सन 1803 में मराठा साम्राज्य के दौलत राव सिंधिया ने अपना छेत्र ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया। 1818 में शहर को नामास्र्तोत ज़िला का मुख्यालय बना दिया गया। मेरठ मशहूर तौर पर इसलिए जाना जाता है क्योंकि इसी शहर में 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ था, यह संग्राम ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) के खिलाफ हुआ था और इस संग्राम का मशहूर नारा था 'दिल्ली चलो'। मेरठ की छावनी ही वह जगह थी जहाँ से बगावत शुरू हुई थी, इस जगह पर हिन्दू और मुसलमान सैनिकों ने दावा किया था की उनको दिए गए राइफल्स में जो कारतूस इस्तेमाल होते हैं वह गाय और सूअर की चर्बी से बनते हैं। मेरठ ही वह स्थान था जहाँ पर विवादस्पद मार्च 1929 का मेरठ कांस्पीरेसी केस हुआ था| यहाँ बहुत से श्रम संघवादी जिनमे तीन अंग्रेज़ थें उन्हें गिरफ्तार किया गया था , क्योंकि उन्होंने भारतीय रेल पर धरना दे दिया था। मेरठ में बिजली 1931 में लाई गई, 1940 में मेरठ के सिनेमाघरों में यह शर्त थी की जब भी ब्रिटिश का राष्ट्र गान हो रहा हो तब कोई भी अपनी जगह से नहीं हिल सकता था। आज़ादी के पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अंतिम अधिवेसन 26 नवम्बर 1946 को विक्टोरिया पार्क में हुआ था और इसी अधिवेसन में संविधान बनाने की योजना बनायीं गयी थी।
मराठाओं के साथ मिलकर अंग्रेजों ने 1803 में मेरठ के छोर को ही छुआ था। 1806 में मेरठ में छावनी बनाई गई थी, इस छावनी को दिल्ली और गंगा नदी के समीप बनाया गया था। कुछ ही समय में मेरठ बढ़ते-बढ़ते भारत का सबसे अग्रिम सैन्य स्टेशन बन गया और इससे शहर में काफी बढ़ोतरी हुई। मेरठ में कई ऐसी जगहें हैं जो अद्भुत इतिहास होने का दावा करती हैं,
1- हस्तिनापुर के जैन मंदिर
2- संत जॉन चर्च
3- औघड नाथ मंदिर
4- जामा मस्जिद
5- शाहपुर की मस्जिद
6- शाही ईद गाह
7- परीक्षित गढ़
8- बली मियां की दरगाह
मेरठ विश्व का 63 वा और भारत का 14 वा तेज़ी से विकसित होने वाला शहर है। मेरठ शहर में काफी नए योजनायें किये जा रहे हैं और इन योजनाओं में बड़ी इमारतों का बनाना भी शामिल है। मेरठ शहर का विस्तार ब्रिटिश काल में सुव्यवस्थित तरीके से किया गया था। यही कारण है की हम यहाँ पर अग्निशामक यंत्र, कहीं कहीं सीमेंट के बिजली के खम्बे आदि देखते हैं।
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