हॉलीवुड, बॉलीवुड और साउथ की फ़िल्म इंडस्ट्री (Film Industry) की तरह, मेरठ की भी अपनी एक अनोखी फ़िल्म इंडस्ट्री है। हमारी इंडस्ट्री को 'मॉलीवुड (Mollywood)’ के नाम से जाना जाता है। मॉलीवुड की कुछ फ़िल्में, आज भी सीडी (CD) पर रिलीज़ होती हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सिनेमाघरों में इन फ़िल्मों को ख़ूब पसंद किया जाता है। लेकिन ऐसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से 'मॉलीवुड' की फ़िल्मों का विस्तार हमारे उत्तर प्रदेश तक ही सीमित रह गया है। आज हम, इन्हीं कारणों की पड़ताल करेंगे। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि "बॉलीवुड" (Bollywood) फ़िल्म इंडस्ट्री, हमारी अर्थव्यवस्था में किस तरह का योगदान दे रही है।
मेरठ की मॉलीवुड इंडस्ट्री में फ़िल्में, स्थानीय बोली ‘हरियाणवी’ में बनाई जाती हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region) और राजस्थान के आस-पास के इलाकों में इन फ़िल्मों को खूब पसंद किया जाता है।
मॉलीवुड की फ़िल्में बिना किसी बड़ी थिएटर रिलीज़ (Theater Release) के भी आर्थिक रूप से अच्छा प्रदर्शन करती हैं। इनकी कमाई कई लाख रुपयों तक पहुँच सकती है। स्थानीय लोग, अभिनेताओं को ऐसी भूमिकाएँ निभाते हुए देखना पसंद करते हैं, जिनसे वे जुड़ाव महसूस कर सकें। साथ ही वे अपनी पसंदीदा बोली सुनना भी पसंद करते हैं।
2004 में, मॉलीवुड फ़िल्म ‘धाकड़ छोरा’ को सीडी पर रिलीज़ किया गया था। इस फ़िल्म को खूब पसंद किया गया और यह एक बड़ी हिट बन गई। इस फ़िल्म को मॉलीवुड के छोटे इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि माना जाता है। इसे अक्सर ‘मॉलीवुड की शोले’भी कहा जाता है। धाकड़ छोरा को अब अन्य मॉलीवुड फ़िल्मों की सफलता को मापने के लिए एक मानक (Standard) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। फ़िल्म के मुख्य अभिनेता उत्तर कुमार और सुमन नेगी स्थानीय युवाओं के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। उनकी लोकप्रियता की तुलना बॉलीवुड स्टार सलमान खान और ऐश्वर्या राय से की जाती है।
हालांकि मॉलीवुड, बॉलीवुड या टॉलीवुड (Tollywood) की तरह अपना विस्तार करने में असफ़ल रहा है। इसके कुछ प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
यह इंडस्ट्री दस साल से अधिक समय से अस्तित्व में होने के बाद भी पूरी तरह से संगठित (Organized) नहीं है। फ़िल्में नियमित रूप से रिलीज़ नहीं होती हैं। हालाँकि कई लोग, इसका कारण सरकारी सहायता की कमी को मानते हैं।
मॉलीवुड फ़िल्मों की रिलीज़ की कोई निश्चित तिथि (Release Date) नहीं होती है, जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि कौन सी फ़िल्म कब रिलीज़ हुई थी और उसने कितनी कमाई की। इंडस्ट्री अभी भी बढ़ रही है और विकसित हो रही है।
इंडस्ट्री में संगठन की कमी है! अभिनेता एक बार सफ़ल हो जाने के बाद, बॉलीवुड जैसी स्थापित हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में चले जाते हैं।
मॉलीवुड के विपरीत, बॉलीवुड उद्योग पूरी तरह से परिपक्व (Mature) और संगठित है। यहाँ पर आपको किसी फ़िल्म के निर्माण में लगी पाई-पाई का हिसाब मिल जाएगा।
बॉलीवुड फिल्मों में स्ट्रीट फ़ाइट (Street Fight), पार्टी सीन (Party Scene) या डांस सीक्वेंस (Dance Sequence) में परफ़ॉर्म करने वाले बैकड्रॉप आर्टिस्ट (Backdrop Artist), लगभग पांच से छह दिन के काम के लिए ,₹5,000 - ₹10,000 कमाते हैं | कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) से पहले, ज़्यादातर लोग महीने में लगभग 25 दिन ही काम करते थे।
