डीज़ल जनरेटरों के उपयोग पर, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के क्या हैं नए दिशानिर्देश ?

मेरठ

 16-12-2024 09:33 AM
जलवायु व ऋतु

हमारा शहर मेरठ, आज गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या का सामना कर रहा है। हाल ही में, शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (ए क्यू आई), 132 था, जो “संवेदनशील आबादी के लिए अस्वास्थ्यकर” श्रेणी में आता है। यह प्रदूषण स्तर, विशेष रूप से बच्चों, बुज़ुर्गो और श्वसन संबंधी समस्याओं वाले लोगों जैसी, कमज़ोर आबादी के लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरा पैदा करता है। वायु प्रदूषण वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक गतिविधि, निर्माण धूल और फ़सल अवशेषों को जलाने जैसे कारकों से होता है। धूम्रपान न करने वाले लोगों में भी, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ सहित, अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों के साथ, यह स्थिति सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए बेहतर वायु गुणवत्ता प्रबंधन और मज़बूत प्रदूषण नियंत्रण उपायों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। आज, हम चर्चा करेंगे कि, वायु प्रदूषण, श्वसन समस्याओं से लेकर हृदय रोगों तक, मानव स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डालता है। इसके बाद, हम डीज़ल जनरेटर के पर्यावरणीय परिणामों की जांच करेंगे, जिसमें, वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन में उनका योगदान भी शामिल है। अंत में, हम डीज़ल जनरेटर के उपयोग पर उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यू पी पी सी एल) के नए दिशानिर्देशों की समीक्षा करेंगे, जिसका उद्देश्य, उनके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है।
वायु प्रदूषण, हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है ?
वायु प्रदूषण का जोखिम, मानव कोशिकाओं में ऑक्सीडेटिव तनाव(Oxidative stress) और सूजन से जुड़ा है, जो पुरानी बीमारियों और कैंसर की नींव रख सकता है। उच्च वायु प्रदूषण के जोखिम से संबंधित सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं में – कैंसर, हृदय रोग, श्वसन रोग, मधुमेह मेलेटस, मोटापा, एवं प्रजनन, तंत्रिका व प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी विकार शामिल हैं।
प्रमुख सड़क मार्गों के पास रहने वाली, 57,000 से अधिक महिलाओं पर किए गए एक बड़े अध्ययन से पता चला कि, महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। बेंज़ीन (Benzene) एक औद्योगिक रसायन और गैसोलीन का घटक है। इसके संपर्क से ल्यूकेमिया हो सकता है, और यह नॉन- हॉजकिंस लिंफ़ोमा(Non-Hodgkin’s Lymphoma) से जुड़ा हुआ है।
2000-2016 के एक दीर्घकालिक अध्ययन में, फ़ेफ़डों के कैंसर की घटनाओं और ऊर्जा उत्पादन के लिए, कोयले पर बढ़ती निर्भरता के बीच संबंध पाया गया था। वृद्ध वयस्कों के राष्ट्रीय डेटासेट का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने पाया कि, पी एम 2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड(NO2) के 10 साल लंबे संपर्क में रहने से, कोलोरेक्टल और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। ये सूक्ष्म कण, रक्त वाहिका के कार्य को ख़राब कर सकते हैं, और धमनियों में कैल्सीफ़िकेशन को तेज़ कर सकते हैं।
राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान, उत्तर कैरोलिना(The National Institute of Environmental Health Sciences, North Carolina) के शोधकर्ताओं ने रजोनिवृत्त महिलाओं द्वारा, नाइट्रोजन ऑक्साइड के अल्पकालिक दैनिक संपर्क और रक्तस्रावी स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम के बीच, संबंध स्थापित किया है।
कुछ वृद्ध अमेरिकियों के लिए, यातायात-संबंधी वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से, उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन का स्तर कम हो सकता है। इसे कभी-कभी अच्छा कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। राष्ट्रीय विषाक्त विज्ञान कार्यक्रम टॉक्सिकोलॉजी प्रोग्राम (एन टी पी) की रिपोर्ट के अनुसार, यातायात-संबंधी वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से, गर्भवती महिला के रक्तचाप में बदलाव का खतरा भी बढ़ जाता है, जिसे उच्च रक्तचाप संबंधी विकारों के रूप में जाना जाता है। ये विकार, समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन और मातृ एवं भ्रूण बीमारी और मौत का प्रमुख कारण है।
वायु प्रदूषण, फ़ेफ़डों के विकास को प्रभावित कर सकता है और वातस्फीति, अस्थमा और अन्य श्वसन रोगों, जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (सी ओ पी डी) के विकास को बढ़ावा दे सकता है।
