Post Viewership from Post Date to 13-Jul-2024 31st Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2681 141 2822

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

बनारस के घाटों से प्रेरित डिज़ाइन वाले ट्रांसफरवेयर बर्तन, तथा इस कला का इतिहास

मेरठ

 12-06-2024 09:32 AM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

अपने दैनिक जीवन में हम विभिन्न प्रकार की मुद्रण शैलियां देखते हैं। लेकिन, आज हम एक अनूठी मुद्रण तकनीक देखेंगे, जिसे ट्रांसफर प्रिंटिंग(Transfer printing) कहा जाता है। ट्रांसफर प्रिंटिंग एक मुद्रण तकनीक है, जिसका उपयोग कागज़ या कपड़े पर डिज़ाइन, पैटर्न या छवियों को बनाने के लिए किया जाता है। इसमें कागज़ या फिल्म से, तापमान और दबाव का उपयोग करके,स्याही को वांछित सतह पर स्थानांतरित करना शामिल है। जबकि, ट्रांसफरवेयर(Transferware) एक विशिष्ट प्रकार के सिरैमिक वेयर(Ceramic ware) को संदर्भित करता है, जिसे ट्रांसफ़र प्रिंटिंग तकनीकों का उपयोग करके सजाया जाता है। इसमें जटिल डिज़ाइन, पैटर्न या दृश्य बनाए जाते हैं।
तो आइए, देखें कि ट्रांसफर प्रिंटिंग तथा इसका इतिहास क्या है। जानें कि, इसकी शुरुआत कब हुई और ‘जॉन हॉल्स एंड संस’ द्वारा ट्रांसफरवेयर के उत्तम उदाहरण क्या हैं। ट्रांसफर प्रिंटिंग उत्कीर्णन किए गए तांबे या स्टील प्लेट का उपयोग करके, मिट्टी या सिरैमिक के बर्तनों या अन्य सामग्रियों को सजाने की एक विधि है।इसमें कागज़ पर एक रंगा प्रिंट लिया जाता है, जिसे फिर मिट्टी/सिरैमिक पर दबाकर स्थानांतरित किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग करके सजाए गए बर्तनों को ट्रांसफरवेयर के रूप में जाना जाता है। इसे 1750 के दशक में इंग्लैंड(England) में विकसित किया गया था, और 19वीं शताब्दी में यह वहां अत्यधिक लोकप्रिय हो गया। हालांकि, इसका अन्य प्रमुख मिट्टी बर्तन उत्पादक देशों में अपेक्षाकृत कम उपयोग किया गया। ट्रांसफरवेयर उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा, इंग्लैंड के प्रमुख स्टैफ़र्डशायर(Staffordshire) मिट्टी बर्तन उद्योग से आता था। जबकि, अमेरिका इन ट्रांसफरवेयर उत्पादों के लिए एक प्रमुख बाज़ार था।
यह तकनीक विशेष रूप से, अपेक्षाकृत सस्ते मिट्टी के बर्तनों में, विलो पैटर्न(Willow pattern) जैसी जटिल सजावट जोड़ने के लिए आवश्यक थी। इसके अलावा ट्रांसफर प्रिंटिंग ने समान खाद्य बर्तनों की कीमत काफी कम कर दी थी।
हालांकि, वाणिज्यिक ट्रांसफर प्रिंटिंग के इतिहास में इंग्लैंड का वर्चस्व था, लेकिन, इस तकनीक का उपयोग पहली बार इटली(Italy) में किया गया था। ऐसी कुछ शिल्पकृतियों की सजावट में मुद्रित और चित्रित तत्व मिलते हैं। वे 17वीं सदी के अंत या संभवतः 18वीं सदी के प्रारंभ के हैं। ऐसी चार शिल्पकृतियां ज्ञात हैं। लगभग 1749 और 1752 के बीच,डोकिया पोर्सिलेन फैक्ट्री(Doccia porcelain factory ) में भी ट्रांसफर प्रिंटिंग का इस्तेमाल किया जाता था। उन्होंने स्टेंसिल(Stencil) के साथ भी प्रयोग किया और कुछ शिल्पकृतियों पर यह तकनीक पाई जाती हैं। एक तरफ, इंग्लैंड में 1750 के दशक में, तीन लोगों ने सिरैमिक बर्तनों पर मुद्रित सजावट के अनुप्रयोग में महत्वपूर्ण प्रगति की। कदाचित वे इतालवी तकनीक से अवगत नहीं थे। यहां इस प्रिंटिंग के शुरुआती उपयोग, महंगे चीनी मिट्टी के बर्तनों पर होते थे।बाद में, 19वीं शताब्दी में इसका उपयोग अन्य मिट्टी के बर्तनों पर अधिक किया जाता था। प्रारंभ में, शिल्पकृतियों के बनने के बाद, उन पर मुद्रण किया जाता था।
स्विट्जरलैंड(Switzerland) के एक कलाकार ने, 1752 के अंत में चेल्सी वर्क्स(Chelsea works) के निकट एक अज्ञात कारखाने में, छपाई का प्रारंभिक रिकॉर्ड प्रस्तुत किया है।
1751 में, आयरलैंड(Ireland) के एक उत्कीर्णक – जॉन ब्रूक्स(John Brooks),ने उत्कीर्णन व नक़्क़ाशीदार मुद्रण के लिए एक पेटेंट(Patent) के लिए याचिका दायर की थी। वह मुख्य रूप से इनेमल(Enamel) पर मुद्रित सजावट करते थे। हालांकि, उनको कभी पेटेंट नहीं मिला। इनेमल पर मुद्रण संभवतः 1753 के आसपास शुरू हुआ था। और, 1760 के आसपास, नीले रंग में कुछ मुद्रण होने लगा था।
ब्रूक्स के पहले पेटेंट प्रयास के पांच साल बाद, 1756 में,जॉन सैडलर(John Sadler) ने एक पेटेंट पत्र में दावा किया कि, उन्होंने पिछले सात वर्षों में टाइल्स पर मुद्रण की प्रक्रिया को पूरा किया था।तब, सैडलर और उनके सहयोगी गाइ ग्रीन(Guy Green) ने, मिट्टी तथा चीनी मिट्टी के बर्तन और क्रीमवेयर(Creamware) पर लिवरपूल(Liverpool) में मुद्रण शुरु किया। 1750 के दशक में, चीनी मिट्टी के बर्तनों पर की जाने वाली, ट्रांसफर प्रिंटिंग आमतौर पर रॉबर्ट हैनकॉक(Robert Hancock)से जुड़ी हुई है। वे मुख्य रूप से,बर्तनों की भट्टी में पकाई गई ऊपरी व निचली सतहों पर काले रंग में मुद्रण का उत्पादन कर रहें थे। उनकी कुछ मुद्रित शिल्पकृतियां जटिल आकार में थी और उनमें सोने के पत्र की नक्काशी शामिल थी।इससे पता चलता है कि,उस समय पर यह तकनीक विलासी उत्पादों के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
फिर बाद में, 1842 से यूनाइटेड किंगडम पेटेंट कार्यालय(United Kingdom Patent Office) ने पंजीकृत चिह्नों की एक प्रणाली शुरू की, जो आमतौर पर ट्रांसफरवेयर के नीचे अंकित या मुद्रित होते थे। यह आमतौर पर कार्यालय का चिन्ह होते थे। बाद में, ट्रांसफर प्रिंटिंग की यह तकनीक एशिया में भी फैल गई। ट्रांसफरवेयर पैटर्न के कुछ प्रकार भी होते हैं। इसी तरह, क्वाड्रुपेड्ससीरीज़(Quadrupeds Series)प्रसिद्ध है। क्वाड्रुपेड्स सीरीज़ के ट्रांसफरवेयर डिज़ाइन में,एक केंद्रीय जानवर के साथ-साथ,बर्तन के किनारों पर भी कुछ जानवर सजाए होते हैं। जानवरों की यह संख्या, वस्तु या बर्तन के आकार पर निर्भर करती है। हालांकि, कभी-कभी इन किनारों को पत्तियों और फूलों से सजाया जाता है। इन जानवरों के चित्रों की अलग–अलग स्रोतों से अनुकृति की गई हैं। सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले स्रोत, जॉन चर्च(John Church) द्वारा लिखित ‘ए कैबिनेट ऑफ क्वाड्रुपेड्स(A Cabinet of Quadrupeds)’ और थॉमस बेविक(Thomas Bewick) द्वारा लिखित द जनरल हिस्ट्री ऑफ क्वाड्रुपेड्स(The General History of Quadrupeds) थे। यह क्वाड्रुपेड्स सीरीज़ भोजन वाले बर्तनों पर मुद्रित की गई थी।
साथ ही, क्या आप जानते हैं कि, ट्रांसफरवेयर बनारस शहर से भी संबंधित है? 1800 के दशक की शुरुआत में स्टैफोर्डशायर में जे हॉल एंड संस(J Hall & Sons) द्वारा निर्मित, फ्लो ब्लू ओरिएंटल सीनरी सॉसर(Flow Blue Oriental Scenery Saucer) या प्लेट पर बनारस शहर के घाट तथा गंगा नदी का चित्रण किया गया है। साथ ही, इस पर ‘सिटी ऑफ बनारस(City of Benaras)’ की मुहर भी लगाई गई थी। दूसरी ओर, आई. हॉल एंड संस(I. Hall & Sons), इंग्लैंड(England) द्वारा एक छोटी प्राचीन ट्यूरेन(Tureen) भी निर्मित है। इस पर, “ओरिएंटल सीनरी हिंदू विलेज(Oriental Scenery Hindoo Village)” की मुहर लगाई गई है।

