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वास्तुकला के क्षेत्र में, असीरियन युग, एक क्रांतिकारी दौर क्यों माना जाता है?

मेरठ

 28-08-2024 09:12 AM
सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व
हमारा मेरठ शहर, कई प्राचीन सभ्यताओं का घर रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) की स्थापना, लगभग 3300 ईसा पूर्व में हुई थी। यह सभ्यता, 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व के बीच फली-फूली। क्या आप जानते हैं कि आलमगीरपुर (Alamgirpur) के नाम से जानी जाने वाली एक हड़प्पा बस्ती, हमारे मेरठ ज़िले में स्थित थी। इस साइट की वैज्ञानिक तिथियाँ, 2600 से 2200 ईसा पूर्व के बीच की हैं। मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल में, मेरठ शहर, बौद्ध धर्म का केंद्र हुआ करता था। इससे जुड़े बौद्ध संरचनाओं के अवशेष, वर्तमान मेरठ की जामा मस्जिद (Jama Masjid) के पास पाए गए हैं। हड़प्पा की भांति, असीरिया (Assyria) भी प्राचीन मेसोपोटामिया (Mesopotamia) की एक प्रमुख सभ्यता थी। आज के इस रोचक लेख में हम असीरियन युग (Assyrian era) और पूरे इतिहास में इसके विभिन्न कालखंडों एवं प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, हम असीरियन काल के दौरान प्रचलित वास्तुकला की भी जाँच करेंगे।
असीरियन साम्राज्य (Assyrian Empire) की शुरुआत दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के दौरान मेसोपोटामिया में एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में हुई थी। पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व में इसका आकार और विस्तार और अधिक फैला। यह वृद्धि कई शक्तिशाली शासकों के अधीन हुई। इसके परिणामस्वरूप, असीरियन साम्राज्य, दुनिया के सबसे शुरुआती साम्राज्यों में से एक बन गया।
असीरिया, मेसोपोटामिया के उत्तरी भाग में स्थित था। इस क्षेत्र का वर्णन, आधुनिक इराक (Iraq) के अधिकांश हिस्सों से मेल खाता है। इसमें ईरान (Iran), कुवेत (Kuwait), सीरिया (Syria) और तुर्की (Turkey) के कुछ हिस्से भी शामिल हैं। इस साम्राज्य की स्थापना दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व की शुरुआत में एक राष्ट्र-राज्य के रूप में शांति के साथ हुई थी।
समय के साथ असीरिया की स्थिति में कई बदलाव आए। कई बार, इसने एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा प्राप्त किया। हालाँकि यह साम्राज्य, बेबीलोन (Babylon) साम्राज्य और बाद में मिट्टानी (Mitanni) शासन के नियंत्रण में भी आ गया। अन्य राष्ट्र-राज्यों के विपरीत, असीरियन अपनी भूमि की सुरक्षा करने में सक्षम थे। ऐसा, युद्ध में उनकी तकनीकी प्रगति के कारण संभव था। उस समय, कई अन्य राज्य और साम्राज्य उभरे और गिरे, लेकिन असीरिया कायम रहा।
आइये अब असीरियन इतिहास के विभिन्न कालखंडों को समझते हैं:
पुराना असीरियन काल (Old Assyrian period): पुराने असीरियन काल को आम तौर पर 2000 ई.पू. में असीरिया के स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद के समय के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस समय, यह साम्राज्य, असूर (Assur) नामक शहर से संचालित होता था और व्यापार पर केंद्रित था। उस समय, यह शहर 40 हेक्टेयर से अधिक नहीं फैला था। इसकी आबादी, 5,000 से 8,000 लोगों के बीच थी। वेनहॉफ़ (Wenhof) के उल्लेखों में मिलता है कि इसने सैन्य शक्ति को सीमित कर दिया।