अस्थमा की व्यापकता और गंभीरता में वृद्धि, शहरीकरण और बाहरी वायु प्रदूषण से जुड़ी हुई है। कम आय वाले शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में, दूसरों की तुलना में अस्थमा के मामले अधिक होते हैं। 2023 में प्रकाशित एक शोध ने, बच्चों के वायुमार्ग में अस्थमा से संबंधित परिवर्तनों के लिए दो वायु प्रदूषकों – ओज़ोन और पी एम 2.5 को ठहराया है।
देश भर में 50,000 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में, पीएम 2.5, पीएम 10 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के लंबे समय तक संपर्क को, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस (chronic bronchitis) से जोड़ा गया था।
पश्चिमी अमेरिका में, कोविड–19 महामारी और जंगल की आग के संगम पर आधारित, एक अध्ययन में जंगल की आग के धुएं के संपर्क में आने को कोविड-19 के अधिक गंभीर मामलों और मौतों से जोड़ा गया है।
डीज़ल जेनरेटर का पर्यावरण पर प्रभाव-
डीज़ल जनरेटरों से होने वाले वायु प्रदूषण में, 40 से अधिक वायु प्रदूषक होते हैं, जिनमें कई ज्ञात या संदिग्ध कैंसर पैदा करने वाले पदार्थ शामिल हैं। इन प्रदूषकों के अधिक संपर्क में आने से, श्वसन संबंधी बीमारियां और हृदय रोग बढ़ जाते हैं। यह अम्लीय वर्षा का भी कारण बनता है, जो पौधों के विकास को नुकसान पहुंचाता है। इनसे, यूट्रोफ़िकेशन(Eutrophication) भी बढ़ता है, जो पानी में पोषक तत्वों का अत्यधिक संचय है, जो अंततः जलीय पौधों को मार देता है।
चूंकि, जनरेटर डीज़ल का उपयोग करते हैं, वे एक प्राकृतिक गैस बिजली संयंत्र की तुलना में, कहीं अधिक जलवायु परिवर्तन-उत्प्रेरण उत्सर्जन उत्पन्न करते हैं। डीज़ल जनरेटर के शक्तिशाली और टिकाऊ होने का एक लंबा इतिहास है, लेकिन, यह पर्यावरणीय रूप से समस्याग्रस्त भी है। इसकी विशेष दहन प्रक्रिया के कारण, डीज़ल इंजन के उत्सर्जन मुद्दे, हमेशा मुख्य रूप से नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर(पी एम) के साथ रहे हैं।
हालांकि, डीज़ल से कार्बन उत्सर्जन होता है, लेकिन, यह कम महत्वपूर्ण समस्या नहीं है। पार्टिकुलेट मैटर मूल रूप से कालिख है, जो डीज़ल ईंधन के अधूरे जलने से उत्पन्न होता है। यह तब हो सकता है, जब इंजन को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही हो। पीएम को एक प्रमुख प्रदूषक माना जाता है, जो वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। साथ ही, यह जलवायु पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसी तरह, नाइट्रोजन के ऑक्साइड वनस्पति और ओज़ोन के लिए हानिकारक है और श्वसन तथा अन्य बीमारियों में योगदान दे सकते हैं।
डीज़ल जनरेटर के उपयोग को कम करने पर, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के नए दिशानिर्देश –
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यू पी पी सी एल) के वितरण प्रभाग – पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (पी वी वी एन एल) ने बढ़ती प्रदूषण चिंताओं के कारण, डीज़ल जनरेटर के उपयोग को प्रतिबंधित करने वाले दिशानिर्देश जारी किए हैं। पी वी वी एन एल की प्रबंध निदेशक – ईशा दुहान ने विवाह स्थल मालिकों को, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए, अपने प्रतिष्ठानों में डीज़ल जनरेटरों का उपयोग, बंद करने का निर्देश दिया है।
पी वी वी एनएल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 ज़िलों को सेवाएं प्रदान करता है, जिनमें नोएडा, गाज़ियाबाद, बुलन्दशहर, हापुड, बागपत, हमारा ज़िला मेरठ और अन्य ज़िले शामिल हैं। इन ज़िलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक की रीडिंग खराब से लेकर, गंभीर श्रेणी तक दर्ज की गई, जो महत्वपूर्ण प्रदूषण स्तर का संकेत देती है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण, मेरठ, शामली, गाज़ियाबाद आदि सहित, राज्य के कई ज़िलों में, कक्षा 1 से 12 तक के सभी शैक्षणिक संस्थान भी बंद हैं। यह निर्णय, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (Graded Respnse Action Plan) के चरण IV के कार्यान्वयन और वायु प्रदूषण के संबंध में, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में लिया गया है।


संदर्भ
https://tinyurl.com/37rk8p9v
https://tinyurl.com/42uwnuvm
https://tinyurl.com/3fscxa7j

चित्र संदर्भ
1. एक डीज़ल जनरेटर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. दिल्ली में प्रदूषण को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. फ़ेफ़डों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मिस्र के एक पर्यटक रिसॉर्ट में रखे 150 के वी ए (kVA) के एक डीज़ल जनरेटर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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