Post Viewership from Post Date to 31-Oct-2024 (5th) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2210 55 2265

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

वेक्टर जनित बीमारियों का ज्ञान, रामपुर में, सामुदायिक स्वास्थ्य को करेगा बेहतर

मेरठ

 26-10-2024 09:26 AM
कीटाणु,एक कोशीय जीव,क्रोमिस्टा, व शैवाल
हमारा शहर रामपुर, वेक्टर (Vector) जनित बीमारियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से कई बार जूझता है। मच्छरों और किलनी जैसे कीड़ों से फैलने वाली ये बीमारियां, हमारे समुदाय के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। इन बीमारियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए, रोकथाम और नियंत्रण उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है। शिक्षा और सामुदायिक भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करके, रामपुर सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ा सकता है और अपने सभी निवासियों के लिए, एक सुरक्षित वातावरण बना सकता है। आज, हम वेक्टर जनित बीमारियों से जुड़े लक्षणों के साथ अपनी चर्चा शुरू करेंगे और इस बात पर प्रकाश डालेंगे कि ये बीमारियां कैसे होती हैं। फिर, हम अपने समुदायों की सुरक्षा के लिए, प्रभावी रोकथाम रणनीतियों का पता लगाएंगे। इसके बाद, हम विभिन्न प्रकार की वेक्टर जनित बीमारियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर, उनके प्रभाव पर प्रकाश डालेंगे। अंत में, हम इन बीमारियों को फैलाने के लिए ज़िम्मेदार वेक्टरों की जांच करेंगे तथा रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के व्यापक संदर्भ में, उनकी भूमिका को समझेंगे।
वेक्टर जनित रोगों के लक्षण, स्थिति और रोग पैदा करने वाले रोगजनक के आधार पर भिन्न होते हैं। वेक्टर जनित रोगों के व्यापक रूप से रिपोर्ट किए गए, कुछ लक्षण इस प्रकार हैं।
1.चिकनगुनिया- इसके लक्षणों में, अचानक बुखार, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, मतली, थकान और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं। जोड़ों का दर्द, हफ़्तों तक रह सकता है।
2.डेंगू- इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में, अचानक तेज़ बुखार (जो कभी-कभी 39 डिग्री सेल्सियस या 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है), गंभीर सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, मतली, उल्टी, लिम्फ नोड्स (Lymph nodes) में सूजन, और चकत्ते शामिल हैं।
3.पीला बुखार- बुखार, मांसपेशियों में दर्द (विशेषकर पीठ में), ठंड लगना, सिरदर्द, भूख न लगना और मतली, इसके विशिष्ट लक्षण हैं, जो आमतौर पर तीन से चार दिनों के बाद, ख़त्म हो जाते हैं। कभी-कभी, तेज़ बुखार के साथ-साथ घटाव भी हो सकता है। इससे जठरीय रक्तस्राव, पीलिया, गहरे रंग का मूत्र, पेट में दर्द, और उल्टी जैसे गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इस बीमारी के खतरनाक चरण में प्रवेश करने वाले मामलों में से 50% मामले घातक होते हैं।
4.मलेरिया- मलेरिया के लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, पसीना आना, सिरदर्द, मतली, शरीर में दर्द, दस्त, उल्टी, सांस लेने में समस्या और सीने में दर्द शामिल हैं। मलेरिया के गंभीर मामलों में, पीलिया (त्वचा और आंखों के सफ़ेद हिस्से का पीला पड़ना) और कभी-कभी कोमा भी, हो सकता है।
5.प्लेग– ब्यूबोनिक प्लेग (Bubonic plague), लिम्फ नोड्स को प्रभावित करता है, व इनके सूजन और दर्द का कारण बनता है। इस बीमारी के दौरान, मौजूद घाव, मवाद से भर जाते हैं। जबकि, जब संक्रमण फेफ़ड़ों तक फैल जाता है, तो इसे न्यूमोनिक प्लेग (Pneumonic plague) कहा जाता है। इस चरण के लक्षणों में, निमोनिया के साथ, सांस लेने में तकलीफ़, सीने में दर्द, खांसी और कुछ मामलों में, बलगम में खून आना शामिल है।
6.टाइफ़स (Typhus)- तेज़ बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, खांसी, मांसपेशियों में गंभीर दर्द और थकान, इस बीमारी के सामान्य लक्षण हैं।
वेक्टर जनित बीमारियों से, खुद को बचाने के लिए, आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:
1.मच्छरों के काटने से बचें: खासकर सुबह और शाम के समय, बाहर जाते हुए, लंबी आस्तीन और पैंट पहनें।
2.कीट प्रतिरोधी का प्रयोग करें: मच्छरदानी के नीचे सोएं, जहां मच्छर नहीं आ सकते हैं।
3.किलनी के काटने से बचें: जंगल या घास वाले क्षेत्रों में, लंबी आस्तीन और पैंट पहनें। बाहर जाने के बाद, अपने शरीर पर किलनी कीटों की जांच करें। यदि आपको कोई किलनी मिल जाए, तो उसे चिमटी से सावधानीपूर्वक हटा दें।
4.रेत-मक्खी (Sand-fly) के काटने से बचें: उन क्षेत्रों में लंबी आस्तीन और पैंट पहनें, जहां रेत-मक्खी आम हैं।
5.टीका लगवाएं: पीला बुखार और जापानी एन्सेफ़लाइटिस (Japanese encephalitis) जैसी कुछ वेक्टर जनित बीमारियों के लिए, टीके उपलब्ध हैं।
•वेक्टर जनित रोगों का उपचार-
वेक्टर जनित बीमारियों का उपचार, विशिष्ट बीमारी के आधार पर अलग-अलग होगा। हालांकि, कुछ सामान्य उपचारों में, निम्नलिखित उपाय शामिल हैं:
•एंटीबायोटिक्स: एंटीबायोटिक्स का उपयोग, जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है।
•एंटीवायरल दवाएं: वायरल संक्रमण के इलाज के लिए, एंटीवायरल दवाओं का उपयोग किया जाता है।
