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आज हम हमारे शहर मेरठ के मुख्य जल स्रोत – गंगा नहर, और हमारे राज्य उत्तर प्रदेश के लिए इसके महत्व को समझेंगे। वर्ष 1842 से शुरू होकर, इस प्रणाली को 1842 और 1854 के बीच इंजीनियर प्रोबी थॉमस कॉटले(Proby Thomas Cautley) द्वारा तैयार और निर्मित किया गया था। आजकल, इस नहर प्रणाली को दो भागों में विभाजित किया गया है: ऊपरी गंगा नहर और निचली गंगा नहर। इन नहरों से हमारे राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा घाटी के खेती वाले क्षेत्र को सिंचाई में लाभ होता है।
इससे गन्ना, कपास और तिलहन जैसी नकदी फसलों का उत्पादन बढ़ जाता है। इसके अलावा, ये नहरें लगभग 51,700 से 1,28,700 मेगावाट जलविद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने में भी मदद करती हैं।
गंगा नहर प्रणाली को 1842 और 1854 के बीच, इंजीनियर प्रोबी थॉमस कॉटले द्वारा तैयार और निर्मित किया गया था। और, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी(British East India Company (BEIC)) द्वारा इसे वित्त पोषित किया गया था। यह नहर योजना 1837-38 के आगरा अकाल के प्रबंधन योजना के तहत बनाई गई थी। क्योंकि, तब गर्मियों में मानसून की बारिश विफल होने के कारण, उत्तर पश्चिम भारत में 80,000 से अधिक लोग भूख से मर गए थे।
आज, गंगा नहर मुख्य रूप से एक सिंचाई प्रणाली है, हालांकि इसमें एक नौपरिवहन चैनल भी हैं। इस गंगा नहर प्रणाली में 437 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर और लगभग 6,440 किलोमीटर लंबे वितरण चैनल शामिल हैं। इस नहर प्रणाली में एक ऊपरी और निचली नहर है। दरअसल, इस प्रणाली को इन्हीं दो प्रणालियों में विभाजित किया गया है। इस प्रकार, यह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 10 जिलों में लगभग 9,000 वर्ग किमी उपजाऊ कृषि भूमि को सिंचित करती है। जल-विद्युत संयंत्रों को बाद में इस प्रणाली में जोड़ा गया। पूरी क्षमता पर चलने पर, वे लगभग 33 मेगावॉट बिजली उत्पन्न कर सकते हैं।
1854 में जब गंगा नहर खुली थी, तो यह दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे महंगा मानव निर्मित जलमार्ग था।
ऊपरी गंगा नहर हरिद्वार से शुरू होती है, और इसकी शाखाओं की कुल लंबाई 5,950 मील (9,575 किलोमीटर) है। सारदा नहर अयोध्या के पास भूमि को सिंचित करती है। जबकि, निचली गंगा नहर, अपनी शाखाओं के साथ 5,120 मील (8,240 किलोमीटर) तक फैली हुई है, और नरौरा से शुरू होती है।
सिंचाई के लिए गंगा नदी के पानी का उपयोग, या तो जब नदी में बाढ़ हो, या गुरुत्वाकर्षण नहरों के माध्यम से, प्राचीन काल से आम रहा है। ऐसी सिंचाई का वर्णन 2,000 वर्ष से भी पहले लिखे गए, धर्मग्रंथों और पौराणिक पुस्तकों में मिलता है। मेगस्थेनीज़(Megasthenes), जो एक यूनानी इतिहासकार(Greek historian) और राजदूत थे, कुछ समय के लिए, भारत में थे। तब, उन्होंने चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में, गंगा के पानी की सिंचाई को दर्ज किया था। 12वीं शताब्दी के बाद से, मुस्लिम शासन काल के दौरान ऐसी सिंचाई का अत्यधिक विकास हुआ और बाद में मुगल राजाओं ने कई नहरों का निर्माण किया। परंतु, नहर प्रणाली को अंग्रेजों द्वारा विकसित किया गया था।
उत्तर प्रदेश और बिहार में, गंगा घाटी के खेती वाले क्षेत्र को सिंचाई नहरों की प्रणाली से लाभ मिलता है, जिससे गन्ना, कपास और तिलहन जैसी नकदी फसलों का उत्पादन बढ़ गया है। पुरानी नहरें मुख्यतः गंगा-यमुना दोआब (अर्थात, दो नदियों के बीच की भूमि) में हैं।
मैदान के उत्तरी किनारे पर, ऊंची भूमि पर नहर द्वारा सिंचाई करना कठिन है, और भूजल को पंप करके सतह पर लाना पड़ता है। उत्तर प्रदेश और बिहार के बड़े क्षेत्रों में भी खोदे गए कुओं से चलने वाले चैनलों द्वारा सिंचाई की जाती है। बांग्लादेश में गंगा-कबादक योजना, मुख्य रूप से एक सिंचाई योजना है, जो खुलना, जेसोर और कुश्तिया जिलों के कुछ हिस्सों को कवर करती है, जो इस हिस्से के भीतर आते हैं। यहां दरअसल, नदी डेल्टा का गाद और अतिवृष्टि, धीमी गति से बहने वाली नदियों का प्रवाह विखंडित या बंद कर देती हैं। अतः, सिंचाई की प्रणाली गुरुत्वाकर्षण नहरों और विद्युत चालित उठाने वाले उपकरणों दोनों पर आधारित है।
पैडल स्टीमर(Paddle steamers) के आगमन ने अंतर्देशीय परिवहन में क्रांति ला दी, जिससे बिहार और बंगाल में नील उत्पादन में वृद्धि हुई। नियमित स्टीमर सेवाएं गंगा नदी में कोलकाता से प्रयागराज और उससे भी आगे स्थित कुछ क्षेत्रों तक, एवं यमुना पर आगरा तक और ब्रह्मपुत्र नदी तक चलती थीं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2s4ydx3c
https://tinyurl.com/bddkv8ek
https://tinyurl.com/c4fduevv
https://tinyurl.com/yr835cdw
चित्र संदर्भ
1. भोले की झाल से होकर गुजरने वाली गंगा नहर को दर्शाता चित्रण (youtube)
2. 1863 में रुड़की में गंगा नहर पर बनाये पुल के जलरंग चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ब्रिटिश शासन काल में गंगा नहर पर बनाए गए पुल को दर्शाता चित्रण (
publicdomainpictures)
4. खेतों के बीच से होकर बह रही गंगा नहर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)