हमारा शहर मेरठ, वित्त की दुनिया में तेज़ी से महत्वपूर्ण होता जा रहा है। जैसे-जैसे, हमारा शहर विकसित हो रहा है, वैसे–वैसे, अधिक निवासी, निवेश और व्यापार में, रुचि दिखा रहे हैं। यह बात स्टॉक एक्सचेंज (Stock exchange) के बढ़ते महत्व को उजागर करती है। एक मज़बूत व्यापारिक समुदाय और उद्यमियों की बढ़ती संख्या के साथ, यह बात, अधिक महत्त्वपूर्ण है। शेयर बाज़ार में उपलब्ध अवसरों से लाभ उठाने के लिए मेरठ अच्छी स्थिति में है। अतः, आइए जानें कि, स्टॉक एक्सचेंज स्थानीय अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करता है, और मेरठ के लोगों के लिए इसका क्या मतलब है। हम दुनिया के शीर्ष 10 स्टॉक एक्सचेंजों का भी पता लगाएंगे। इसके बाद, हम भारत के, प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों पर एक नज़र डालेंगे। फिर, हम बताएंगे कि, स्टॉक एक्सचेंज क्या है, और इसके फ़ायदे और नुकसान क्या हैं?
दुनिया के शीर्ष 10 सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज, निम्नलिखित हैं –
एक्सचेंज का नाम |
देश |
घरेलू बाजार पूंजीकरण (ट्रिलियन डॉलर में) |
१. न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज |
संयुक्त राज्य अमेरिका |
$27,876,292.90 |
२. नैस्डैक |
संयुक्त राज्य अमेरिका |
$25,914,307.90 |
३. जापान एक्सचेंज ग्रुप |
जापान |
$6,246,074.78 |
४. शंघाई स्टॉक एक्सचेंज |
चीन |
$6,350,622.64 |
५. भारतीय राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज |
भारत |
$5,055,163.02 |
६. यूरोनेक्स्ट |
यूरोप |
$7,148,962.99 |
७. हांगकांग एक्सचेंज और क्लियरिंग |
हांग कांग |
$4,115,775.02 |
८. शेन्ज़ेन स्टॉक एक्सचेंज |
चीन |
$3,821,844.20 |
९. टोरंटो स्टॉक एक्सचेंज |
कनाडा |
$3,194,035.69 |
१०. कोरिया एक्सचेंज |
दक्षिण कोरिया |
$1,947,717.56 |
इसके अलावा, भारत में भी कुछ प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं। हमारे देश में, दो प्रमुख प्रकार के स्टॉक एक्सचेंज हैं –
१.बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बी एस ई – Bombay Stock Exchange): बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना, 1875 में मुंबई के दलाल स्ट्रीट पर की गई थी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एशिया के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज के रूप में प्रसिद्ध है। साथ ही, यह दुनिया का 10वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का अनुमानित बाज़ार पूंजीकरण 4.9 ट्रिलियन डॉलर है, और इसके अंतर्गत, लगभग 6000 कंपनियां, सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध हैं। बी एस ई का प्रदर्शन सेंसेक्स(Sensex) द्वारा मापा जाता है। और यह जून 2019 में, अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचा था।
२.राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (एन एस ई – National Stock Exchange): एन एस ई की स्थापना 1992 में मुंबई में हुई थी। इसे भारत में, डिम्युचुअलाइज्ड इलेक्ट्रॉनिक स्टॉक एक्सचेंज (Demutualised electronic stock exchange) बाज़ारों में, अग्रणी के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना भारतीय शेयर बाज़ार में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के एकाधिकार प्रभाव को खत्म करने के उद्देश्य से की गई थी।
मार्च 2016 तक, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का अनुमानित बाज़ार पूंजीकरण, 4.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था। तब, इसे दुनिया के 12वें सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज के रूप में, प्रशंसित किया गया था। निफ्टी 50 (NIFTY 50), एन एस ई का सूचकांक है। भारतीय पूंजी बाज़ार के प्रदर्शन को मापने के लिए दुनिया भर के निवेशकों द्वारा, बड़े पैमाने पर, इसका उपयोग किया जाता है।
