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इंटरनेट पर आपकी सामग्री की सुरक्षा: वॉटरमार्क का महत्व और इतिहास

मेरठ

 02-07-2024 09:36 AM
सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

अगर आप इस लेख को पढ़ रहे हैं, तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि आप इंटरनेट का प्रयोग करना न जानते हों। रोटी, कपड़ा और मकान के बाद, इंटरनेट भी हमारे जीवन की मूलभूत जरूरतों में जुड़ता जा रहा है। ऐसे में यदि आप भी कोई बहुत सुंदर छवि या बड़ा ही दिलचस्प वीडियो, इंटरनेट पर अपलोड करते हैं, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि उस छवि या उस वीडियो को कोई दूसरा व्यक्ति भी आपकी मर्जी के बिना आपके सोशल मीडिया अकाउंट (social media account) से डाउनलोड करके अपने अकाउंट से अपलोड कर दे।
ऐसे में आपके पास क्या सबूत है कि यह वीडियो या तस्वीर आपकी संपत्ति है? घबराइये नहीं! इस समस्या का एक दिलचस्प और बेहतरीन समाधान है, जिसे "वॉटरमार्क (watermark)" के नाम से जाना जाता है। वॉटरमार्क के बारे में जानना इसलिए भी ज़रूरी है क्यों कि यह न केवल इंटरनेट की आभासी दुनिया में आपकी संपत्ति की रक्षा करता है, बल्कि यह वास्तविक दुनिया में भी कागज़ों में मुद्रित होकर यह बता सकता है, कि यह दस्तावेज सीधे-सीधे आपके द्वारा जारी किया गया है, या आपसे संबंधित है, चलिए जानते हैं कैसे? वॉटरमार्क को थोड़ा पारदर्शी (transparent) डिज़ाइन किया जाता है, ताकि वे सामग्री (कागज़ी दस्तावेज, छवि, वीडियो आदि) के मूल दृश्य को बाधित न करें।
वॉटरमार्क कई तरीकों से छवियों की सुरक्षा करते हैं:
- छवि कॉपीराइट (image copyright): वॉटरमार्क लोगों को आपकी छवियों को चुराने और उन पर अपना दावा ठोकने से रोकते हैं। यह उन फ़ोटोग्राफ़रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकते हैं, जो अपना काम ऑनलाइन बेचते हैं।
- ब्रांडिंग (branding): वॉटरमार्क का उपयोग करके आप अपने ब्रांड का प्रचार कर सकते हैं। किसी छवि में अपना नाम जोड़कर, आप दृश्यता बढ़ा सकते हैं और अधिक ग्राहकों को आकर्षित कर सकते हैं।
- गोपनीयता (confidentiality): वॉटरमार्क का उपयोग गोपनीय दस्तावेज़ों, जैसे ड्राफ्ट या FPO को लेबल करने के लिए किया जा सकता है। कुल मिलाकर, वॉटरमार्क फ़ोटोग्राफ़रों और उन सभी लोगों के लिए बहुत उपयोगी उपकरण हो सकते हैं, जो अपने काम की सुरक्षा करना चाहते हैं और अपने ब्रांड का प्रचार करना चाहते हैं। वॉटरमार्क सबसे पहले 1282 के आसपास इतालवी पेपरमेकर्स (Italian papermakers) द्वारा फैब्रियानो (Fabriano) में विकसित किए गए थे। 15वीं शताब्दी तक, अधिकांश निर्माताओं द्वारा गुणवत्ता और प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए वॉटरमार्क का उपयोग किया जाने लगा था। ये विशिष्ट पैटर्न, कागज़ निर्माताओं की पहचान करने और कभी-कभी कागज़ की तारीख निर्धारित करने का एक तरीका प्रदान करते हैं। कागज़ पर वॉटरमार्क आमतौर पर कागज़ के साँचे में उभरे हुए पैटर्न (pattern) द्वारा निर्मित होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप चिह्नित क्षेत्र में थोड़ा पतला और अधिक पारदर्शी कागज़ बनता है। कुछ कागज़ों पर छिपे हुए वॉटरमार्क पैटर्न भी होते हैं, जिन्हें संचरित प्रकाश (transmitted light), रेकिंग लाइट (raking light), सॉफ्ट एक्स-रेडियोग्राफी (soft X-radiography), ग्रेनज़ रेडियोग्राफ़ी (Grenz radiography), और बीटा रेडियोग्राफ़ी (beta radiography) की मदद से देखा जा सकता है।
क्या आप जानते हैं कि दुनिया की अधिकांश कागज़ी मुद्राओं में भी वॉटरमार्क होते हैं, जो उस नोट की सुरक्षा में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। चलिए अब एक नज़र कागज़ी मुद्रा के रोमांचक सफर पर डालते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में इस्तेमाल की जाने वाली पहली मुद्रा "फ्लाइंग मनी (Flying Money)" थी, जिसका इस्तेमाल 618-907 ई. के चीन में तांग राजवंश के धनी व्यापारियों और सरकारी अधिकारियों द्वारा किया जाता था। "फ्लाइंग मनी" के नाम से जाने जाने वाले ये दस्तावेज़ आधुनिक बैंक ड्राफ्ट (bank draft) की भांति ही काम करते थे। स्थानीय अधिकारियों के पास कागज़ की रसीद के बदले में पैसे जमा किए जाते थे। इस रसीद को कहीं और बराबर राशि में भुनाया जा सकता था। फ्लाइंग मनी आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं थी।
