| Post Viewership from Post Date to 10- Sep-2024 (31st) day | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Readerships (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 2955 | 94 | 0 | 3049 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
.jpg )
1.) भारतीय लेबर्नम (laburnum)/अमलतास (कैसिया फिस्टुला (cassia fistula)): इसके पके हुए फलों का गाढ़ा रस अस्थमा, ब्रोंकाइटिस (bronchitis), अन्य श्वसन समस्याओं, कब्ज़ और रक्त शोधन के उपचार में लिया जाता है। पके हुए फलों का उपयोग रेचक के रूप में भी किया जाता है।
2.) एम्ब्लिका (Emblica)/ आंवला (एम्ब्लिका ऑफिसिनेलिस (Emblica officinalis)): दूध के साथ आंवले के सूखे फलों का चूर्ण प्रतिरक्षा में सुधार के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग अस्थमा, सर्दी, पाचन विकार, आंखों की रोशनी की तीक्ष्णता, पीलिया और कब्ज़ के उपचार में भी किया जाता है। पके हुए फलों का अक्सर अचार, जूस और बालों के उपचार के लिए भी उपयोग किया जाता है।
3.) अरौकेरिया (Araucaria) (अरौकेरिया अरौकाना (Araucaria araucana)): इसके बीजों का सेवन भोजन के रूप में किया जाता है।
4.) अशोक वृक्ष (सरका अशोक): रोगाणुरोधी, कैंसररोधी, मानसिक धर्मरोधी और एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) के रूप में कार्य करता है।
5.) अशोक पंडुला (पॉलीएल्थिया लॉन्गिफोलिया (Polyalthia longifolia)): यह बुखार, त्वचा रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कृमिरोग, रोगाणुरोधी, कैंसररोधी के रूप में कार्य करता है।
6.) अमरूद (सिडियम ग्वायवा (Psidium guayava)): इसका उपयोग एंटी-ऑक्सीडेंट (Anti-oxidant), हेपेटोप्रोटेक्टेंट (hepatoprotectant), एंटीएलर्जिक (antiallergic), एंटी-माइक्रोबियल (anti-microbial), एंटी-जेनोटॉक्सिक (anti-genotoxic), एंटी-प्लास्मोडियल (anti-plasmodial), साइटोटॉक्सिक (cytotoxic), एंटी-स्पास्मोडिक (anti-spasmodic), कार्डियोएक्टिव (cardioactive), एंटी- कफ़ (anti-cough), एंटी-डायबिटिक (anti-diabetic), एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) और नोसिसेप्शन (nociception) अवरोधक के रूप में किया जाता है।
1.) गुजरात: गुजरात, भारत में कपास की फसल उत्पादन के लिए जाना जाता है। महामारी के दौरान भी गुजरात ने लगभग 125 लाख कपास की गांठें उत्पादित कीं हैं। कपास के सर्वोत्तम उत्पादन के लिए, सही परिस्थितियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि यह एक ज़मीनी फसल है । तापमान, वर्षा, ज़मीन की मिट्टी की तैयारी और पानी की उपलब्धता, कपास के उत्पादन में मदद करती है। ज़मीनी फसलों के उत्पादन के लिए, सुरक्षित खेती बहुत महत्वपूर्ण है, और ट्रैक्टर-माउंटेड बूम स्प्रेयर मशीन (Tractor-mounted boom sprayer machine) की मदद से, किसान आसानी से सटीकता के साथ रसायनों का छिड़काव कर सकते हैं। मित्रा एग्रो इक्विपमेंट (Agro Equipment) का बुलेट स्प्रेयर (Bullet Sprayer) एक छिड़काव मशीन है जिसका उपयोग किसान अपनी कपास की फसलों की सुरक्षा के लिए कर सकते हैं।
2.) महाराष्ट्र: महाराष्ट्र, भारत का सबसे बड़ा अंगूर उत्पादक राज्य है, और नासिक शहर अपने वाइन उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। इसे भारत की वाइन राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। अंगूर का कुशलतापूर्वक उत्पादन करना किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वाइनयार्ड (Vineyard) उत्पादन सबसे बड़े उत्पादनों में से एक है जो उनकी वित्तीय स्थिति को बढ़ाने में मदद करता है। अंगूर की फसल के अलावा, महाराष्ट्र, सबसे अधिक अनार उत्पादन के लिए भी जाना जाता है, जहाँ, इस फसल की कम से कम 82% खेती राज्य के अंतर्गत आती है। अंगूर के बागों को सुरक्षित रखने के लिए, किसान फसल की गुणवत्ता को प्राकृतिक बनाए रखने के लिए छिड़काव मशीनों का उपयोग करते हैं। किसान समय-समय पर छिड़काव करके फसल को सुरक्षित रखने के लिए ऑर्चर्ड स्प्रेयर (Orchard Sprayers) और एयरब्लास्ट स्प्रेयर (Airblast Sprayers) जैसी छिड़काव मशीनों का भी उपयोग कर सकते हैं।
3.) उत्तर प्रदेश: भारत में, आम सबसे अधिक मात्रा में उत्पादित होता है। उत्तर प्रदेश, इसका उत्पादन करने वाले सबसे बड़े राज्यों में से एक है। आम की फसल किसानों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। उत्तर प्रदेश में जून से अगस्त तक आम की पैदावार का सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि यह बारिश का मौसम भी होता है, किसान फसल की बहुत देखभाल करते हैं। फसल की सुरक्षा के लिए किसान जिस स्प्रेइंग (Spraying) उपकरण, ट्रैक्टर-माउंटेड स्प्रेयर (Tractor-mounted sprayer) का इस्तेमाल कर सकते हैं, वह कुशलता से काम करता है और किसानों के लिए काम आसान बनाता है। आम की फसल के अलावा, उत्तर प्रदेश को गन्ना उत्पादन के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है।
4.) जम्मू और कश्मीर: जम्मू-कश्मीर, सेब के उत्पादन का घर है। बाज़ारी हिस्सेदारी पर, जम्मू-कश्मीर का भारत में सबसे अधिक, 77% हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर में सेब की सबसे अधिक हिस्सेदारी और तेज़ी से उत्पादन के कारण, यह राज्य हर साल 1800 टन सेब का उत्पादन करता है।
5.) तमिलनाडु: तमिलनाडु ने 7 बिलियन नारियल का उत्पादन किया है, जिसमें पूरे राज्य में 4.65 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती की जाती है। तमिलनाडु के कोयंबटूर और कृष्णगिरी ज़िले , नारियल के उत्पादन के लिए मिट्टी की दक्षता प्रदान करते हैं।
A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.
D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.
E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.