•मलेरियारोधी दवाएं: मलेरियारोधी दवाओं का उपयोग, मलेरिया के इलाज के लिए किया जाता है।
•सहायक देखभाल: कुछ लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए, तरल पदार्थ और दर्द की दवा जैसी, सहायक देखभाल की आवश्यकता हो सकती है।
विभिन्न वेक्टर जनित रोग-
वेक्टर-जनित बीमारियां, मच्छरों, किलनी और रेत मक्खियों जैसे संक्रमित कीड़ों के काटने से होती हैं। इनमें से अधिकांश कीड़े, ‘वाहक’ हैं, जो मानव रक्त चूसते हैं, जिससे, उनमें रोगजनक का संचरण होता है। ये वेक्टर, पहले से ही संक्रमित मेज़बान (कोई जानवर या मानव) से, रोग पैदा करने वाले रोगजनक को निगलते हैं, और बाद में, किसी अन्य मनुष्य को काटते समय, इसे अन्य मनुष्यों तक पहुंचाते हैं। मच्छर, रेत मक्खी व किलनी के अलावा, ट्रायटोमाइन बग (Triatomine bugs) व ब्लैकफ्लाइज़ (Blackflies), आमतौर पर, वेक्टर-जनित बीमारियां फैलाते हैं।
वेक्टर के प्रकार के आधार पर, सामान्य वेक्टर जनित रोग, निम्नलिखित हैं:
मच्छर-
एडीज़ मच्छर (Aedes mosquito) चिकनगुनिया, डेंगू, पीला बुखार और जीका जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं। इसके अलावा, एनोफ़िलीज़ मच्छर (Anopheles mosquito) मलेरिया और लिम्फैटिक फाइलेरिया (Lymphatic filariasis) जैसी, परजीवी बीमारियों का कारण बनते हैं। जबकि, क्यूलेक्स मच्छर (Culex mosquito) जापानी एन्सेफ़लाइटिस और वेस्ट नाइल बुखार (West Nile fever) का कारण बनते हैं।
जूं-
जूं, टाइफस, ट्रेंच बुखार (Trench fever) और जूं-जनित आवर्ती बुखार जैसी, वेक्टर-जनित बीमारियों का कारण बनती है। रोग का प्रसार तब होता है, जब मेज़बान, जूं से संक्रमित मनुष्यों के सीधे संपर्क में आता है। यह संक्रमित व्यक्ति के साथ, सामान्य वस्तुएं, जैसे कपड़े, साझा करने से भी फैलता है।
किलनी-
वे क्रीमियन- कौंगो रक्तस्रावी बुखार (Crimean-Congo hemorrhagic fever) और तुलारेमिया(Tularaemia) के वायरस को, मनुष्यों में फैलाने के लिए जाने जाते हैं। किलनी कीटों द्वारा संक्रमित अन्य बीमारियों में, रिकेट्सियल रोग (Rickettsial diseases), पुनरावर्ती बुखार और किलनी-जनित एन्सेफ़लाइटिस शामिल हैं।
कृंतक-
चूहे, कृंतक हैं, जो शहरी वातावरण में सबसे आम हैं। हालांकि, चिपमंक्स (Chipmunks), ज़मीनी गिलहरियां, मर्मोट्स (Marmots) और लकड़ी के चूहे भी कुछ क्षेत्रों में वेक्टर-जनित संचरण का कारण बनते हैं। चूहे, उनके मूत्र के माध्यम से, जीवाणु संक्रमण वाली, लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis) बीमारी फैलाते हैं। यहां तक कि, वे गंदगी और मल के साथ, भोजन को दूषित करके बीमारियों के सतही स्थानांतरण का, कारण भी बनते हैं। कृंतक भी, मुरीन टाइफ़स (Murine typhus) का कारण बनते हैं। ये बीमारियां, पिस्सूओं के माध्यम से, वेक्टर-जनित मार्ग का उपयोग करके स्थानांतरित होती हैं।
कॉकरोच-
तिलचट्टे कुछ आम कीट हैं, जो मानव परिवेश में पाए जाते हैं। वे रोगजनकों की एक बड़ी श्रृंखला का वहन करने के लिए जाने जाते हैं। इनमें स्टैफ़िलोकोकस (Staphylococcus), साल्मोनेला (Salmonella) और ई. कोली (E. coli) के जीवाणु संक्रमण शामिल हैं। यहां तक कि, वे परजीवी कीड़े, कवक, वायरस और प्रोटोज़ोअन का भी वहन करते हैं। वे किसी सतह पर यात्रा करते हुए, तथा शौच एवं लार का स्राव करके, वेक्टर-जनित संचरण का कारण बनते हैं।
मक्खियां-
विभिन्न प्रकार की मक्खियों से वेक्टर जनित रोग संक्रमण होते हैं। अन्य बीमारियों के अलावा, ई. कोली, साल्मोनेला एसपीपी. और कैम्पिलोबैक्टर एसपी (Campylobacter sp.) के प्रसार से उत्पन्न होने वाली, बीमारियां भी शामिल हैं। वे अफ़्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस (Trypanosomiasis) और ओंकोसेरसियासिस (Onchocerciasis) जैसी बीमारियों के लिए भी ज़िम्मेदार हैं। इनके कारण होने वाली बीमारियों का संचरण, भोजन या सतहों के संदूषण से होता है।
वेक्टर, एक जीवित जीव होता है, जो एक संक्रामक एजेंट को, एक संक्रमित जानवर से, एक इंसान या दूसरे जानवर तक पहुंचाता है। रोगवाहक, अक्सर आर्थ्रोपॉड(Arthropods) होते हैं।
वेक्टर, संक्रामक रोगों को सक्रिय या निष्क्रिय रूप से प्रसारित कर सकते हैं।
१.मच्छर और किलनी जैसे जैविक वाहक, रोगजनकों को ले जा सकते हैं, जो उनके शरीर के भीतर प्रजनन कर सकते हैं, और नए मेज़बानों तक पहुंच सकते हैं।
२.मक्खियों जैसे यांत्रिक वाहक, अपने शरीर के बाहर संक्रामक एजेंटों को पकड़ सकते हैं, और उन्हें शारीरिक संपर्क के माध्यम से प्रसारित कर सकते हैं।
रोगवाहकों द्वारा प्रसारित रोगों को वेक्टर-जनित रोग कहा जाता है। कई वेक्टर-जनित बीमारियां, ज़ूनोटिक बीमारियां (Zoonotic diseases) हैं। यानी ये ऐसी बीमारियां हैं, जो जानवरों और मनुष्यों के बीच, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रसारित हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, इनमें लाइम रोग (Lyme disease), किलनी-जनित एन्सेफ़लाइटिस, वेस्ट नाइल वायरस, लीशमैनियोसिस (Leishmaniosis) और क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार शामिल हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mr23tw4z
https://tinyurl.com/mw9nf4hz
https://tinyurl.com/23pbaexk
https://tinyurl.com/pb7yab82