प्रारंभिक शासकों ने अपने शिलालेखों में खुद को "राजा" के रूप में संदर्भित नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने खुद को भगवान अशुर के "उपाध्यक्ष (vicegerent)" कहा। इस शब्द का अर्थ "राज्यपाल (governor)" भी हो सकता है। शहर के लोग, असीरियन भाषा (Assyrian language) बोलते थे। यह भाषा अलग थी लेकिन बेबीलोनियाई (Babylonian) से बहुत मिलती-जुलती थी। बेबीलोनियाई का उपयोग, असूर के दक्षिण के क्षेत्रों में किया जाता था।
मध्य असीरियन काल (Middle Assyrian period): 14वीं शताब्दी ई.पू. के दौरान, मितानी साम्राज्य का पतन शुरू हो गया। असुर-उबलित I (Ashur-uballit I) द्वारा प्रेरित लोगों ने शहर की स्वतंत्रता का दावा करना शुरू कर दिया। इस अवधि की शुरुआत में, असुर-उबलित I, सत्ता में आए । उन्होनें, लगभग 1363 ईसा पूर्व से 1328 ईसा पूर्व तक शासन किया। उन्होनें मितानी सत्ता से स्वतंत्रता का दावा किया। उनके उत्तराधिकारियों ने असीरियन क्षेत्र का विस्तार किया। उदाहरण के तौर पर अदद-निरारी I (Adad-nirari I) ने लगभग 1305 ईसा पूर्व से 1274 ईसा पूर्व तक शासन किया। उन्होनें मितानी पर विजय प्राप्त की।
नव-असीरियन काल (Neo-Assyrian period): नव-असीरियन काल को 10वीं शताब्दी ईसा पूर्व के अंत से लेकर 600 ईसा पूर्व के आसपास तक, असीरियन साम्राज्य के विनाश तक के समय के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस समय के दौरान, असीरिया साम्राज्य ने अपने सबसे बड़े भौगोलिक आकार पर नियंत्रण हासिल किया। 883 ईसा पूर्व से 859 ईसा पूर्व तक शासन करने वाले अशुर्नसिरपाल द्वितीय (Ashurnasirpal II) के शासन काल में असीरियन साम्राज्य ने अपने पूर्व क्षेत्र के अधिकांश हिस्से पर फिर से कब्ज़ा कर लिया।
वे फिर से भूमध्यसागरीय (Mediterranean) तट पर पहुँच गए। बेबीलोन को वापस लेने के साथ ही, उन्होंने आधुनिक लेबनान (Lebanon) के हिस्से को भी फिर से हासिल कर लिया। असीरियन ने आधुनिक इज़राइल (Israel) और फ़िलिस्तीन (Palestine) में भी कई अभियान शुरू किए। इन अभियानों के कई उल्लेख हिब्रू बाइबिल (Hebrew Bible) में मिलते हैं।
असीरियन वास्तुकला (Assyrian architecture):
मंदिर: असीरियन मंदिर को अपने ज़िगगुराट (Ziggurat) (चरणबद्ध पिरामिड टावरों) के लिए जाना जाता था। पहले इन ज़िगगुराट में एक केंद्रीय टॉवर था, लेकिन बाद में दो टॉवर और शामिल हो गए। उन्हें रंगीन तामचीनी टाइलों (glazed tiles) से सजाया जाता था। उस युग के शिलालेख और रिलीफ़्स (reliefs) में अष्टकोणीय और गोलाकार गुंबदों जैसे अद्वितीय वास्तुशिल्प तत्वों वाली संरचनाओं का वर्णन मिलता है। असीरियन मंदिरों में मुगेर (Mughir) के खंडहर काफ़ी प्रभावशाली हैं, जिनकी लंबाई 198 फ़ीट, चौड़ाई 133 फ़ीट और ऊंचाई 70 फ़ीट है। हालाँकि, इस बारे में बहुत कम जानकारी है कि इन मंदिरों का निर्माण वास्तव में कैसे किया गया था।
बलवत द्वार (Balawat Gate) और अलंकृत लकड़ी का काम: असीरियन वास्तुकारों ने साम्राज्य की इमारतों में लकड़ी, विशेष रूप से देवदार और सरू (cypress) का उपयोग, बड़े पैमाने पर किया। इसका एक प्रमुख उदाहरण बलवत की चौकी से बलवत द्वार है। इसे इमगुर-एनिल (Imgur-Enlil) के नाम से भी जाना जाता है। इसके दो सेट अशुर्नसिरपाल द्वितीय के अधीन बनाए गए थे, और एक सेट उनके बेटे शाल्मनेसर तृतीय (Shalmaneser III) के अधीन बनाया गया था। शिलालेखों से पता चलता है कि द्वार, देवदार से बने थे और 22 फ़ीट से अधिक ऊंचे थे। पाए गए धातु के बैंड से पता चलता है कि द्वार कुल मिलाकर 285 फ़ीट चौड़े थे। लकड़ी का यह अलंकृत उपयोग असीरियन के स्थापत्य कौशल को दर्शाता है।