अब आगे हम हिंदी या किसी अन्य भारतीय भाषा की फिल्मों या टीवी सीरियल (TV Serial) में काम करने वाले सदस्यों के लिए 21 अप्रैल, 2016 से लागू वेतन, वाहन और भत्ते में वृद्धि (Salary, Vehicle and Allowance Increase) के बारे में जानेंगे।
श्रेणियाँ | प्रति शिफ्ट वेतन | इनडोर परिवहन | आउटडोर भत्ता | विदेशी भत्ता | टैक्सी किराया रात/आउटडोर |
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स्टंट सहायक | ₹5210/- | ₹800/- | ₹950/- | ₹1700/- | ₹350/- ₹1100/- |
स्टंट कलाकार | ₹4160/- | ₹600/- | ₹800/- | ₹1500/- | ₹350/- ₹1100/- |
स्टंट डुप्लिकेट | ₹9370/- | ₹600/- | ₹800/- | ₹1500/- | ₹350/- ₹1100/- |
इनडोर शूटिंग के लिए शिफ्ट समय:
शिफ्ट समय |
अवधि |
सुबह 7 बजे - दोपहर 2 बजे |
1 शिफ्ट |
सुबह 9 बजे - शाम 6 बजे |
1 शिफ्ट |
दोपहर 2 बजे - रात 10 बजे |
1 शिफ्ट |
रात 7 बजे - सुबह 2 बजे |
1 शिफ्ट |
रात 9 बजे - सुबह 5 बजे |
1 शिफ्ट |
नोट: इसके बाद का विस्तार 1/2 शिफ़्ट के रूप में या मामले के अनुसार चार्ज किया जाता है।
आउटडोर शूटिंग के लिए शिफ़्ट समय:
शिफ्ट समय |
अवधि |
सुबह 7 बजे - दोपहर 2 बजे |
1 & 1/2 शिफ्ट |
सुबह 9 बजे - शाम 6 बजे |
1 & 1/2 शिफ्ट |
दोपहर 2 बजे - रात 10 बजे |
1 & 1/2 शिफ्ट |
रात 7 बजे - सुबह 2 बजे |
1 & 1/2 शिफ्ट |
रात 9 बजे - सुबह 5 बजे |
1 & 1/2 शिफ्ट |
नोट: इसके बाद का विस्तार 1/2 शिफ़्ट के रूप में या मामले के अनुसार चार्ज किया जाता है।
आइए अब हम बॉलीवुड इंडस्ट्री में कुछ स्थायी और लोकप्रिय नौकरियों पर एक नज़र डालते हैं।
प्रोडक्शन डिज़ाइनर (Production Designer): प्रोडक्शन डिज़ाइनर, किसी फ़िल्म का विज़ुअल वातावरण (Visual Environment) तैयार करने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। वे फ़िल्म के सेट को फ़िल्म की कहानी के अनुसार डिज़ाइन करते हैं। उनके काम में सेट बनाना, लोकेशन का चयन करना और प्रॉप्स और कॉस्ट्यूम्स (Props and Costumes) का चुनाव करना शामिल है। वे फ़िल्म की कहानी के अनुरूप विज़ुअल स्टाइल (Visual Style) को ढालने के लिए निर्देशक और फोटोग्राफी के निर्देशक के साथ मिलकर काम करते हैं।
साउंड डिज़ाइनर (Sound Designer): साउंड डिज़ाइनर की भूमिका, फ़िल्म निर्माण में बेहद महत्वपूर्ण होती है। वे फ़िल्म में सुनाई देने वाली सभी आवाज़ों, जैसे बैकग्राउंड शोर और संगीत, को तैयार करते हैं। उनका काम, ध्वनि के माध्यम से भावनाओं को जगाना और फ़िल्म को और अधिक आकर्षक बनाना होता है। साउंड डिज़ाइनर, निर्देशक और अन्य टीम के सदस्यों के साथ मिलकर ऑडियो को विज़ुअल के साथ पूरी तरह से मिलाते हैं, ताकि दर्शक हर पल में डूब जाएं।
फ़िल्म क्रू सदस्य (Film Crew Member): फ़िल्म क्रू सदस्य (Film Crew Member): फिल्म के क्रू में हर सदस्य की अपनी अनोखी भूमिका होती है। जैसे इलेक्ट्रीशियन लाइटिंग का प्रबंधन करते हैं, वहीं ग्रिप्स उपकरणों की देखरेख करते हैं। हर क्रू सदस्य, हर दृश्य को प्रभावी ढंग से कैप्चर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक सफ़ल फ़िल्म के लिए यह टीमवर्क बेहद ज़रूरी है, क्योंकि हर किसी का योगदान अनमोल होता है।
स्टूडियो मैनेजर (Studio Manager): स्टूडियो मैनेजर का काम स्टूडियो में सब कुछ सुचारू रूप से चलाना होता है। उनके दैनिक कार्यों में कर्मचारियों की देखरेख करना, स्टूडियो की सुविधाओं को बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि सभी उपकरण सही से काम कर रहे हैं। उन्हें संगठित रहना और समस्याओं का कुशलता से समाधान करना आना चाहिए, ताकि हर चीज़ सही समय पर और सही तरीके से हो सके।
