वर्तमान काल में जब हम देखते हैं तो यह पता चलता है कि किस प्रकार से हम सभी विदेशी नस्लों के कुत्तों की तरफ आकर्षित हैं और हम किस प्रकार से विदेशी नस्ल के कुत्तों को पालतू बनाते हैं। हम इस तथ्य से बिलकुल अनजान हैं कि भारतीय नस्ल के कुत्ते विदेशी कुत्तों से अधिक समझदार और विशेष होते हैं जिसका प्रमुख कारण यह है कि भारतीय नस्ल के कुत्ते यहाँ की भौगोलिक स्थिति व मौसम के अनुकूल होते हैं।
एस. थियोडोर भास्करन की किताब “द बुक ऑफ़ इंडियन डॉग्स” जो कि भारतीय नस्ल के कुत्तों पर लिखी गयी एकमात्र पूर्ण किताब है और भारतीय नस्ल के कुत्तों की महत्ता और उनके प्रकारों पर एक गहरी नज़र प्रस्तुत करती है। यह किताब भारतीय नस्ल के कुत्तों के प्रजनन और उनपर किये गए प्रयोगों पर भी अपनी टिप्पणी प्रस्तुत करती है।
भारतीय नस्ल के कुत्तों में रामपुर हाउंड, मुधोल हाउंड आदि प्रमुख हैं। अभी हाल ही में मुधोल नस्ल के कुत्तों को भारतीय सेना में शामिल किया गया है। मुधोल नस्ल सन 1920 के दौरान एक शिकारी कुत्ते के रूप में सामने आयी थे। इनका नाम मुधोल इसलिए पड़ा था क्यूंकि ये मुधोल के घोरपड़े राजा द्वारा संरक्षित थे। मुधोल बगलकोट कर्नाटक में आता है। मुधोल हाउंड पर भारतीय डाक ने एक स्टाम्प भी जारी किया था। सेना में ये कुत्ते बम खोजी और अन्य प्रकार की सेवाएं प्रदान करने के लिए शामिल किये जा रहे हैं जैसा कि ये कुत्ते भारतीय वातावरण के अनुरूप हैं तथा इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है। ये कुत्ते ज्यादा भोजन नहीं ग्रहण करते तथा ये भौकते भी बहुत कम हैं। ये सारी योग्यताएं इन कुत्तों को सेना के लिए उत्तम बनाती हैं।
हाउंड कुत्तों का एक बड़ा लम्बा और शानदार इतिहास है। यह माना जाता है कि हाउंड कुत्ते मराठा सेना का अहम हिस्सा थे तथा ये ब्रिटिश और मुगलों से युद्ध करने के दौरान प्रयोग में लाये जाते थे। मुधोल नस्ल ने सबसे पहले राजा मलोजिराव घोरपड़े (1884-1939) के राज्यकाल के दौरान प्रसिद्धि पाई थी जब राजा इनका प्रयोग शिकार के लिए करता था। घोरपड़े ने राजा जॉर्ज पंचम को 2 कुत्ते भेंट किये थे तथा वहीँ से इस नस्ल का नाम मुधोल पड़ा। इस कुत्ते की नस्ल का इतिहास 500 ईसा पूर्व तक जाता है, बी.सी. रामकृष्ण व पी.वाई. यथिंदर के शोध के अनुसार ये कुत्ते उत्तरी अफ्रीका (स्लौघी) और पूर्व मध्य (सलूकी) के कुत्तों और ग्रे हाउंड की नस्लों के मिश्रण से बने हैं।
सेना में शामिल करने से पहले इन कुत्तों का प्रशिक्षण मेरठ कैंट में होता है। इनके प्रशिक्षण के लिए मेरठ में 200 एकड़ की जमीन प्रदान की गयी है जहाँ पर इनको प्रमुखता से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन कुत्तों को बम निष्क्रिय करना व सेना में दुश्मनों के हौसले पस्त करना सिखाया जाता है।
1. द बुक ऑफ़ इंडियन डॉग्स, एस थियोडोर भास्करन
2. https://www.livemint.com/Leisure/pEeAGswUURwxKXJJIghESI/Paws-on-the-ground.html
3. https://thewire.in/books/book-of-indian-dogs
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