तानसेन अपने समय के एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण गायक थे जिनकी गायकी देखकर बड़े से बड़े संगीत के सूरमा भी नतमस्तक हो जाते थे। बहुत ही कम लोगों को ज्ञात है कि तानसेन का सम्बन्ध रामपुर से अत्यंत गहरा है जिसके प्रमाण विभिन्न पुस्तकों द्वारा प्राप्त होते हैं। रोहेला नवाबों में नवाब अली मोहम्मद खान से लेकर नवाब हामिद अली खान ने विशेषकर तानसेन और नौबत खान (मिसरी सिंह) के खानदान के संगीतकारों को शह दी। रामपुर के संगीत और शैली को समझाने के लिए तानसेन और नौबत खान को समझने की आवश्यकता है। तानसेन ने अपनी जिंदगी के एक पड़ाव पर आकर मुस्लिम धर्म को अपना लिया तथा अपना नाम मोहम्मद अता रख लिया और वहीं मिसरी सिंह ने नौबत खान।
मिसरी सिंह का सम्बन्ध किशन गढ़ के समोखन सिंह से था। अकबर से पराजित होकर समोखन सिंह ने अकबर की प्रभुसत्ता स्वीकार कर ली। पौत्र मिसरी सिंह को गृह बंधक बना लिया गया। मिसरी सिंह संगीतकार था इस लिए वह अकबर के दरबार में दरबारी बन गया। दरबारी बनने के तदुपरांत ही वह इस्लाम स्वीकार कर नौबत खान बन गया। मिसरी सिंह का पहला विवाह मुग़ल अहमद खान की बेटी से हुआ। उसके निधन के बाद उसकी शादी तानसेन की बेटी सरस्वती से हुयी जिसने इस्लाम स्वीकार कर अपना नाम हुसैनी रख लिया।
इस प्रकार से तानसेन और नौबत खान की शैलियों का मिश्रण हुआ। कालांतर में दिल्ली के बुरे दिनों में वहां के कलाकारों ने अवध और रोहेलाओं की तरफ पलायन किया और यहीं पर बस गए, जिस कारण रोहेला साम्राज्य के गायक तानसेन और नौबत खान के खानदान से सम्बन्ध थे। यही कारण है कि रामपुर घराना अपने संगीत के लिए उच्चतम शिखर पर व्यवस्थित है। यहाँ से कई संगीत के क्षेत्र के अद्भुत नगीने निकले हैं जिन्होंने पूरे देश में रामपुर घराने का लोहा मनवाया है।
1. रोहेला इतिहास (इतिहास एवं संस्कृति) 1707-1774, डॉ डब्लू. एच. सिद्दीकी, रामपुर रज़ा लाइब्रेरी
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