भगवद गीता हिन्दू धर्म का पवित्र ग्रन्थ है। भगवद गीता का अर्थ होता है भगवान की ध्वनि। गीता में कुल 18 अध्याय और 700 छंद हैं, इनमें से 23 से लेकर 40 तक के अध्याय महाभारत पर आधारित हैं। गीता उन सभी बातों को दर्शाती है जो भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान अर्जुन को कही थीं। श्री कृष्णा ने अर्जुन को अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करने का उद्देश्य दिया था। भगवद गीता धर्म, सिद्धांत भक्ति, ज्ञान भक्ति, कर्म, राज योग (6ठे अध्याय में वर्णित) और सांख्य दर्शन के माध्यम से मोक्ष के योगी आदर्शों की संश्लेषण प्रस्तुत करती है। महाभारत परंपरागत रूप से ऋषि व्यास द्वारा वर्णित है और महाभारत भीष्म पर्व का हिस्सा भगवद गीता भी उनके ही द्वारा वर्णित है। विद्वान यह मानते हैं कि गीता की रचना 5वीं सदी ईसापूर्व में हुई थी।
गीता को मात्र एक धार्मिक पुस्तक के अलावा दर्शन के साथ भी जोड़ कर देखा जाता है। इस पुस्तक का कई भाषाओँ में अनुवाद किया गया है। गीता का अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है। 1808 में गीता का जर्मन भाषा में अनुवाद किया गया था। इसके अनुवादकर्ता फ्रेडरिक श्लेगल थे जिनको इस कार्य के बाद जर्मनी में भारतीय भाषा विज्ञान के संस्थापक के रूप में जाना जाने लगा था। स्वामी रामभद्राचार्य ने 30 नवंबर 2007 को मूल संस्कृत पाठ और एक हिंदी टिप्पणी के साथ पवित्रशास्त्र के पहले ब्रेल संस्करण को जारी किया। पूर्व तुर्की विद्वान-राजनीतिज्ञ, बुलेंट एसेविट ने तुर्की में गीता समेत कई संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद किया। गीता प्रेस ने गीता को कई भारतीय भाषाओं में प्रकाशित किया है। आर राघव इयेंगर ने गीता को तमिल में अनुवादित किया। भक्तिवेन्ता बुक ट्रस्ट फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, इतालवी, पोलिश, हंगेरियन, रूसी, कज़ाख, चीनी, जापानी, वियतनामी, हिब्रू, अरबी, स्वाहिली और सोलह भारतीय भाषाओं समेत 40 से अधिक भाषाओं में गीता प्रकाशित करता है। इस प्रकार हम देख सकते हैं कि गीता का प्रकाशन अन्य कई भाषाओँ में होता है तथा यह पता चलता है कि भगवद गीता विश्वभर में कितनी मशहूर है।
भगवद गीता का अनुवाद विश्वभर के कई भाषा विज्ञानियों ने किया तथा इस पर अपनी टिपण्णी भी दी। बाल गंगाधर तिलक व विनोबा भावे द्वारा दिया गया भगवद गीता पर लेख अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1. https://www.speakingtree.in/blog/different-versions-of-gita
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Bhagavad_Gita
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