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स्वराज ट्रैक्टर से शुरू हुई कृषि क्रांति ने, मेरठ के किसानों को आत्मनिर्भर बना दिया

मेरठ

 20-08-2024 09:37 AM
वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली
हमारे मेरठ शहर को अपने ढ़ेरों लघु उद्योगों के साथ-साथ, अपनी उपजाऊ भूमि और कृषि हेतु अनुकूल जलवायु के लिए भी जाना जाता है। पोषक तत्वों से भरपूर यहाँ की उपजाऊ मिट्टी, विभिन्न फसलों की खेती के लिए लाभदाई मानी जाती है। हम अक्सर देखते हैं कि मेरठ के किसान, खेतीबाड़ी से जुड़े अधिकांश कार्यों के लिए ट्रैक्टर पर निर्भर हैं। यहाँ पर मिट्टी की जुताई, ज़मीन को समतल करने, बीज बोने, खरपतवार उखाड़ने और फ़सल काटने के लिए ट्रैक्टर का ही इस्तेमाल किया जाता है। इन सभी कार्यों के अलावा, ट्रैक्टर भारी उपकरणों को खींचने में भी मदद करते हैं। इन सभी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए, हम सभी के लिए यह ज़रूरी हो जाता है कि हम ट्रैक्टरों के इतिहास एवं हरित क्रांति (Green Revolution) को सफ़ल बनाने में ट्रैक्टरों की भूमिका को समझने की कोशिश करें। साथ ही, आज हम बाज़ार हिस्सेदारी के हिसाब से कुछ सबसे बड़े भारतीय ट्रैक्टर निर्माताओं के बारे में भी जानेंगे।
1960 के दशक से पहले, भारतीय किसान, अपने कृषि कार्यों के लिए आयात किए गए ट्रैक्टरों पर बहुत अधिक निर्भर थे। इनमें से अधिकांश ट्रैक्टर, सोवियत संघ (Soviet Union), चेकोस्लोवाकिया (Czechoslovakia), रोमेनिया (Romania), जर्मनी (Germany), यूके (UK) और पोलेंड (Poland) जैसे देशों से आयात किए गए थे।
हालांकि, इस संदर्भ में बहुत बड़ा बदलाव, 1963-64 में देखा गया जब भारत के स्थानीय उद्योगपतियों ने घरेलू ट्रैक्टर उत्पादन के लिए संयुक्त उद्यम (Joint Ventures) बनाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय ट्रैक्टर निर्माताओं के साथ गठजोड़ करना शुरू कर दिया। यह कदम भारत में हरित क्रांति (Green Revolution) नीतियों के कारण बढ़ रही ट्रैक्टरों की मांग को देखते हुए उठाया गया था।
1964 में, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने, दुर्गापुर में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद तथा केंद्रीय यांत्रिक इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (CSIR-CMERI) के निदेशक के रूप में एक युवा और दूरदर्शी मैकेनिकल इंजीनियर (Mechanical Engineer) मन मोहन सूरी को नियुक्त किया। सूरी, एक अत्यधिक प्रशंसित वैज्ञानिक थे। उन्हें इंजीनियरिंग विज्ञान में अपने योगदान के लिए, पद्म श्री (Padma Shri) और शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी मिला था।
मई 1965 में, योजना आयोग के उपाध्यक्ष के नेतृत्व में, एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 20 एचपी ट्रैक्टर (20 HP Tractor) विकसित करने हेतु सहायता पर चर्चा करने के लिए यूएसएसआर (USSR) का दौरा किया। हालाँकि, उस समय सोवियत समकक्ष, ट्रैक्टर परियोजना में भारत की मदद करने का इच्छुक नहीं था। यही अनिच्छा भारतीय ट्रैक्टर उद्योग और हरित क्रांति (Green Revolution) में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
सूरी और चंद्र मोहन के मार्गदर्शन में, कोर डिज़ाइन टीम (Core Design Team) ने खुद ही कृषि ट्रैक्टरों और संसाधन बाधाओं से जुड़ा ज्ञान अर्जित करना शुरू कर दिया। उन्होंने पेटेंट का अध्ययन किया | साथ ही, आवश्यक विनिर्देशों को समझने के लिए भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों और किसानों से परामर्श किया।
इन सभी प्रयासों का नतीजा यह हुआ कि नवंबर 1967 में, स्वराज नामक एक पूरी तरह से स्वदेशी, कस्टम-निर्मित ट्रैक्टर (Custom-built tractors) का प्रोटोटाइप (Prototype) विकसित किया गया था। इसे सबसे गर्म महीनों के दौरान, 10-30% ओवरलोड के साथ, 1,200 घंटे से अधिक समय तक विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए परीक्षण रिग (Test Rig) पर व्यापक परीक्षण से गुज़रना पड़ा। दो वर्ष बाद, मार्च 1969 में, टीटीटीएस (TTTS), बुदनी में क्षेत्र परीक्षण और प्रदर्शन मूल्यांकन के लिए तीन और इकाइयां विकसित कर दी गईं।
