मेरठ प्राचीन काल में अध्यात्म के क्षेत्र में एक अत्यंत अहम् केंद्र था। यही कारण है कि यहाँ पर कई प्राचीन मंदिरों आदि का निर्माण करवाया गया है। मेरठ का नाम महाभारत में बड़े पैमाने पर लिया गया है तथा हस्तिनापुर का महत्व जग जाहिर है। हस्तिनापुर का पांडेश्वर मंदिर अपने में कई सारी कहानियाँ समेटे हुए है। इस मंदिर का निर्माण बहसूमा के गुर्जर राजा नैन सिंह ने सन 1798 में करवाया था। जैसा कि हस्तिनापुर का प्रमुख टीला अपने में कई रहस्यों को दबाये बैठा है, इसकी खुदाई में कई विभिन्न प्रकार के अवशेषों की प्राप्ति हुयी है। ऐसा माना जाता है कि मुख्य टीले के पूरब में बसे पांडेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग महाभारत कालीन है।
इस मंदिर के प्रांगण में दो विशालकाय पीपल व बरगद के वृक्ष खड़े हैं जो कि लोक कथा के अनुसार महाभारत कालीन हैं। यहाँ उपस्थित जन श्रुतियों के अनुसार पांडेश्वर का अर्थ है पांडवों के ईश्वर। कहा जाता है कि पांडव द्वारा स्नान करने के पश्चात इसी स्थान पर शिव लिंग की पूजा कर ऋषियों से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता था। यह भी मान्यता है कि इस मंदिर के आसपास तप-जप करने के लिए अनेकों गुफाएं थी जो कि अब काल के गाल में समा चुकी हैं। जन श्रुतियों में कितनी सत्यता है या कितनी प्रशस्ति है यह तो कहा नहीं जा सकता परन्तु पांडेश्वर मंदिर शांति व महाभारत की कथाओं का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करने में जरा सा भी पीछे नहीं हटता। आज यह मंदिर पर्यटन का एक केंद्र बन चुका है।
1. https://www.booksfact.com/archeology/archaeological-excavations- prove-veracity-mahabharata-war-around-3100-bce.html
2. http://asi.nic.in/asi_exca_imp_uttarpradesh.asp
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