कैमरा ऑपरेटर (Camera Operator): कैमरा ऑपरेटर, निर्देशक और दर्शकों की आँखों की तरह काम करते हैं। उन्हें, तकनीकी विशेषज्ञता और कलात्मक कौशल दोनों की आवश्यकता होती है। हैंडहेल्ड कैमरे (Handheld Camera) से लेकर, जटिल सेटअप तक विभिन्न उपकरणों का उपयोग करते हुए, वे कहानी के सार को कैप्चर करते हैं और इसे स्क्रीन पर जीवंत करते हैं।
मेकअप कलाकार (Makeup Artist): मेकअप कलाकारों का काम अभिनेताओं को उनके किरदार में ढालना होता है। वे युवा अभिनेताओं को उम्रदराज़ पात्रों या काल्पनिक प्राणियों में बदल देते हैं। मेकअप कलाकार बनने के लिए, आपको सुंदरता के प्रति गहरा जुनून और विभिन्न रंगों और बनावटों की समझ होनी चाहिए, ताकि आप पात्रों को जीवंत कर सकें और उन्हें दर्शकों के दिलों में बसा सकें।
स्टाइलिस्ट (Stylist): स्टाइलिस्ट का काम, आउटफ़िट्स (Outfits) को एक साथ जोड़ना और यह तय करना होता है कि कौन से टॉप और बॉटम, एक-दूसरे के साथ बेहतरीन दिखेंगे। वे स्क्रिप्ट में चरित्र की भूमिका का विश्लेषण करते हैं और विभिन्न लुक के स्केच बनाते हैं। स्टाइलिस्ट ऐसे कपड़े और एक्सेसरीज़ (Accessories) चुनते हैं जो फ़िल्म के हर सीन में फ़िट हों। इस नौकरी के लिए फ़ैशन की गहरी समझ, रचनात्मकता और तेज़ी से सोचने की क्षमता होनी ज़रूरी है।
कोरियोग्राफ़र (Choreographer): अगर आपको डांस सिखाने का शौक है, तो कोरियोग्राफ़र कोरियोग्राफ़र बनना, आपके लिए एक शानदार विकल्प हो सकता है। फ़िल्मों में गानों के लिए डांस रूटीन बनाते हैं और अभिनेताओं को ये मूव्स सिखाते हैं। इस भूमिका के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण और धैर्य की आवश्यकता होती है। इंडस्ट्री में शुरुआत करते समय, जूनियर कोरियोग्राफ़र को आमतौर पर किसी अनुभवी कोरियोग्राफ़र की सहायता करनी पड़ती है, जिससे वे अपने कौशल को निखार सकें।
आर्ट डायरेक्टर (Art Director): आर्ट डायरेक्टर, फ़िल्मों में सेट डिज़ाइन करने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। उनका काम प्रोडक्शन टीम द्वारा उपलब्ध कराए गए संसाधनों
का उपयोग करके फ़िल्म के विजन को जीवंत करना होता है। इस भूमिका में सफ़ल होने के लिए, मज़बूत अवलोकन कौशल (Observation Skills) ज़रूरी होता है।
संपादक (Editor): फ़िल्में अक्सर उस क्रम में नहीं फिल्माई जातीं, जिस क्रम में उनकी कहानी लिखी जाती है। फ़िल्मांकन के बाद, कई दृश्यों को व्यवस्थित करने की ज़िम्मेदारी संपादकों की होती है। संपादक दृश्यों को बेहतर बनाते हैं, संशोधित करते हैं और एक शानदार अंतिम उत्पाद (Final Product) बनाने के लिए, आवश्यकतानुसार विशेष प्रभाव (Special Effects) भी इनमें जोड़ते हैं। इस प्रकार, बॉलीवुड इंडस्ट्री में विभिन्न नौकरियों की महत्वपूर्ण भूमिकाएँ होती हैं, जो एक सफ़ल फ़िल्म के निर्माण में योगदान करती हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2cyq663u
https://tinyurl.com/2cbxbfob
https://tinyurl.com/24espjm4
https://tinyurl.com/y35d8eqj
https://tinyurl.com/yn693mvj
चित्र संदर्भ
1. रात में हो रही एक फ़िल्म की शूटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. फ़िल्म शूटिंग की तैयारी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. 'द लास्ट फ़िल्म शो' की शूटिंग करते पैन नलिन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. फ़िल्म की शूटिंग के दौरान, काम कर रहे क्रू को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)