संदर्भ

https://tinyurl.com/yruwmyms
https://tinyurl.com/37ymmaz6
https://tinyurl.com/5n66mkhe
https://tinyurl.com/3zffkkdr

चित्र संदर्भ
1. ट्रांसफरवेयर सिरैमिक बर्तनों पर बने बनारस के घाट के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (worthpoint)
2. विलो पैटर्न में विभिन्न बर्तनों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. परिणामी अंतिम उत्पाद के साथ ट्रांसफर मुद्रण के लिए एक स्टील रोलर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. 1840-1860 में निर्मित ट्रांसफरवेयर सिरैमिक पात्र को संदर्भित करता एक चित्रण (PICRYL)
5. ट्रांसफरवेयर सिरैमिक के एक उदाहरण के रूप में चाय के बर्तनों को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
6. मुख्य चित्र में दिए गए ट्रांसफरवेयर सिरैमिक बर्तन पर बने बनारस के घाट के दृश्य में सिटी ऑफ बनारस की मुहर को संदर्भित करता एक चित्रण (worthpoint)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए देखें, अपने अस्तित्व को बचाए रखने की अनूठी कहानी, 'लाइफ़ ऑफ़ पाई' को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     24-11-2024 09:17 AM


  • आर्थिक व ऐतिहासिक तौर पर, खास है, पुणे की खड़की छावनी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id