शिक्षा ही एकमात्र ऐसा शस्त्र है जिससे किसी भी प्रकार का युद्ध आसानी से जीता जा सकता है। शिक्षा का किसी भी गाँव, शहर, प्रदेश या देश की प्रगति से सीधा जोड़ होता है। शिक्षा दिमागी संतुलन व समाज में एक शांति भरा माहौल बनाने का एक महत्वपूर्ण जरिया है। शिक्षा मानव और पशु के मध्य अंतर को दर्शाती है। किसी ने सत्य ही कहा है शिक्षा मनुष्य को बेहतर बनाती है तथा इसकी सामाजिक स्थिति को भी शुद्ध करती है।
भारत प्राचीन काल में शिक्षा के लिए विश्वविख्यात था यहाँ के विश्वविद्यालय अत्यंत उत्तम कोटि के थे। यहाँ के प्रमुख विश्वविद्यालयों में नालंदा, तक्षशिला आदि शिक्षा का केंद्र थे। बनारस, इलाहाबाद, जौनपुर आदि मध्यकाल व प्राचीन काल में शिक्षा के गढ़ थे। बड़े-बड़े मनीषियों ने यहाँ की भूमि पर जन्म लिया और अपनी रचनाओं से विश्व को अचंभित कर दिया। गणितीय शुत्रों से लेकर लौह तकनीकी भारत में आदि काल से ही व्याप्त थी। आधुनिक समय आने तक भारत भर में शिक्षा के स्तर में अत्यंत गिरावट हुयी है। अंग्रेजी राज के दौरान भारत में दासता ने शिक्षा की कमर तोड़ने का कार्य किया था। मेरठ उत्तर प्रदेश के मुख्य जिलों में से एक है तथा यहाँ पर शिक्षा का अपना एक अलग ही महत्व है। मेरठ के साक्षरता दर व यहाँ मौजूद शिक्षा के पैमानों पर यदि नजर डाली जाये तो वो निम्नलिखित हैं-
साक्षरता दर 73% है तथा यहाँ स्त्री-पुरुष साक्षरता दर में 17% का अंतर है। छात्र– अध्यापक अनुपात माध्यमिक विद्यालय में 73 तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय में 25 है। शिक्षा छोड़ने का दर प्राथमिक विद्यालय में 4% तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय में 31% है। आंकड़ों के हिसाब से प्रति स्नातकोत्तर महाविद्यालय में लगभग 163 विद्यार्थियों पर मात्र 2 अध्यापक हैं। साक्षरता दर बढ़ने से ना ही लोगों की जीवन शैली बदलती है बल्कि रोजगार, व्यासाय के साधन भी बढते हैं।
1. सांख्यिकी, उत्तर प्रदेश 2014
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