1971 के मई और जून में, स्वराज ट्रैक्टर का और परीक्षण किया गया। इसके बाद, इसके हाइड्रोलिक्स (Hydraulics), स्टीयरिंग गेयर (Steering Gear), फ्रंट एक्सल (Front Axle), इंजन और कूलिंग सिस्टम (Cooling System) में कई संशोधन किए गए। इन प्रयासों के परिणाम प्रभावशाली साबित हुए। स्वराज ट्रैक्टर ने अपने डेवलपर्स की उम्मीदों को पार कर लिया। इसने 20-25 एचपी रेंज में कई आयातित ट्रैक्टरों से बेहतर प्रदर्शन किया।
भारत के पहले ट्रैक्टर के नामकरण की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। भारत के पहले ट्रैक्टर के लिए यह महत्वपूर्ण था कि इसका नाम उच्चारण में आसान हो और इस स्वदेशी रूप से विकसित उत्पाद की शक्ति और सुंदरता को दर्शाता हो। इसलिए, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 'स्वराज' नाम सुझाया और अनुमोदित किया गया था। इसके अलावा, 'स्वराज' शब्द, महात्मा गांधी की आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की अवधारणा से भी प्रेरित है। आज के समय में 'स्वराज', दुनिया में, सबसे अधिक ट्रैक्टर निर्माताओं और विक्रेताओं में से एक बन गया है।
चलिए, अब जानते हैं कि एक किसान, आधुनिक ट्रैक्टरों की सहायता से, अपनी कृषि पैदावार को कई गुना कैसे बढ़ा सकता है:
1. सटीक कृषि (Precision Agriculture) को अपनाना: आधुनिक ट्रैक्टरों की क्षमताओं का भरपूर उपयोग किया जा सकता है। यहाँ पर, आप GPS स्टीयरिंग (GPS Steering) और सटीक अनुप्रयोग प्रणालियों (Precision Application Systems) का उपयोग कर सकते हैं। ये प्रौद्योगिकियाँ रोपण, खाद डालने और छिड़काव में सटीकता में सुधार करती हैं। यह दृष्टिकोण, संसाधन उपयोग अनुकूल रहता है और फ़सल की पैदावार बढ़ाता है।
2. स्मार्ट खेती (Smart Farming) के तरीके अपनाना: डेटा-संचालित निर्णय लेने की कोशिश करें। आप, आधुनिक ट्रैक्टरों के साथ आने वाले ऑनबोर्ड कंप्यूटर सिस्टम (Onboard Computer Systems) और सेंसर (Sensors) का लाभ उठा सकते हैं। ये उपकरण, मिट्टी के स्वास्थ्य, फ़सल के प्रदर्शन और उपकरण दक्षता की निगरानी करने में मदद करते हैं। ये सभी सुविधाएँ समग्र खेत प्रबंधन में सुधार कर सकते हैं।
3. उपकरण संगतता (Equipment Compatibility) को अनुकूलित करें: सुनिश्चित करें कि आपके ट्रैक्टर और उपकरण संगत हों। यानी उनमें सभी प्रकार के कृषि उपकरण आसानी से जुड़ जाएँ। इसके लिए, एकीकृत सिस्टम (Integrated Systems) चुनें जो एक साथ सहजता से काम करते हैं। यह ट्रेक्टर प्रबंधन को आसान बना देते हैं और खेत संचालन के दौरान डाउनटाइम को कम करते हैं।
4. ऑपरेटर प्रशिक्षण (Operator Training) में निवेश करें: खेत ऑपरेटरों (Field Operators) यानी खेत में काम करने वाले श्रमिकों को ज़रूरी व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करें। उन्हें आधुनिक ट्रैक्टर की विशेषताओं, रखरखाव तकनीकों और सुरक्षा प्रोटोकॉल का उपयोग करना सिखाएँ। यह प्रशिक्षण, ऑपरेटरों की उत्पादकता को बढ़ा सकता है, जोखिम को कम कर सकता है और ट्रैक्टरों के जीवनकाल को बढ़ा सकता है।
5. स्थिरता (Sustainability) को प्राथमिकता दें: पर्यावरण के अनुकूल, इंजन और उत्सर्जन नियंत्रण प्रणाली (Emission Control Systems) वाले आधुनिक ट्रैक्टर ही चुनें। इससे पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त, कम जुताई (Low Tillage) और कवर क्रॉपिंग (Cover Cropping) जैसी संधारणीय खेती प्रथाओं के बारे में भी जानकारी हासिल करें। ये विधियाँ, मिट्टी के स्वास्थ्य और जैव विविधता में सुधार करती हैं।
आइये अब भारत में सबसे बड़े ट्रैक्टर निर्माताओं के बारे में जानते हैं:
1. महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra)
- बाज़ार हिस्सेदारी: 41.73%
