रोहिलखंड का इतिहास

मेरठ

 04-04-2018 01:19 PM
मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

वैसे तो रोहिलखंड का इतिहास करीब चार हज़ार वर्ष तक जाता है परन्तु रोहिलखंड नाम कब से पड़ा और इस क्षेत्र में घटी घटनाएँ इस क्षेत्र व इस काल खंड को महत्वपूर्ण बनाती हैं। शुरूआती दौर में यह क्षेत्र रोहिलखंड के नाम से नहीं जाना जाता था। 12 वीं शताब्दी ई० से 18 वीं शताब्दी ई० तक यह क्षेत्र ' कठेर ' अथवा ' कठेहर ' के नाम से प्रचलित रहा था। कठेर की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर गंगा नदी, उत्तरी सीमा पर कुमायूँ का पहाड़ी क्षेत्र तथा पूर्वी सीमा पर अवध का क्षेत्र था। इसके अन्तर्गत वर्तमान रुहेलखण्ड का लगभग पूरा क्षेत्र आता था। यह क्षेत्र राजनैतिक रूप से अत्यंत मजबूत था। यही कारण था कि लोगों की निगाह इस क्षेत्र पर आधिपत्य पाने की थी।

18 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में एक वह दौर आया जब मुग़ल शासक औरंगजेब की मृत्यु हो गयी। इस वक़्त तक मुग़ल साम्राज्य कमजोर हो चुका था और वे अपने आधिपत्य क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित करने लायक नहीं बचें। मुगलों द्वारा बसाये गए जमींदारों, जागीरदारों आदि पर भी उनका नियन्त्रण घटने लगा। यह वो दौर था जब कठेर क्षेत्र में भी अराजकता फैल गयी तथा यहाँ के जमींदार स्वतन्त्र हो गये। 18 वीं शताब्दी में पहली बार रुहेला पठानों ने कठेर क्षेत्र (वर्तमान रुहेलखण्ड) में प्रवेश किया। रोहेला अफगानिस्तान में रोह नामक क्षेत्र से आये थे जिसका विवरण विभिन्न पुस्तकों आदि में हमें मिल जाता है। इनके आने वाले स्थान जो कि रोह नाम से जाना जाता था के कारण ही इन्हें रुहेला पठान कहा गया। दाऊद खाँ सर्वप्रथम 1707 ई० में रोह से इस कठेर क्षेत्र में आये। दाऊद खाँ ने इस कठेर क्षेत्र पर आधिपत्य स्थापित कर लिया तथा यहाँ पर रोहेलाओं की वंशानुगत शासन प्रणाली की शुरुआत हुयी। दाऊद खाँ के बाद उनके अन्य उत्तराधिकारियों ने यहाँ शासन किया तथा रुहेलों द्वारा इस क्षेत्र पर शासन करने के परिणामस्वरुप 1730 ई० से यह क्षेत्र (जो पूर्व में पंचाल व कठेर था) "रुहेलखण्ड" के नाम से जाना जाने लगा।

भारत में अंग्रेजों के आगमन के बाद 1763 से रुहेला सरदारों द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध शुजाउद्दौला को सहायता देने के साथ ही रुहेलों का स्वर्णकाल समाप्त हो गया तथा 1774 से 1801 ई० तक यह रुहेलखण्ड क्षेत्र अवध के नवाब शुजाउद्दौला के अधीन हो गया।

नवम्बर 1801 ई० में रुहेलखण्ड पर अंग्रेजों (ईस्ट इण्डिया कम्पनी) का अधिकार हो गया तथा उन्होंने रुहेलखण्ड को कमिश्नरी बनाया। 1857 एक महत्वपूर्ण दौर था जब रामपुर इस क्षेत्र के एक उभरते हुए राज्य के रूप में उदित हुआ था। एक दौर के बाद यह क्षेत्र रामपुर के अधीन हो गया और भारत के आज़ादी के दौरान ही रामपुर प्रिन्सिली स्टेट में शामिल हो उत्तर प्रदेश का एक अंग बना।

1. रूहेलखंड 1857 में, ज़ेबा लतीफ़
2. रोहेला इतिहास (इतिहास एवं संस्कृति) 1707-1774, डॉ डब्लू. एच. सिद्दीकी, रामपुर रज़ा लाइब्रेरी
3. http://www.ignca.nic.in/coilnet/ruh0002.htm

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