बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध थे जिन्होंने अहिंसा व सत्यता के मार्ग को चुन कर एक नए धर्म की संस्थापना की। बौद्ध धर्म में कई चिह्नों व मार्गों का विवरण दिया गया है जो कि विभिन्न प्रकार से मानव जीवन को उदार और सरल बनाने का कार्य करते हैं। बौद्ध धर्म में जातकों द्वारा कई संदेशों को समाज में पहुंचाने का कार्य किया गया है। यही कारण है कि हम विभिन्न स्थानों पर जातकों की कहानियों का अंकन देखते हैं। मध्यप्रदेश के भरहुत, साँची आदि स्तूपों के तोरण द्वारों पर इन कहानियों को देखा जा सकता है। मेरठ में बौद्ध धर्म के कई अवशेष हमें प्राप्त हुए हैं तथा अशोक स्तम्भ भी प्राप्त हुआ है जो यह सिद्ध करता है कि मेरठ में बौद्ध धर्म अपनी पराकाष्ठा पर था। बौद्ध धर्म के आठ प्रतीक चिह्नों को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है-
1. श्वेत शंख (सफ़ेद शंख): सफ़ेद शंख बौद्ध धर्म की मधुर और संगीतमय शिक्षा को दर्शाता है जैसा कि तीनों तीपिटकों को इस अनुसार लिखा गया है कि ये एक गायन के रूप में भी पढ़े जा सकते हैं। यह हर प्रकार के व्यवहार वाले शिष्यों के लिए उपयुक्त है। शंख सभी को अज्ञानता से उठाकर अच्छे कर्म और दूसरों की भलाई करने की प्रेरणा देता है।
2. विजयी ध्वज: मानव द्वारा अपने शरीर और मन पर अंकुश लगा लेने का प्रतीक है विजयी ध्वज। यह बौद्ध धर्म के सिद्धांतों की विजय का भी प्रतीक है।
3. स्वर्ण मछली: स्वर्ण मछली सभी को निर्भय जीवन जीने की प्रेरणा देती है तथा यह डर से दूर हट कर निर्भीक होने का प्रतीक है। जिस प्रकार जल सरोवर में मछली निश्चिंत होकर तैरती है उसी प्रकार से यह जीवों को स्वच्छंद विचरण करने की प्रेरणा देती है।
4. पवित्र छत्री: पवित्र छत्री मनुष्यों को बीमारी, विपत्ति और सभी विनाशी ताकतों से सुरक्षित रखने की प्रतीक है। यह तेज धूप से छाया का आनन्द लेने का भी प्रतीक है।
5. धर्मचक्र: धर्मचक्र बौद्ध धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। भगवान् गौतम बुद्ध की एक मुद्रा को भी धर्मचक्र प्रवर्तन की मुद्रा के रूप में जाना जाता है। यह बौद्ध धर्म के सभी प्रकार के सिद्धांतों, जिनका बुद्ध ने अपने उपदेशों में उल्लेख किया है, का प्रतीक है। यह निरंतर विकास की ओर इंगित करता है।
6. शुभ आकृति: नाम से ही प्रतीत होता है कि यह आकृति शुभता का प्रतीक है और यह जीवन को सही से जीने की प्रेरणा देती है। यह आकृति धार्मिक और भौतिक जीवन के ऊपर निर्भरता का प्रतीक है। शुभ आकृति बौद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग की ओर भी इंगित करती है।
7. कमल का फूल: बौद्ध धर्म में कमल के फूल का बहुत महत्व है। यह शरीर, वचन और मन के शुद्धिकरण का चिह्न है।
8. शुभ कलश: शुभ कलश विभिन्न धर्मों में प्रदर्शित किया जाता है। सनातनी परंपरा में भी शुभ कलश का एक महत्वपूर्ण स्थान है। बौद्ध धर्म में शुभ कलश दीर्घायु, सुख संपत्ति, आनंद, अनवरत वर्षा व जीवन के सभी सुखों व लाभों का प्रतीक है।
इस प्रकार से बौद्ध धर्म के इन 8 चिह्नों को मानव व जीव जगत से जोड़ कर देखा जा सकता है।
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