चित्र संदर्भ
1. एडीज़ मच्छर और चिकनगुनिया वायरस कैप्सिड को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. चिकनगुनिया से पीड़ित व्यक्ति के पैर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. नर और मादा मच्छर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. रेत-मक्खी (Sand fly) को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. मूंगफ़ली खाते चूहे को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
6. मक्खी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • पारिस्थितिकी तंत्र के लिए, अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, 'रामसर सूची' में नामित आर्द्रभूमियाँ
    जंगल

     08-11-2024 09:26 AM


  • प्रोटॉन बीम थेरेपी व ट्रूबीम थेरेपी हैं, आधुनिक कैंसर उपचारों के नाम
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     07-11-2024 09:23 AM


  • आइए जानें, धरती पर क्या कारनामे कर रहा है, प्लूटोनियम
    खनिज

     06-11-2024 09:15 AM


  • भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग, आज कहाँ खड़ा है?
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     05-11-2024 09:44 AM


  • आइए, पता लगाएं कि क्या जानवरों के अंग, इंसानों के लिए सुरक्षित हैं
    डीएनए

     04-11-2024 09:25 AM


  • आइए, जानें, क्या होता है एक फ़ुटबॉल ट्रांसफ़र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     03-11-2024 09:28 AM


  • मेरठ वासियों की पसंदीदा जूतियां, अपने इतिहास व विशेषताओं के कारण हैं, काफ़ी लोकप्रिय
    स्पर्शः रचना व कपड़े

     02-11-2024 09:16 AM


  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान को दर्शाते हैं भारत और इंडोनेशिया के बीच गहरे संबंध
    धर्म का उदयः 600 ईसापूर्व से 300 ईस्वी तक

     01-11-2024 09:17 AM


  • धनतेरस पर, पारंपरिक प्रथाओं का पालन करते हुए, मेरठ में होती है सोने औरचांदी की खरीदारी
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     31-10-2024 09:29 AM


  • जानिए, पनियाला क्यों है, गोरखपुर की कृषि और संस्कृति का प्रतीक
    निवास स्थान

     30-10-2024 09:33 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id