रामपुर के नौबतखानी बीनकार: संगीतशास्त्र और पाकशास्त्र के पुजारी

मेरठ

 15-03-2018 11:51 AM
ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

“अगर यह लोग खाने के इतने शौकीन ना होते तो आज इनके घर सोने चाँदी के होते!” -नवाब हामिद अली खान, रामपुर के नौबतखानीओं पर टिप्पणी

नौबतखानी मतलब प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीतकार, संगीत रचयिता और वादक नौबत खान के घराने के लोग। नौबत खान जिनका असल नाम (धर्म-परिवर्तन के बाद) अली खान काकोरी था, किशनगढ़ के महाराजा समोखन सिंह के पुत्र और मियां तानसेन के दामाद थे। इनका हिन्दू नाम मिश्री सिंह था तथा अकबर ने उन्हें काकोरी (वित्त मंत्री) का ओहदा दिया और शाहजहाँ ने उन्हें नौबत खान की उपाधि दी। हिन्दुस्तानी संगीत के आधिकारिक घराने बीनकार के वे संस्थापक थे।

वज़ीर खान रामपुर रियासत के मुख्य संगीतकार और नायक थे। वीणा बजाने में माहिर वे संगीत-वैज्ञानिक भी थे, उन्होंने रिसाला मौसिबी नाम की किताब लिखी। रामपुर के क्लब घर में इन्होने नाटकघर की स्थापना की। शायरी के लिए वो दाग़ से तामील हासिल करते थे। उनके प्रमुख शिष्य थे नवाब हामिद अली खान, अलाउद्दीन खान, हाफ़िज़ अली खान और पंडित विष्णु नारायण भातखंडे। अलाउद्दीन खान ने वज़ीर खान से सीखने के लिए बहुत दुःख झेले। इसकी वास्तव कहानी बड़ी रोचक है तथा दृढ़ता से आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं यह सबक भी देती है। अलाउद्दीन खान वज़ीर खान से नहीं मिल पा रहे थे तो एक दिन वे हामिद अली की गाड़ी के सामने जा खड़े हुए। उनकी ज़िद से प्रसन्न होकर नवाब ने वज़ीर खान को उन्हें सिखाने के लिए कहा लेकिन वज़ीर खान ने अलाउद्दीन खान को दो साल तक कुछ नहीं पढ़ाया। जब वज़ीर खान को यह पता चला कि अलाउद्दीन खान को उनसे सीखने के लिए परिवार सहित कितना कष्ट उठाना पड़ रहा है तब वे नरमा गए और उन्होंने अलाउद्दीन खान को सिखाना शुरू किया। अल्लाउद्दीन खान ने आगे जा कर मैहर घराने की स्थापना की जिसने भारतीय संगीत को पंडित रवि शंकर, पन्नालाल घोष, बहादुर खान, वसंत राइ, निखिल बनर्जी और शरण रानी जैसे हीरे दिए।

संगीतशास्त्र का यह निष्ठावान घराना खाने के मामले में भी बड़ा ही रसिक था। इनकी अपनी ही एक पाककला थी जो अवधी पाककला के थोड़ा समीप थी। अवध के रकाबदार उनके घर में रसोइया थे और खाने में चावल के विभिन्न पकवान और कबाबों की रेलचेल रहती थी। ऐसा कहा जाता था कि अगर खाने के बाद इस घराने में कोई मीठा ना खाए तो वो नौबतखानी हो ही नहीं सकता, हर खाने के बाद मीठा होता ही था।

रामपुर रियासत के यह अनमोल रत्न रामपुर को एक नई ऊँचाई पर ले गए।

1. http://worldlibrary.in/articles/eng/Naubat_Khan
2.https://ipfs.io/ipfs/QmXoypizjW3WknFiJnKLwHCnL72vedxjQkDDP1mXWo6uco/wiki/Naubat_Khan.html
3.https://ipfs.io/ipfs/QmXoypizjW3WknFiJnKLwHCnL72vedxjQkDDP1mXWo6uco/wiki/Wazir_Khan_(Rampur).html

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