City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2923 | 120 | 3043 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
क्या आप जानते हैं कि भारत का लगभग 7,516 किलोमीटर का क्षेत्र, समुद्री तट से लगते हुए है! केरल, ओडिशा, कर्नाटक, गुजरात और गोवा जैसे कई भारतीय राज्यों की अर्थव्यवस्था काफी हद तक इन विशालकाय समुद्रों के भीतर फल-फूल रहे जलीय जीवन पर ही निर्भर करती है! इन राज्यों के मछली व्यवसायी भी अपनी आजीविका हेतु बड़ी संख्या में गहरे समुद्रों की ओर अपना रुख करते हैं! तट से दूर गहरे समुद्रों से मछली पकड़ने हेतु डीप सी फिशिंग (deep-sea fishing) नामक एक शानदार प्रणाली का प्रयोग किया जाता है, जिसके आर्थिक लाभ तो बहुत अधिक हैं, लेकिन यह प्रक्रिया जलीय पारिस्थितिकी को गंभीर स्तर पर प्रभावित भी कर सकती है! चलिए जानते हैं कैसे?
गहरे समुद्र में मछली पकड़ने अथवा डीप सी फिशिंग को ऑफशोर फिशिंग (offshore fishing) यानी अपतटीय मछली पकड़ने के रूप में भी जाना जाता है! इस प्रक्रिया के तहत समुद्र के तट से दूर पानी में कम से कम 100 फीट की गहराई पर मछली पकड़ने का काम किया जाता है। गहरे समुद्र में मछली पकड़ने का काम महाद्वीपीय सीमा से बहुत दूर खुले समुद्र में होता है। गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को देश के ब्लू रिवोल्यूशन (Blue Revolution) लक्ष्य में एक प्रमुख घटक के रूप में शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य 200 समुद्री मील के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone) के भीतर मछली पकड़ने के संसाधनों का पूरी तरह से उपयोग करना है।
ज्यादातर मछुआरे गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की अपनी यात्राओं के लिए एक गाइडिंग कंपनी (guiding company) को नियुक्त करते हैं। ये मछली पकड़ने के चार्टर स्थान, गाइड कंपनी और मछली की प्रजातियों के आधार पर अलग-अलग होते हैं। डीप-सी फिशिंग के अंतर्गत इस्तेमाल की जाने वाली विधियों में ट्रॉलिंग (trolling), चम्मिंग (chumming), पॉपिंग (popping) और जिगिंग (jigging) शामिल हैं।
चलिए इन सभी विधियों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
मछली पकड़ने की कुछ तकनीकें कई मायनों में बेहद घातक भी साबित हो सकती हैं! उदाहरण के तौर पर हम बॉटम ट्रॉलिंग (bottom trawling) नामक एक मछली पकड़ने की तकनीक को ही ले सकते हैं, जो समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिए अत्यधिक विनाशकारी हो सकती है।
बॉटम ट्रॉलिंग (bottom trawling) क्या है?
बॉटम ट्रॉलिंग एक मछली पकड़ने की विधि है जिसमें समुद्र तल पर रहने वाले झींगे और मछलियों को पकड़ने के लिए बड़े, भारी वजन वाले जाल का उपयोग किया जाता है। इन जालों का उपयोग उथले तटीय जल के साथ-साथ बहुत गहरे पानी में भी किया जा सकता है, जो 6,000 फीट (2 किमी) तक गहरा हो सकता है।
बॉटम ट्रॉलिंग के प्रभाव और दुष्प्रभाव निम्नवत दिए गए हैं:
- अंधाधुंध पकड़ (bycatch): बॉटम ट्रॉलिंग में उपयोग किए जाने वाले जाल का छोटा जाल कुछ अन्य जानवरों को भागने की अनुमति देता है, जिसके परिणामस्वरूप कई अवांछित प्रजातियां भी पकड़ी जाती हैं, जिनमें छोटी मछलियाँ भी शामिल हैं। यह बॉटम ट्रॉलिंग को सबसे अंधाधुंध मछली पकड़ने के तरीकों में से एक बनाता है।
- समुद्रतल पर निवास-स्थलों का विनाश: बॉटम ट्रॉलिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले भारयुक्त जाल और ट्रॉल दरवाज़े कई सौ पाउंड वज़नी हो सकते हैं। जब उन्हें समुद्रतल पर घसीटा जाता है, तो वे अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को परेशान या नष्ट कर देते हैं, जिसमें समुद्री घास, प्रवाल भित्तियाँ और चट्टानी क्षेत्र शामिल हैं, जहाँ मछलियाँ शिकारियों से छिपती हैं।
- बायकैच (bycatch) और डिस्कार्ड (discard) की उच्च दर: बॉटम ट्रॉलिंग दुनिया भर में समुद्र में फेंकी गई सभी मछलियों और समुद्री जीवन के आधे से ज़्यादा हिस्से के लिए जिम्मेदार है। बहुमूल्य मछलियाँ, कछुए, समुद्री पक्षी और अन्य जानवर अक्सर पकड़े जाते हैं और फिर फेंक (discard) दिए जाते हैं, जिनमें से कई बच नहीं पाते।
- अनुपातहीन अपशिष्ट (disproportionate waste): मेक्सिको की खाड़ी में, पकड़े गए हर पाउंड झींगे के लिए, चार से दस पाउंड अन्य समुद्री संसाधन फेंक दिए जाते हैं। कैरिबियन और मध्य अमेरिका में झींगे के ट्रॉलिंग में भी डिस्कार्ड दर उच्च है, जहाँ कुछ क्षेत्रों में 80% से ज़्यादा पकड़ी गई मछलियों को फेंक दिया जाता है।
जलीय जीवन में रूचि रखने वाले हमारे मेरठ वासियों को यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मेरठ में सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा अंतर्देशीय मत्स्य पालन क्षेत्र को सहायता प्रदान करने के लिए एक मछली प्रदर्शन एवं अनुसंधान इकाई की स्थापना की गई है। यह विशेष इकाई मछली पालन तकनीकों में किसानों को प्रशिक्षित करने और क्षेत्र में मछली पालकों और उद्यमियों को प्रासंगिक तकनीकों को हस्तांतरित करने पर ध्यान केंद्रित करती है। व्यावहारिक प्रदर्शन और कौशल विकास कार्यक्रम प्रदान करके, विश्वविद्यालय का उद्देश्य स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना और मछली पालन में उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
चित्र संदर्भ
1. बॉटम ट्रॉलिंग को दर्शाता चित्रण (flickr)
2. ऑफशोर फिशिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. समुद्र के तल में मछलियों को संदर्भित करता एक चित्रण (Freerange)
4. बॉटम ट्रॉलिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. समुद्र के तल में कूड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.