- महिंद्रा ट्रैक्टर्स, फ़ार्म डिवीजन में एक प्रमुख खिलाड़ी है।
- यह कंपनी, भारत की शीर्ष 10 ट्रैक्टर कंपनियों में शुमार है।
- महिंद्रा ट्रैक्टर्स, ₹3.05 लाख से लेकर ₹12.90 लाख तक की कीमत वाले ट्रैक्टरों की एक विस्तृत श्रृंखला पेश करती है।
- 2022-23 के लिए, घरेलू बाज़ार में, महिंद्रा ट्रैक्टर्स के पास 41% बाज़ार हिस्सेदारी थी।
- जनवरी से सितंबर 2023 तक, उन्होंने कुल 407,545 इकाइयाँ बेचीं।
2. ट्रैक्टर्स एंड फ़ार्म इक्विपमेंट लिमिटेड (Tractors and Farm Equipment Limited)
- बाज़ार हिस्सेदारी: 18%
- ट्रैक्टर्स एंड फार्म इक्विपमेंट लिमिटेड (टैफे, (TAFE)), एक प्रमुख भारतीय ट्रैक्टर निर्माता है।
- टैफे (TAFE), कृषि उपकरणों का एक विविध संग्रह प्रदान है।
- यह कंपनी, 3.36 लाख रुपये से लेकर 16.70 लाख रुपये तक के विभिन्न मूल्य खंडों में ट्रैक्टर बनाती है।
- टैफे ट्रैक्टर, 36 एचपी से लेकर 100 एचपी तक की इंजन क्षमता के साथ शक्तिशाली प्रदर्शन करते हैं।
3. स्वराज (Swaraj)
- बाज़ार हिस्सेदारी: 17.7%
- स्वराज की स्थापना, 1974 में हुई थी और यह आज भी भारत में एक अग्रणी ट्रैक्टर निर्माता है।
- यह कंपनी, कृषि मशीनरी सहित अन्य उपकरण भी बनाती है।
- स्वराज ट्रैक्टर महिंद्रा के कृषि उपकरण क्षेत्र का हिस्सा हैं।
- अपने मज़बूत इंजन क्षमता के लिए जाने जाने वाले स्वराज ट्रैक्टर, शक्तिशाली प्रदर्शन और उच्च विश्वसनीयता प्रदान करते हैं।
- स्वराज ट्रैक्टर की कीमतें 5.40 लाख रुपये से लेकर 31.30 लाख रुपये के बीच होती हैं।
4. सोनालीका (Sonalika)
- बाज़ार हिस्सेदारी: 13.20%
- सोनालीका इंटरनेशनल ट्रैक्टर्स लिमिटेड (Sonalika International Tractors Limited) भारत में तीसरी सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी है।
- यह कंपनी, ₹2.45 लाख से ₹10.50 लाख के बीच कीमत वाले ट्रैक्टरों की एक विस्तृत श्रृंखला का उत्पादन करती है।
- सोनालीका ट्रैक्टर, 20 एचपी से लेकर 120 एचपी तक की पावर आउटपुट देते हैं।
- ये ट्रैक्टर बेहतरीन प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं।
5. एस्कॉर्ट्स कुबोटा लिमिटेड (Escorts Kubota Limited)
- बाज़ार हिस्सेदारी: 10.69%
- एस्कॉर्ट्स कुबोटा लिमिटेड, पॉवरट्रैक (Powertrac), फार्मट्रैक (Farmtrac) और डिजिट्रैक ब्रांड (Digitrac Brand) नामों के तहत ट्रैक्टर बनाती है।
- यह कंपनी अपनी उच्च गुणवत्ता वाली इंजीनियरिंग के लिए जानी जाती है।
- यह 12 एचपी से लेकर 60 एचपी तक की पावर आउटपुट वाले ट्रैक्टर पेश करती है।
- इन ट्रैक्टरों की कीमत 2.50 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये के बीच होती है।
उक्त सभी कंपनियों के अलावा भारत में आयशर मोटर्स (Eicher Motors), ट्रैक्टर उद्योग में सबसे पुराने नामों में से एक है। आयशर का नया प्रतीक, ‘ई (E)’ , ब्रांड के लिए एक नए अपडेट का प्रतिनिधित्व करता है। आयशर ट्रैक्टर, अपने उच्च मूल्य (High Value) के लिए पहचाने जाते हैं। हालांकि, इसके बदले वे लागत प्रभावी और कुशल उत्पाद प्रदान करते हैं।
ये ट्रैक्टर कुछ बेहतरीन वैश्विक तकनीक (Global Technology) से लैस होते हैं। आज के समय में आयशर ने खुद को कृषि क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित ब्रांड (Prestigious Brand) के रूप में स्थापित कर लिया है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/24nvl2lu
https://tinyurl.com/2ype6hhk
https://tinyurl.com/2bfmxypq
https://tinyurl.com/2dm94tpu

चित्र संदर्भ
1. स्वराज ट्रैक्टर से खेत जोतते किसानों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक साथ खड़े ट्रैक्टरों के समूह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. स्वराज ट्रैक्टर के एक नए मॉडल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. स्वराज ट्रैक्टर चलाते किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
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