा एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है, हम इसे सामाजिक स्तर पर पहचान सकते हैं, दोनों क्षेत्रों की सामाजिक स्थित काफी हद तक अलग बटी होती है। संचार के आधुनिक साधनों के साथ-साथ वस्तुओं की उपलब्धता दोनों समूहों के बीच सामाजिक दृष्टिकोण को काफी हद तक फैला रही है तथा लोगों को वस्तुओं के बारे में वृहत जानकारी प्राप्त हो रही है।

वस्तुओं की उपलब्धता और सामाजिक स्थिति में समानता आने के कारण इन दोनों क्षेत्रों को विभाजित कर के नहीं देखा जा सकता है। ग्रामीण-शहरी क्षेत्र को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है, ‘विशिष्ट विशेषताओं वाला क्षेत्र जो अभी भी आंशिक रूप से ग्रामीण है और जहां के कई निवासी शहरों में रहते हैं लेकिन जो सामाजिक और आर्थिक रूप से शहरी नहीं हैं’। कोई भी शहर प्रस्तावित रूप से नहीं बढ़ता है, यह खतरनाक रूप से फैलता है, तथा एक बिंदु पर तेजी से प्रगति करता है। इसका परिणाम अनौपचारिक परिदृश्य में होता है जो कि सीमांत की विशेषताओं में से एक है। इन सीमान्त क्षेत्रों को औद्योगिक शहर के रूप में बनाया जाता है जैसा कि हम दिल्ली से मेरठ की तरफ आते हुए देख सकते हैं।

ग्रामीण-शहरी सीमान्त के बढ़ाव का जटिल रूप:
आर-यू फ्रिंज (R-U Fringe) या ग्रामीण-शहरी सीमान्त प्रमुख रूप से तीन विशिष्ट पहलुओं का उत्पादन करता है; भौतिक, सामाजिक और आर्थिक।
(1) सीमान्त किसी भी शहर का एक विशिष्ट क्षेत्र होता है।
(2) सीमान्त क्षेत्र जहां शहरीकरण ग्रामीण इलाकों में आकर सामान्य जीवन के तरीकों में बदलाव करता है, और
(3) कृषि भूमि पर शहरी विस्तार का प्रभाव।

ग्रामीण-शहरी सीमान्त क्षेत्रों की विशेषताएं:
वाल्टर फायरी द्वारा सीमान्त क्षेत्रों की विवेचना में देखा जा सकता है कि-
(1) वाणिज्यिक, शैक्षिक इत्यादि उपयोगों के साथ उपनगरीय उपयोगों से कृषि भूमि का विशाल क्षेत्र इसके प्रभाव में आता है।
(2) ऐसे क्षेत्रों में उद्योग तेज़ी से बढ़ता है।
(3) भारी मात्रा में बढ़ती शहरी वस्तुओं की उपलब्धता से ग्रामीण जीवन पर प्रभाव पड़ता है।
(4) ऐसे क्षेत्रों में मध्यम वर्ग की आबादी के आधार पर नए निर्माण के कारण भूमि मूल्य बहुत अधिक हो जाता है।
(5) ऐसे क्षेत्रों में होने वाले सामाजिक बदलाव को देखा जा सकता है।

सुदेश नांगिया ने दिल्ली मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (1976) का अध्ययन किया, और मेट्रोपोलिस के आसपास के ग्रामीण-शहरी सीमान्त क्षेत्रों की कुछ मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने इंगित किया कि दिल्ली के सीमान्त क्षेत्र 212 वर्ग कि.मी. से अधिक में फैले हैं और इसकी परिधि के भीतर 177 गांव शामिल हैं। उन्होंने इन इलाकों में बनी हुयी झुग्गियों आदि पर भी प्रकाश डाला। इससे यह भी सिद्ध हुआ कि कैसे ग्रामीण इलाकों से लोग आकर इन इलाकों में रहते हैं।

आर.एल. सिंह ने वाराणसी के ग्रामीण-शहरी सीमान्त क्षेत्र का अध्ययन किया और इसे वास्तविक और संभावित शहर का विस्तार भी कहा। उनके अनुसार, "ग्रामीण-शहरी सीमान्त एक ऐसा क्षेत्र है जहां अधिकांश ग्रामीण भूमि को समय-समय पर शहरी उपयोगों के लिए प्रयोग किया जाता है"।

ग्रामीण-शहरी सीमान्त की सीमा का एक आदर्श तरीका वास्तव में केंद्रीय शहर सीमा से करीब 10 से 15 कि.मी. की सीमा के आसपास बसे गावों के क्षेत्रफल पर निर्भर करता है। भारत के कुछ मेट्रोपॉलिटन शहरों का अध्ययन किया गया है पर कोई भी अध्ययन ग्रामीण-शहरी सीमान्त सीमा के वास्तविक क्षेत्र सर्वेक्षण पर आधारित नहीं है। दिल्ली, बैंगलोर, वाराणसी, हैदराबाद, कोलकाता उल्लेखनीय अध्ययन हैं, लेकिन ये भारत की जनगणना के आधार पर अत्यंत बड़े हैं और इनमें कई अंग हैं।

जनसंख्या, घनत्व और शहरों का बढ़ना आदि सीमान्त क्षेत्रों का विस्तार करता है। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार यह देखा जा सकता है कि शहर किस प्रकार से बढ़ रहें हैं और इनका प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों पर कितना पड़ रहा है।

1.http://www.yourarticlelibrary.com/geography/rural-urban-fringe-concept-meaning-and-characteristics-and-other-details/40076

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id