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जब बात आती है कुछ चीज़ मापने की तोसुस्पष्टताबहुत ज़रूरी होती है लेकिन साथ ही कार्य की आसानी भी एक महत्वपूर्ण कारक होता है। वहीँ आता है नाम इंची टेप का। अक्सर हम यह शब्द सुनते हैं चाहे वह दर्जी की दुकान हो या राजगीर का काम। इंच टेप का प्रयोग किसी स्थान को मापने या किसी वस्तु को मापने में किया जाता है। इंच टेप का आविष्कार दुनिया बदलने वाला था।
सन 1821 में जेम्स चेस्टरमैन को स्प्रिंग से चलने वाली इंच टेप का पेटेंट मिला। 25 वर्षीय चेस्टरमैन नेअपने पेटेंट के आधार पर शेफ्फील्ड में चेस्टरमैन स्टील उद्यम की स्थापना की। यहाँ पर इंच टेप, कैलीपर आदि का उत्पादन किया जाता था और इसे यहाँ से अमेरिका भेजा जाता था। पहला जेब में रखने वाला इंच टेप सन 1842 में बनाया गया था। शुरुवाती इंच टेप कपड़े और तार के संयोजन कर के बनाया जाता था पर कालांतर में इसको स्टील का बनाया गया। यह स्टील का फीता ऐसा था कि इसे एक चमड़े के डब्बे में गोल मोड़ कर रखा जा सकता था। यह ऐसा था कि यदि टेप को डब्बे के बहार निकाला जाता था तो वह सीधा रहता था। ये टेप 6 मीटर की दूरी पर जोड़े हुए रहते थे।
1869 में साइंटिफिक अमेरिकन पत्रिका में इस टेप के बारे में एक लेख निकला जो टेप की गुणवत्ता व आधार पर था। 1954 में स्ताबिला नामक कंपनी ने एक अधिक चलने वाले फाइबरग्लास इंच टेप को बाजार में उतारा। स्टील फाइबर ग्लास से अधिक सटीक था तो यह अभी तक कार्य में है। वर्तमान काल में हर जगह पर इन स्टील के इंची टेप का प्रयोग होता है। भारत में इंची टेप का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। यहाँ पर विश्व के अन्य देशों की ही तरह इंच टेप एक जरूरी वस्तु बन कर सामने उभरा है, और सामान्यतया सभी घरों की जरूरत बन गया।