जब हम शंख बजाते हैं तब शंख से ॐ (OM) की ध्वनि निकलती है। इस ध्वनि को हिन्दू मान्यता के अनुसार पवित्र माना जाता है और यह भी माना जाता है कि पृथ्वी के बनने के पूर्व देवता ने शंख बजाया था। पौराणिक मान्यता के अनुसार शंख की कहानी कुछ इस तरह है - शंखासुर नमक असुर ने देवताओं को हराकर समुद्र के तल की ओर प्रस्थान किया। देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद की गुहार लगाई, भगवान विष्णु ने एक मछली के भेस में अवतार लिया जिसे मत्स्य अवतार कहते हैं और उन्होंने शंखासुर का वध किया। जो शंख भगवान विष्णु ने बजाया था उसे पांचजन्य कहते हैं और हम उस शंख को विष्णु के हाथों में देख सकते हैं (मूर्तियों या चित्रों में)। शंख सत्य को असत्य के ऊपर और अच्छाई को बुराई के ऊपर दर्शाता है। शंख का बजाना बुरी ध्वनियों से इंसान को मुक्त करता है, शंख की पवित्र आवाज़ इन्सान और जानवर दोनों के लिए ही मधुर है; बाहरी वातावरण में हो रहे शोर को दूर करने में और ध्यान को केन्द्रित करने के लिए लोग शंख बजाते हैं।
जब भी घर में पूजा या आरती होती है, तब शंख बजाया जाता है और हमेशा शंख को देवता के बगल में रखा जाता है, यह सत्य को दर्शाता है। शंख बजाने का सेहत पर असर - हाल ही में किये गये शोध से यह पता चला है कि शंख बजाने से फेफड़ों की ताकत और मजबूत हो जाती है, इससे ह्रदय रोग होने की संभावना घट जाती है। संस्कृत में एक मंत्र है जो शंख बजाने के इतिहास को व्यक्त करता है -
त्वम् पुरा सागारोत पन्नाहा
विष्णुना विध्रुताहकारे
देवैस्चा पूजिता सर्वही
पांचजन्य नमोस्तु ते
हिंदी में अर्थ - पांचजन्य को अभिवादित करते हुए समुद्र में शंख का जन्म हुआ। भगवान विष्णु के हाथों में यह शंख है जो सभी देवताओं द्वारा पूजा जाता है।
1. इन इंडियन कल्चर व्हाई डू वी... – स्वामिनी विमलानान्दा, राधिका कृष्णकुमार
2. हिन्दू राइट्स एंड रिचुअल्स, के. वी. सिंह
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