दुर-शारुकिन (Dur-Sharrukin): असीरियन साम्राज्य के अधिकांश भाग में भवनों को आयताकार बनाया गया। इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण, सरगोन द्वितीय (Sargon II) का किला शहर है, जो दुर-शारुकिन (आधुनिक खोरसाबाद) में स्थित है। किले की नींव पत्थर की थी और इसमें सात द्वार थे। इसमें सम्राट का महल, एक ज़िगगुराट और नियमित रूप से दूरी वाले टावरों के साथ बहुत अधिक भार वहन कर सकने वाली दीवारें थीं। अपने राजनीतिक प्रतीकवाद के बावजूद, यह किला दर्शाता है कि असीरियन संभावित दुश्मन के हमलों के लिए हमेशा तैयार रहते थे।
निमरुद (Nimrud): असीरियन वास्तुकला में लामासु (Lamassu) आकृतियों का प्रचुर मात्रा में प्रयोग किया जाता था। वे निमरुद में अशुर्नसिरपाल द्वितीय (शासनकाल 883-859 ईसा पूर्व) के उत्तर-पश्चिमी महल में प्रमुखता से दिखाई देती थीं। पुनर्निर्माण से पता चलता है कि लामासु, महल के प्रवेश द्वारों को सुशोभित करते थे। एक प्रवेश द्वार को एक गोल मेहराब द्वारा चिह्नित किया जाता था। समकालीन शिलालेखों से संकेत मिलता है कि महल का निर्माण विभिन्न वृक्ष प्रजातियों, अलबास्टर (alabaster), चूना पत्थर (limestone) और कीमती धातुओं से किया गया था। दुर-शारुकिन के समान, अशुर्नसिरपाल द्वितीय का महल, किलेबंद भार वहन करने वाली दीवारों से घिरा हुआ था।
असीरियन काल के महल अत्यंत भव्य होते थे। वे राजाओं और उनके परिवारों के निवास स्थल के रूप में काम करते थे। इन महलों का प्रयोग, आधिकारिक, राजनयिक और औपचारिक कार्यों के लिए भी किया जाता था। महलों के कमरों के सुइट्स में आंगन थे। वे शाही लोगों के रहने के क्वार्टर, एक सिंहासन कक्ष, स्वागत कक्ष और प्रशासनिक गतिविधियों के लिए स्थान प्रदान करते थे। महल के आसपास के बगीचों और बागों का सावधानीपूर्वक रखरखाव किया जाता था। इन क्षेत्रों को राजा के आनंद के लिए डिज़ाइन किया गया था।
असीरियन लोगों द्वारा मिट्टी की ईंट (mud brick) का उपयोग प्राथमिक निर्माण सामग्री के रूप में किया जाता था। हालाँकि, महल के अग्रभाग, अक्सर सफ़ेद जिप्सम प्लास्टर (gypsum plaster) से ढके होते थे। यह प्लास्टर सूरज की रोशनी में चमकता था। पॉलीक्रोम ग्लेज़्ड ईंटों (polychrome glazed bricks) और दीवार चित्रों ने वास्तुकला को और अधिक उल्लेखनीय बनाया था। प्रवेश द्वार पर विशाल पत्थर की मूर्तियाँ रखी जाती थीं। इन मूर्तियों में पंख वाले, मानव-सिर वाले बैल और शेर दर्शाए गए थे। महलों के भीतर सबसे महत्वपूर्ण कमरों को नक्काशियों (carvings) से सजाया जाता था। ये नक्काशी जिप्सम या चूना पत्थर से बनाई जाती थी और चमकीले रंगों से चित्रित की जाती थी।

संदर्भ

https://tinyurl.com/2p55ngw4
https://tinyurl.com/22wda84v
https://tinyurl.com/2j8s223g
https://tinyurl.com/2yuy6yuv

चित्र संदर्भ

1. अक्कादियन काल (लगभग 2334-2154 ई.पू.) की एक महिला मूर्ति के सिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. कुल्टेपे में पुराने असीरियन व्यापारिक कॉलोनी के खंडहर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. नव-असीरियन राजा अशुर्नसिरपाल द्वितीय (शासनकाल 883-859 ई.पू.) के स्तंभ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. नव-असीरियन रिलीफ़ में दर्शाए गए असीरियन व्यक्तियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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