बाज़ारों का अपना एक अलग महत्व होता है यही कारण है कि तमाम बड़े शहरों व छोटे शहरों में एक बाज़ार पाया जाता है। बाज़ार का सिद्धांत आधुनिक नहीं अपितु सिन्धु सभ्यता के काल से चले आ रहा है, समय के साथ साथ इसमें कई बदलाव भी आये जैसे कि पहले व्यक्ति वस्तुओं की अदला बदली करते थे पर समय के साथ मुद्रा का जन्म हुआ और किसी भी सामान के एवज में एक मूल्य का निर्धारण हुआ। कौटिल्य अर्थशास्त्र में बाज़ार के महत्व को बताते हैं।
आधुनिक भारतीय बाज़ार की रूप रेखा का सूत्रपात मुग़ल काल से भी पहले पड़ चुका था। इसके प्रणेता अलाउद्दीन खिलजी को माना जाता है। तब से लेकर बाज़ार इसी आधार पर कार्य कर रहा है। किसी भी विकसित शहर में एक ऐसे बाज़ार की आवश्यकता होती है जो कि व्यक्ति के जीवन से जुड़ी लगभग सभी आवश्यकताओं की पूर्ती कर सके। इसी तर्ज पर ब्रितानी सरकार ने अपने द्वारा अधिगृहित सभी प्रमुख शहरों में बाजारों का निर्माण करवाया जैसे कि मुंबई स्थित क्र्वोफर्ड मार्केट (Crawford market)।
मेरठ अंग्रेजों के प्रमुख अड्डों में से एक था तथा यहाँ पर बड़ी संख्या में ब्रिटिश आबादी रहती थी। जैसा कि यहाँ की आबादी कैंट इलाके में रहा करती थी तो कैंट इलाके में एक बाज़ार होना ज़रूरी था। चित्र में मेरठ का पुराना कैंट बाज़ार दिखाया गया है। यह बाज़ार 14 मार्च सन 1902 में निर्मित हुआ था। इसका निर्माण सर जेम्स जे. डीग्गेस ला टूशे के.सी.एस. (Sir James J. Digges LaTouche K.C.S.) लेफ्टनेंट गवर्नर नार्थ वेस्ट प्रोवेंस और चीफ कमिश्नर अवध द्वारा करवाया गया था। वर्तमान काल में यह बाज़ार यहाँ से दूर चली गयी है और यह इमारत अपनी जर्जर हाल में खड़ी है।
1. स्मार्ट एंड ह्यूमन बिल्डिंग सिटीज ऑफ़ विजडम, जी.आर.के. रेड्डी, सृजन पाल सिंह
2.https://www.harappa.com/answers/was-trade-relationship-between-harappans-and-mesopotamians-direct-one
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