ब्रितानी शासकों के अधीन भारत में सन 1688 में डाक सेवा की शुरुवात की गयी थी लेकिन जनसामान्यों के लिए यह सेवा करीब-करीब 86 सालों के बाद ही शुरू हुई, इसका श्रेय जाता है वारेन हास्टिंग्स को। मुंबई में सन 1688 में ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारियों के लिए शुरू किये गए एक डाकबक्से से सन 1861 के आते आते कुल 889 डाकघर कार्यरत हो गए, आज स्वतंत्र भारत में यह संख्या 1,55,000 से भी ज्यादा है।
मेरठ अंग्रेजी लोगों के बड़े वस्तिस्थानों में से एक था क्यूंकि यहाँ पर छावनी भी थी और इसाई धर्म प्रसार हेतु बहुत से गिरिजाघर आदि का भी निर्माण किया गया था। सैनिकों को और इसाई धर्म प्रचारकों को चिट्ठियाँ और धर्म साहित्य भेजने के लिए यहाँ पर डाक-घर खुले थे।
आज भी भारत में कितनी ही जगहों पर सिर्फ डाक द्वारा ही संपर्क हो सकता है, कितनी ही जगहों पर आज भी शायद ब्रितानी काल से चले आते डाक-बक्से भी कार्यरत होंगे। डाक-बक्सों का इतिहास भी रंजक है, दुनिया में लाल रंग डाक-बक्सों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उसके बाद नीला, पीला और हरा रंग इस्तेमाल होता है। यह सभी रंग प्राथमिक रंग है, इनमें से लाल रंग अपनी तरफ आकर्षित करता है क्यूंकि रंग-विज्ञान के अनुसार इसकी तरंग सबसे लम्बी होती है और इंसान सबसे पहले रंगों में लाल रंग पहचान लेता है।
इंग्लैंड में सबसे पहले डाक-बक्से हरे रंग के थे जो सन 1856 में रिचर्ड रेड्ग्रेव ने लंदन और इंग्लैंड के बाकी शहरों के लिए बनाये थे लेकिन फिर सन 1866 से 1879 के बीच लाल रंग का इस्तेमाल शुरू हो गया, इस लाल रंग के डाक-बक्से फिर ब्रितानी शासन के अधीन बस्तियों में भी आ गया। जैसे जैसे डाक-बक्से एवं डाक-सेवाओं में समय के साथ और राज्यकर्ताओं की वजह से परिवर्तन आने लगा तो वह इनकी बस्तियों में भी आया।
बहुतायता से पुराने ब्रितानी काल के डाक-बक्सों का अध्ययन करने वाले इन्हें शासक के काल के अनुसार क्रमबद्ध करते हैं। यह क्रम कुछ इस प्रकार है:
1. विक्टोरिया रेजीना 1852 -1901: इनका राज सन 1837 में शुरू हुआ था लेकिन डाक-बक्सों की शुरुवात सन 1852 में हुयी थी। लोगों के लिए डाक-बक्सा सबसे पहले चैनल टापू पर सन 1852 में खड़ा किया गया, उसके बाद सन 1853 में बोचरगेट कार्लाइल में शहर के लिए डाक-बक्सा रखा गया।
2. एडवर्ड सप्तम रेक्स 1901-1910: इनका राज सिर्फ 9 महीनों तक ही चला पर इस राज्यकाल में बहुत ही दिलचस्प डाक-बक्से देखने को मिलते हैं। बिजली के खम्बे पर बंधे डाक-बक्से इसी काल में सबसे पहले देखने मिलते हैं, तथा छोटे बक्से जो दीवार पर लगाये जाते हैं वो भी इसी समय शुरू हुए। इनमें सबसे दिलचस्प था एक ऐसा बक्सा जो पीछे से भी खुलता था ताकि डाकपाल दुकान के अन्दर से भी डाक निकाल सके।
3. जॉर्ज पंचम रेक्स 1910- 1936: इनका राज्यकाल दूसरा सबसे बड़ा राज्यकाल था जिसके अंतर्गत इस राजा ने बहुत सी चीजों में मानकीकरण करवाया। दूरध्वनी का पूरे देश में काफी विस्तार हुआ तथा विमान-डाक सेवा भी शुरू हुई।
4. एडवर्ड अष्टम 1936: विंडसर के ड्यूक (Duke-सरदार) डेविड ने जॉर्ज पंचम के बाद एडवर्ड अष्टम नाम को धारण कर राजसत्ता हाथ में ली थी मगर राज्याभिषेक होने से पहले उन्होंने अपने पद का त्याग कर दिया। इसके बाद उनके भाई अल्बर्ट ने जॉर्ज षष्ठम की उपाधि लेकर राजसत्ता अपने हाथों में ले ली।
5. जॉर्ज षष्ठम रेक्स 1936- 1952: दूसरे विश्वयुद्ध की वजह से कच्चे माल की बढ़ती अनुपलब्धता की वजह से इस समय में बहुत ही कम डाक-बक्से बने हैं।
6. एलिज़ाबेथ द्वितीय रेजीना 1952 के आगे: यह राज्यकाल सबसे लम्बा राज्यकाल था तथा इसके तहत डाक-बक्सों में बहुत बदलाव आये, कुल 6 आकार के डाक-बक्से बनते थे। बहुतायता से जिन बक्सों पर संचयन की नियमावली और बाकी की जानकारी लिखी हुई पत्ती नहीं होती थी वे बक्से पीछे की तरफ से भी खुलते थे। डब्लू.टी. आलेन की कंपनी ने बड़े लम्बे समय तक ब्रितानी डाक बक्से बनाए हैं, एलिज़ाबेथ के समय के बहुत से शुरुवाती डाक-बक्से इनके ही हैं।
इन सभी के समयकाल के डाक-बक्सों पर इनका राजचिन्ह रहता था जो बहुतायता से उनके संपूर्ण नाम के प्रथम अक्षरों से बना होता था। इनके अलावा राजा-महाराजा एवं बड़े अफसरों-नवाबों के अपने भी ख़ास डाक-बक्से होते थे।
1. http://www.cvphm.org.uk/ViewTheHighlights.html
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Post_box
3. https://en.wikipedia.org/wiki/India_Post
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.