स्टॉक एक्सचेंज एक केंद्रीकृत स्थान होता है, जहां सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। स्टॉक एक्सचेंज, अन्य एक्सचेंजों से भिन्न होते हैं, क्योंकि, व्यापार योग्य संपत्तियां – स्टॉक, बॉन्ड(Bond) और एक्सचेंज ट्रेडेड उत्पादों (ई टी पी – Exchange traded products) तक सीमित होती हैं। स्टॉक एक्सचेंज और स्टॉक ट्रेडिंग के ओवर-द-काउंटर (ओ टी सी – Over-the-counter) तरीकों का उपयोग करने के बीच मुख्य अंतर यह है कि, एक्सचेंज पर लेनदेन, सीधे दो पक्षों के बीच होने के बजाय, मध्यस्थ होती हैं। इसका मतलब यह है कि, निवेशकों और सट्टेबाजों के साथ-साथ, सूचीबद्ध कंपनियों पर भी सख्त नियम हैं।
स्टॉक एक्सचेंज में, सूचीबद्ध होने से पहले, कंपनियों को अक्सर ही, विशिष्ट मानकों को पूरा करने की आवश्यकता होती है। ये मानक, स्टॉक एक्सचेंज के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
•स्टॉक एक्सचेंज के फ़ायदे- किसी कंपनी के लिए, स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होना एक निश्चित स्तर की प्रतिष्ठा होती है। यह एम्स्टर्डम(Amsterdam), लंदन(London) और न्यूयॉर्क(New York) जैसे, पुराने एक्सचेंजों के लिए विशेष रूप से सच है। एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होने का मतलब यह भी है कि, निवेशक विभिन्नकंपनियों में शेयर खरीद सकते हैं, जिससे कंपनियों को धन जुटाकर विस्तार करने में मदद मिलती है।
स्टॉक एक्सचेंज पर, व्यापार करने से यह संभावना है कि, व्यापारियों को प्रतिपक्ष डिफ़ॉल्ट(Counterparty default) का जोखिम कम होने की संभावना होती है । यह, स्टॉक एक्सचेंजों पर विनियमन के उच्च स्तर के कारण हैं, जो कि, व्यापार के ओ टी सी तरीकों की, कमी हैं ।
इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्मों(Online brokerage firms) ने, व्यापारियों के लिए स्टॉक एक्सचेंजों तक पहुंच बनाना, और किसी भी अल्पकालिक बाज़ार उतार-चढ़ाव से, लाभ कमाने का अवसर प्राप्त करना, अधिक आसान कर दिया है।
•स्टॉक एक्सचेंजों के नुकसान- किसी कंपनी के लिए, स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होना, समय व्याप्त और महंगा हो सकता है। और एक बार जब कंपनी, यहां सूचीबद्ध हो जाती है, तो उसे शेयरधारकों के प्रति, अपनी जिम्मेदारी पर विचार करना होगा, जिनकी अब कंपनी में हिस्सेदारी होती है।
स्टॉक एक्सचेंज पर, ट्रेडिंग स्थिरता की गारंटी नहीं होती है। शेयर बाज़ार, अन्य बाज़ारों की अस्थिरता के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसका अर्थ यह है कि, स्टॉक की कीमतों में विश्व भर में, राजनीतिक और आर्थिक घटनाओं के प्रति नाटकीय उतार-चढ़ाव हो सकता है।
स्टॉक एक्सचेंजों में भी, गिरावट आ सकती है। हालांकि ये दुर्लभ होते हैं, स्टॉक मार्केट क्रैश(Stock market crash), स्टॉक के मूल्यों को काफ़ी कम कर सकते हैं, और वर्षों तक चलने वाली आर्थिक मंदी का कारण बन सकते हैं।
व्यापारी और निवेशक, जोखिम प्रबंधन रणनीतियाँ अपनाकर शेयर बाज़ार की अस्थिरता के प्रति अपने जोखिम को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/mr3f3cee
https://tinyurl.com/hmbx9x4c
https://tinyurl.com/3dpatk7h
चित्र संदर्भ
1. दलाल स्ट्रीट पर बी.एस.ई. भवन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कार्यालय को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)