शिव देव हैं, महादेव हैं, शिव को सनातनी देवी देवताओं में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। शिव को कई रूपों में देखा जाता है जैसे- उमा महेश्वर, सदाशिव, नर्तक शिव, अर्धनारीश्वर आदि-आदि। नाम के अलावा शिव के कई रूप हैं इन्ही रूपों में से शिव का एक रूप है लिंग का। लिंग को एक चिन्ह के रूप में देखा जाता है जिसका कोई निश्चित आकार नहीं होता, यह अदृश्य होता है परन्तु फिर भी सभी जगहों पर व्याप्त रहता है।
प्राचीन हिंदू शास्त्र "लिंग पुराण" के अनुसार- सबसे महत्वपूर्ण लिंग गंध, रंग, स्वाद, आदि से रहित होता है, और इसे प्रकृति कहा जाता है। वेदों के काल के बाद लिंग भगवान शिव के अनवरत उत्पन्न होने वाले शक्ति का प्रतीक बन गया था। लिंग एक अंडे की तरह है और यह ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करता है। लिंग यह प्रदर्शित करता है कि पृथ्वी पर जीवन का आरम्भ प्रकृति और पुरुष के मिलन से हुआ है। यह सत्य, ज्ञान, और अनंत-सत्य और अनंत का भी प्रतीक है। शिवलिंग निर्माता की प्राथमिक ऊर्जा को दर्शाता है।
किंवदंती यह है कि पार्वती ने कांचीपुरम में रेती (बालू) से शिवलिंग का निर्माण किया और शिव की पूजा की। इस लिंग को पृथ्वी लिंग के रूप में जाना जाता है, जो कि प्रमुख तत्व पृथ्वी को दर्शाती है। कई मंदिरों के शिवलिंग स्वयंभू होते हैं जो कि स्वयं एक रूप में दिखाई देते हैं और जिन्हें छेनी से नहीं बनाया जाता है, वहीँ दूसरी ओर खुद से हाथ से बनाया हुआ शिव लिंग भी मंदिरों में स्थापित किया जाता है। लिंग को जिस पीठ पर रखा जाता है उसे योनी पीठ के नाम से जानते हैं यह मातृत्व व संसार के निर्माण के रूप में जाना जाता है। शिव ही समस्त देवों के अधिपति हैं। शिव लिंगों में 12 ज्योतिर्लिंग प्रमुख हैं। ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति के संबंध में पुराणों में अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं। वेदानुसार ज्योतिर्लिंग यानी 'व्यापक ब्रह्मात्मलिंग' जिसका अर्थ है 'व्यापक प्रकाश'। शिवलिंग के 12 खंड हैं, शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है। भारत भर में अलग अलग स्थानों पर इन ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गयी है।
1. लिंग पुराण
2. https://www.thoughtco.com/what-is-shiva-linga-1770455
3. https://www.artofliving.org/mahashivratri/significance-of-shiva-lingam
4. http://www.templenet.com/beliefs/shivling.htm
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