आधुनिक दुनिया बड़ी ही तेज़ी के साथ बदल रही है। इस बदलाव को गति देने में ऊर्जा का बहुत बड़ा योगदान है। साल 2000 से, भारत ने वैश्विक ऊर्जा मांग में लगभग 10% की हिस्सेदारी निभाई थी । ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of Power) के अनुसार, अप्रैल 2023 तक, भारत में बिजली की खपत, 1,503.65 बिलियन यूनिट (बी यू) तक पहुँच गई। 2011 की जनगणना के घरेलू सर्वेक्षण (Household Assets Survey) में पाया गया कि मेरठ के 433,174 घरों में मुख्य प्रकाश स्रोत के रूप में पारंपरिक बिजली का इस्तेमाल होता है।
आज राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर, हम भारत में बिजली क्षेत्र की वर्तमान स्थिति को समझेंगे। इसी क्रम में हम यह भी जानेंगे कि भारत को अपनी ऊर्जा दक्षता क्यों सुधारनी चाहिए। इसके लिए, हम राष्ट्रीय संवर्धित ऊर्जा दक्षता मिशन (National Mission for Enhanced Energy Efficiency) पर भी बात करेंगे। इस मिशन ने ऊर्जा का अधिक उपयोग करने वाले उद्योगों में दक्षता बढ़ाने के कई कदम उठाए हैं। अंत में, हम नवीकरणीय ऊर्जा के विकास और उत्पादन में भारत के प्रयासों पर भी नज़र डालेंगे।
बिजली उत्पादन और खपत के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। 30 जून, 2024 तक, भारत की स्थापित बिजली क्षमता 446.18 गीगावाट (GW) आंकी गई है। इसमें से 203.19 GW यानी लगभग 45.5% बिजली की आपूर्ति नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से की जाती है। इसमें सौर ऊर्जा का योगदान 85.47 GW, पवन ऊर्जा का 46.65 GW, बायोमास 10.35 GW, और लघु जल विद्युत, 5.00 GW का योगदान करते हैं। साथ ही अपशिष्ट से 0.59 GW ऊर्जा और जल विद्युत से 46.93 GW उर्जा का उत्पादन किया जाता है।
वित्त वर्ष 2023 में, भारत ने गैर-जल नवीकरणीय ऊर्जा में 15.27 GW जोड़ा, जो पिछले वर्ष 2022 के 14.07 GW से अधिक है। FY23 में, भारत ने 30 वर्षों में बिजली उत्पादन में सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज की। जनवरी 2024 तक बिजली उत्पादन में 6.80% की वृद्धि हुई। इस दौरान बिजली का उत्पादन 1,452.43 बिलियन किलोवाट-घंटे (kWh) तक पहुँच गया। अप्रैल 2023 में बिजली खपत 1,503.65 बिलियन यूनिट (BU) थी।
जून 2024 में, भारत में बिजली की अधिकतम मांग 249.85 GW तक पहुँच गई। FY23 के पहले नौ महीनों में कोयला आधारित संयंत्र 73.7% क्षमता पर चले, जो पिछले वर्ष के 68.5% से अधिक है। FY24 में थर्मल पावर प्लांट की क्षमता में 63% वृद्धि होने की उम्मीद है, जो बढ़ती मांग और नई क्षमता की सीमित उपलब्धता से प्रेरित है।
हालांकि इन आंकड़ों के इतर भारत को ऊर्जा दक्षता में सुधार की करने की सख्त आवश्यकता है। आज वैश्विक स्तर पर ऊर्जा दक्षता के मामले में भारत पाँचवे सबसे निचले स्थान पर है। इसका मतलब है कि हमारी ऊर्जा खपत के मुकाबले ऊर्जा का उत्पादन कम हो रहा है। साल 2000 में प्राथमिक ऊर्जा की मांग 450 मिलियन टन तेल समतुल्य (TOE) थी, जो 2012 में बढ़कर 770 मिलियन टन हो गई। 2030 तक इसके 1,250-1,500 मिलियन टन तक पहुँचने का अनुमान है।
जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और आर्थिक विकास बनाए रखने के लिए भारत को स्पष्ट योजनाओं की ज़रूरत है। हालांकि इस संदर्भ में सरकार ने हाल के वर्षों में बिजली और स्वच्छ ईंधन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सराहनीय प्रयास किए हैं। ऊर्जा दक्षता बढ़ाने पर ध्यान देना भारत की प्राथमिकता होनी चाहिए।
