रामपुर का पिनकोड है 244901। आखिर क्या होता है यह पिनकोड? भारत की हर जगह को इससे क्यूँ जोड़ा गया है? पिन कोड पोस्टल इंडेक्स नंबर (Postal Index Number) का संक्षेप है। यह एक डाक सूचकांक संख्या प्रणाली है जिसे भारतीय डाक द्वारा किसी भी स्थान को विशिष्ट सांख्यिक पहचान देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रणाली की शुरुवात 15 अगस्त 1972 में केंद्रीय संचार मंत्रालय के अपर सचिव श्रीराम भिकाजी वेलणकर ने की थी। यह प्रणाली इंसानों द्वारा किये जाने वाले श्रेणीकरण को सहज बनाने के लिए तथा गलत पता, जगह के नाम और भारत में बोली जाने वाली असंख्य भाषाओं की वजह से डाक के कर्मचारियों को होने वाली असुविधा और उलझनों को दूर करने के लिए परिचित करायी गयी थी। इसके अंतर्गत भारत को भौगोलिक जरिये से 9 पिन क्षेत्रों में बांटा गया है, 8 प्रादेशिक और 1 कार्यात्मक (भारतीय सेना)। पिन कोड 6 अंको का होता है जिसमें पहला अंक क्षेत्र के लिए होता है, दूसरा उप-क्षेत्र के लिए और तीसरा उस क्षेत्र के ज़िले के लिए होता है, अंतिम तीन अंक उस ज़िले में स्थित डाक खानों को नियत किए जाते हैं।
भारतीय डाक की शुरुवात सन 1688 में मुंबई में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक डाक घर शुरू करके की थी, इस सेवा को क्लाईव ने सन 1766 में आगे बढ़ाया और सन 1774 में वारेन हेस्टिंग्स ने इसे जन सामान्यों के लिए खुला किया। सन 1861 के आते आते ब्रितानी भारत में तक़रीबन 889 डाकघर कार्यरत थे। भारतीय डाक विभाग पूरे विश्व में सबसे ज्यादा विस्तृत फैली हुई सरकार द्वारा चलाये जाने वाली डाक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत तक़रीबन 1,55,015 के आस-पास डाकघर कार्यरत हैं। भारतीय डाक की पहुँच देश के कोने-कोने तक जाल फैलाये हुयी है जो पूरे विश्व में अद्वितीय है। विश्व के सबसे ऊंचाई पर स्थित डाकघरों में से भारतीय डाक का एक डाकघर हिक्किम, हिमाचल प्रदेश में है तथा श्रीनगर के डल सरोवर में तैरता डाकघर स्थित है। विश्व की पहली आधिकारिक विमान-डाक ने भारत में ही 18 फरवरी 1911 में उड़ान भरी थी जिसमे ब्रितानी शासक पंचम जॉर्ज को लिखा पत्र भी शामिल था।
भारत में सबसे पहले चिपकनेवाला डाक-टिकट, सिंध डाक, सन 1852 में बार्टेल फ्रेर ने लाया था। संपूर्ण भारत में डाक भेजने के लिए वैध डाक-टिकट सन 1854 में शुरू किये गए जो आधा आना, एक आना, दो आने और चार आने के थे। इन सभी पर रानी विक्टोरिया का चित्रण था। सन 1882 में ईस्ट इंडिया कंपनी को ब्रिटिश साम्राज्य में पूरी तरह से विलीन करने के बाद नया डाक-टिकट संग्रह प्रस्तुत किया गया जिसमें रानी विक्टोरिया का चित्र विभिन्न प्रकार की चौखटों के अन्दर चित्रित होता था तथा ‘इंडिया पोस्टेज’ (India Postage) लिखा रहता था। स्वतंत्र भारत का पहला डाक-टिकट 21 नवम्बर 1947 में जारी किया गया जिसपर तिरंगा चित्रित था और जय हिन्द लिखा हुआ था।
आपने कभी आपके आस-पास के डाक-बक्से को देखा है जिसपर भारतीय डाक का प्रतीक चिह्न बना हुआ है? भरतीय पिनकोड प्रणाली की शुरुवात सन 1972 में हुई थी लेकिन जैसा हमने ऊपर पढ़ा, भारतीय डाक सेवा 16वीं शती में ही शुरू हो चुकी थी। हो सकता है कि आप जिस डाक-बक्से को देख रहे हों वो कुछ 150-200 साल पुराना हो!
उसके ऊपर बने प्रतीक चिह्न की वजह से आज वो हमारी डाक-प्रणाली का हिस्सा बन चुका है। भारतीय डाक का सबसे पहला चिह्न सन 1993 में सुप्रसिद्ध कल्पनाकार आर.के. जोशी ने बनाया था जो कार्य तत्परता तथा गतिशीलता को दर्शाता था। सन 2008 में भारत के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ओग्लीवी और माथेर रचना-संस्था की मदद से नये प्रतीक चिह्न का अनावरण किया। लाल पृष्ठभूमि पर पीले रंग का इस्तेमाल कर अप्रतिबंधित उड़ान भरते हुए पक्षी का आभासी चित्रण किया गया है जो भारतीय डाक की खासियत, का अधोरेखन है, भावनाओं को दूर दराज़ तक पहुंचाना । लाल रंग जुनून, शक्ति और प्रतिबद्धता को दर्शाता है तथा पीला रंग आशा, हर्ष और आनंद का प्रतिक है।
1. https://en.wikipedia.org/wiki/India_Post
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Postage_stamps_and_postal_history_of_India
3. http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-national/tp-karnataka/India-Post-launches-new-logo/article15309718.ece
4. https://archive.india.gov.in/hindi/pincodes.php
5. https://zerocreativity0.wordpress.com/tag/who-designed-indian-post-logo/
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