कैंची अत्यंत महत्वपूर्ण औज़ार के रूप में देखी जाती है। यह बाल काटने से लेकर ऑपरेशन तक के काम में आती है। मेरठ का कैंचियों से गहरा रिश्ता है। यहाँ पर कैंची एक प्रमुख उद्योग के रूप में देखी जाती है। चीन का ज़ेंग ज़ायोकुआन अपनी उम्दा कैंचियों के लिए जाना जाता है। यहाँ पर निर्मित कैंचियाँ मात्र कैंची ही नहीं अपितु यहाँ की संस्कृति से भी जुड़ी हुयी हैं। यह कंपनी तीन सौ साल से भी पुरानी है और 120 प्रकार की कैंचियाँ बेचती हैं।
वास्तविक कैंची सरल आकार और प्रकार के कारण अत्यंत खूबसूरत होती है। इसमें दो समान प्रकार की पत्तियां होती हैं जिनके निचले भाग पर एक हत्था लगा होता है और वे दोनों मध्य में जुड़ी होती हैं। कैंची का सही प्रकार दायें व बाएं हाथ से काम करने वालों के लिए सटीक होता है। कैंचियों को हल्का व सही अनुपात वाला होना चाहिए, इससे काम करने में आसानी होती है। सन 1663 में चीन का ज़ेंग डालोंग कैंची कारखाना इसके मालिक के बेटे को सौंपा गया और डालोंग नाम के स्थान पर इसका नाम ज़ेंग ज़ायोकुआन पड़ा। यह कंपनी दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़ी कंपनियों के शीर्ष में आती है। कैंचियों का इतिहास 1400 ईसा पूर्व तक जाता है। उस समय यह एक ब्लेड के रूप में थी और पहली शताब्दी के करीब यह बहुत हद तक वर्तमान आकार में आ गई थी। यह कहना कतिपय गलत नहीं होगा कि कैंचियों के प्रकार अनेकोनेक हैं; ब्लेड के आकार प्रकार, इनके उभार और बैठाव आदि।
सबसे ज्यादा प्रयोग में ली जाने वाली और और सबसे आम कैंची शार्प ब्लंट (Sharp Blunt) नाम से जानी जाती हैं। कैंचियाँ प्रयोग में अत्यंत सुगम और सुरक्षित होती हैं। कारण है इनका आकार और बनावट। ये सही प्रकार से हाथ में आती हैं तथा बारीक से बारीक कार्य करने में कुशलता का प्रमाण देती हैं। यही कारण है कि ऑपरेशन के दौरान डाक्टरों के हाथ से कैंचियाँ सटीक से सटीक कार्य कर लेती हैं। कैंचियों का व्यापार अपनी पराकाष्ठा पर 18 वीं शताब्दी के मध्य में पंहुचा जब यूरोप में स्टील व्यापार अपने चरम पर था। आज पूरे विश्व में कैंचियाँ पायी जाती हैं तथा इनका प्रयोग भी बड़े पैमाने पर किया जाता है। विश्व का शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहाँ पर कैंचियाँ न पायी जाती हों। मेरठ में यह व्यापर 19 वीं शताब्दी में आया था और तब से ही यह यहाँ पर अपना एक स्थान बना चुका है। इस व्यापार से जुड़ने के कारण मेरठ में कई लोगों को रोजगार मिल पाया है। मेरठ में वैसे तो कई प्रकार की कैंचियाँ बनती हैं पर यहाँ की मुख्य कैंची कपड़े आदि काटने वाली हैं जिसका एक कथन है “दादा ले पोता बरते”। यहाँ पर कैंचियाँ लोहे आदि के कबाड़ को पुनर्चक्रण कर बनायीं जाती हैं।
1. मास प्रोडक्शन- फाइडॉन प्रेस
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