पहली कागजी मुद्रा, चीन में सोंग राजवंश (Song Dynasty) (960-1279 ई.) के दौरान बनाई गई थी। सम्राट झेनजोंग के शासनकाल (997-1022 ई.) के दौरान सिचुआन में व्यापारियों द्वारा "जियाओज़ी (Jiaozi)" के नाम से जाने जाने वाले वचन पत्र छापे गए थे। इन नोटों को सिक्के आधारित पैसे के लिए बदला जा सकता था। इन्हें आम लोगों के बीच बदला जा सकता था। हालाँकि यह व्यवस्था शुरू में लोकप्रिय हुई लेकिन कुछ दशकों के बाद इस कागजी मुद्रा को मुद्रास्फीति की समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसके बाद "जियाओज़ी" की जगह "हुइज़ी (Huizi)" के नाम से जाने जाने वाले सरकारी-मुद्रित नोटों ने ले ली। प्रत्येक नोट का आकार A4 पेपर (A4 paper) की एक शीट के बराबर था। प्रत्येक नोट पर तांबे की प्लेट से एक देहाती दृश्य उभरता था, जिसमें सिक्कों की तस्वीरें और जालसाज़ों के लिए चेतावनी दी गई थी। छपे हुए नोटों पर हाथ से लिखे मूल्यवर्ग और प्रामाणिकता के लाल स्याही के स्टैम्प (stamp) लगे हुए थे। आज इस तरह के नोटों का कोई उदाहरण नहीं बचा है। हालाँकि, पुरातत्वविदों ने उनके उत्पादन में इस्तेमाल की गई एक प्रिंटिंग प्लेट (printing plate) को खोजा है, जो लगभग 1023 की है।
1690 में, मैसाचुसेट्स बे कॉलोनी (Massachusetts Bay Colony), पश्चिमी दुनिया की पहली सरकार बन गई जिसने अपना खुद का कागजी पैसा जारी किया, जिसे "बिल ऑफ़ क्रेडिट (bill of credit)" या औपनिवेशिक नोट (colonial note) के रूप में जाना जाता है। धीरे-धीरे कागजी नोट जारी करने की प्रथा अन्य उपनिवेशों में भी फैल गई। 1739 में फिलाडेल्फिया में बेंजामिन फ्रैंकलिन (Benjamin Franklin) की प्रिंटिंग फर्म द्वारा औपनिवेशिक नोटों को प्रकृति प्रिंट (nature print) के साथ मुद्रित किया गया था।
भारत में कागज़ी नोट का सफर: 14 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को औपनिवेशिक शासन से भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की गई। 26 जनवरी, 1950 को गणतंत्र की स्थापना हुई। 1950 में, गणतंत्र भारत के पहले बैंक नोट 2, 5, 10 और 100 रुपये के मूल्यवर्ग में जारी किए गए थे। 2, 5 और 100 रुपये के नोटों में रंग और डिज़ाइन में थोड़ा बदलाव देखा गया। निरंतरता के लिए 10 रुपये के नोट के पीछे जहाज की आकृति को बरकरार रखा गया। प्रारंभिक श्रृंखला (1950-1967) में छोटे मूल्यवर्ग (2 और 5 रुपये) के नोटों पर जीव-जंतुओं की आकृतियाँ और उच्च मूल्यवर्ग (100 रुपये) पर कृषि विषय चित्रित किये गए थे। लागत संबंधी मुद्दों के कारण 1967 में नोटों के आकार छोटे कर दिए गए। 1969 में महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी को चिह्नित करने के लिए एक स्मारक श्रृंखला जारी की गई थी, जिसमें सेवाग्राम आश्रम की पृष्ठभूमि के साथ बैठे हुए गांधी जी की तस्वीर मुद्रित की गई थी। 1980 के दशक में नोटों का एक नया सेट देखा गया, जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी (आर्यभट्ट 2 रुपये पर), प्रगति, और भारतीय कला रूपों (कोणार्क चक्र 20 रुपये पर और मोर 10 रुपये पर) पर जोर दिया गया था। इस श्रृंखला में दृष्टिबाधित लोगों के लिए बदले हुए वॉटरमार्क (watermark), विंडो वाले सुरक्षा धागे, लेटेंट इमेज (latent image) और इंटाग्लियो (intaglio) सुविधाओं जैसी नई सुरक्षा सुविधाएँ शामिल की गईं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/3hn4y2p3
https://tinyurl.com/3pnex6ku
https://tinyurl.com/mwnscch2
https://tinyurl.com/4hcjxk35
https://tinyurl.com/3x9pnjz5

चित्र संदर्भ
1. रामपुर के रज़ा पुस्तकालय को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. वॉटरमार्क के चार चरणों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. एक कागज के टुकड़े पर वॉटरमार्क को दर्शाता चित्रण (historylines)
4. सोंग राजवंश की कागज़ी नोट को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)
5.  भारतीय कागज़ के नोटों को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)
6. अप्रचलित 2000 के नोट में गांधीजी को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)

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