भारत की उर्जा दक्षता बढ़ाने में, राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता संवर्धन मिशन (एन एम ई ई) बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है। दरअसल राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता संवर्धन मिशन (National Mission for Energy Efficiency Promotion) का उद्देश्य ऊर्जा के उपयोग को अधिक बेहतर और दक्ष बनाना है।
इसमें निम्नवत प्रमुख पहलें शामिल हैं, जो ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए काम करती हैं।
1. पैट योजना (PAT Scheme): प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (Performance, Achievement and Trade (PAT) योजना का उद्देश्य उत्पादन की प्रति इकाई पर ऊर्जा का उपयोग कम करना है। यह योजना खास तौर पर नामित उपभोक्ताओं (DC) के लिए बनाई गई है। इस योजना के
तहत ऊर्जा बचाने के लिए व्यापार का एक तंत्र तैयार किया गया है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के ऊर्जा बचत लक्ष्यों की जानकारी दी गई है।
2. एम् टी ई ई (MTEE) (ऊर्जा दक्षता के लिए बाजार परिवर्तन): इस पहल का ध्यान ऊर्जा-कुशल उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने पर है। इसके लिए प्रोत्साहन और नए व्यवसाय मॉडल अपनाए जाते हैं।
3. बचत लैंप योजना (BLY): इस योजना के तहत पुराने बल्बों को कॉम्पैक्ट फ़्लोरोसेंट लैंप (compact fluorescent lamp) से बदलने पर जोर दिया जा गया। इसके तहत 29 मिलियन सी एफ़ एल लगाए गए और प्रति वर्ष 3.598 बिलियन यूनिट ऊर्जा बचाई गई।
4. सुपर-एफ़िशिएंट इक्विपमेंट प्रोग्राम (SEEP): यह कार्यक्रम ऊर्जा-कुशल उपकरणों को बाज़ार में लाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
5. ई ई ई पी (EEEP) या ऊर्जा दक्षता वित्तपोषण प्लेटफॉर्म: यह पहल परियोजना डेवलपर्स और वित्तीय संस्थानों को जोड़ने का काम करती है। इसके तहत ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिए समझौते किए गए हैं। साथ ही भारतीय बैंक संघ के साथ मिलकर वित्तीय संस्थानों को प्रशिक्षण भी दिया गया है।
6. फ़ीड (FEEED) या ऊर्जा कुशल आर्थिक विकास के लिए रूपरेखा: इस पहल का उद्देश्य, ऊर्जा दक्षता के लिए, वित्तीय उपकरण तैयार करना है। इसमें आंशिक जोखिम साझाकरण सुविधा (PRSF) शामिल है, जो परियोजनाओं के लिए आंशिक ऋण गारंटी प्रदान करती है। यह गारंटी पाँच वर्षों तक होती है और ऋण राशि का 40-75% तक कवर करती है।
7. भारत द्वारा स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा को बढ़ावा देने के प्रयास: 2000 से 2018 तक, भारत में लगभग 700 मिलियन लोगों को बिजली की सुविधा प्रदान की गई है। इसके तहत खाना पकाने के लिए प्रदूषण फैलाने वाले बायोमास ईंधन की जगह एल पी जी (LPG) और सौर ऊर्जा जैसे विकल्प अपनाए गए हैं।
2030 तक, ऊर्जा उपयोग में 50% तक की कमी लाने के उद्देश्य से ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता लागू की गई है। इसके अलावा, हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए सामाजिक और आर्थिक लाभ प्रदान करने के लिए, 2015 में स्मार्ट सिटीज़ मिशन शुरू किया गया है। टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाकर, देश के कई शहरों ने मिसाल कायम की है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2xnkfql3
https://tinyurl.com/26gnghn7
https://tinyurl.com/25f6myl6
https://tinyurl.com/24r6fbve
चित्र संदर्भ
1. घर की छत पर लगे सोलर पेनल को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. ग्रामीण मध्य प्रदेश में एक बिजली के टावर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. रात में जगमगाते बेंगलुरु (Bengaluru) शहर के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. घर की छत पर सोलर पेनल लगाते व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)