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महात्मा गांधी और नेहरू जी की मेज़बानी कर चुका, मुस्तफा महल क्यों है खास?

मेरठ

 18-05-2024 08:57 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

मेरठ, को 'भारत का खेल शहर' भी कहा जाता है। आज यह शहर दिल्ली से निकटता और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर (NCR) के हिस्से के रूप में प्रसिद्ध है। मेरठ ऐतिहासिक रूप से भी संपन्न रहा है। आइए आज मेरठ की सांस्कृतिक विरासत पर ध्यान केंद्रित करते हुए शहर में मौजूद कई ऐतिहासिक इमारतों में से एक “मुस्तफा महल (MustafaCastle)” के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मेरठ के छावनी क्षेत्र में मुस्तफा महल नामक एक भव्य इमारत स्थित है। इसे शहर के सबसे महान और ऐतिहासिक स्थलों में से एक माना जाता है। इस महल का निर्माण 1900 में नवाब मोहम्मद इशाक खान द्वारा अपने पिता नवाब मुस्तफा खान शेफ्ता की याद में करवाया गया था। मुस्तफा खान शेफ्ता उस समय के प्रसिद्ध उर्दू कवि थे। इस महल को अपने भव्य आंतरिक सज्जा, अलंकृत द्वारों और कला और कलाकृतियों के संग्रह के लिए जाना जाता है। स्वतंत्रता से पूर्व युग के दौरान यह महल राष्ट्रवादियों के लिए एक बैठक स्थल के रूप में कार्य करता था। इस महल ने कई सम्मेलनों और उस समय की कई प्रमुख राजनीतिक और साहित्यिक हस्तियों की मेज़बानी की है। यह महल अपनी बारीकियों और असाधारण वास्तुकला के लिए प्रशंसित है।
इस इमारत के निर्माता नवाब मुस्तफा खान शेफ्ता एक देशभक्त, कवि और आलोचक और मिर्ज़ा ग़ालिब के करीबी दोस्त माने जाते थे। उनके दादा इस्माइल बेग, मुगल सेना के कमांडर-इन-चीफ थे। आत्मसमर्पण करने के बावजूद उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई जारी रखी और बाद में नेपाल चले गये। नवाब मुस्तफा खान पर मेरठ में शुरू हुए विद्रोह का समर्थन करने का आरोप लगाया गया था। परिणामस्वरूप, उन्हें सात साल जेल की सज़ा सुनाई गई और एक कोठरी में रखा गया जिसका इस्तेमाल शुरुआत में 1857 के विद्रोह के दोषियों के लिए किया गया था। यह छोटी जेल अब मुस्तफा महल से घिरे क्षेत्र का हिस्सा है। नवाब मुस्तफा खान का 1869 में निधन हो गया, उस समय उनके बेटे, नवाब एम. इशाक खान, सिर्फ नौ साल के थे। नवाब एम. इशाक खान ने वह क्षेत्र खरीद लिया, जहां उनके पिता को कैद किया गया था, जिसमें लगभग 30 एकड़ जमीन शामिल थी। फिर उन्होंने अपने पिता को श्रद्धांजलि के रूप में मुस्तफा महल का निर्माण कराया।
जिस कोठरी में नवाब मुस्तफा खान को रखा गया था, उसे कारावास के दौरान उनके द्वारा झेली गई कठिनाइयों को याद करने के लिए उसकी मूल स्थिति में संरक्षित किया गया है। इस विशिष्ट कमरे को नवाब एम. इशाक खान ने अछूता छोड़ दिया था। उनके परिवार, जो मूल रूप से दिल्ली और जहांगीराबाद में स्थित थे, ने 1900 में पूरा होने के बाद मुस्तफा महल को अपना मुख्य निवास बनाया। नवाब मुस्तफा खान शेफ्ता के बेटे नवाब इशाक खान एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और राष्ट्रीय कार्यकर्ता थे। उन्होंने अपने पिता के सम्मान में महल को स्वयं डिजाइन किया था। महल की वास्तुकला यूरोपीय, राजस्थानी और लखनऊ शैलियों के संयोजन को दर्शाती है। इस महल की सजावट में पेंटिंग, लकड़ी की नक्काशी और अंग्रेजी फर्नीचर सहित दुनिया भर से कला और उत्कृष्ट कलाकृतियों का चयन किया गया है। मुस्तफा महल में कई कमरे हैं, प्रत्येक का नाम अलग-अलग रंग जैसे 'बसंती' और 'गुलाबी' पर रखा गया है। इन कमरों का उपयोग विशेष रूप से गर्मियों या सर्दियों में किया जाता है, और उनकी सजावट उनके नाम से मेल खाती है। महल में अभी भी अपनी कुछ मूल विशेषताएं मौजूद हैं। इसमें नवाब मोहम्मद इशाक खान द्वारा लंदन से लाया गया फर्नीचर और विभिन्न बेशकीमती शोपीस शामिल हैं।
इनमें पेंडुलम घड़ियाँ, खूबसूरती से तैयार किए गए लैंप, पुराने झूमर और नक्काशीदार लकड़ी के फर्नीचर जैसे अलमारियाँ, चेस्ट, ड्रेसिंग टेबल और दराज आदि शामिल हैं। अन्य संरक्षित वस्तुओं में प्राचीन लैंपशेड, मोमबत्ती स्टैंड, दर्पण और ऐतिहासिक चित्र शामिल हैं। इन सभी कलाकृतियों को महल के सौ साल के इतिहास में बनाए रखा गया है। मुस्तफा महल में सबसे पहले एक भव्य द्वार बनाया गया था, जो 1899 में बनकर तैयार हुआ था। उसके बाद, अगले 4-5 वर्षों में महल का निर्माण कार्य पूरा हो गया था। ऐतिहासिक अभिलेखों में उल्लेख मिलता है कि महल के निर्माण में मक्का की मिट्टी का उपयोग किया गया था, और अंदर की ओर फांसी के तख्ते को एक इस्लामी मस्जिद से बदल दिया गया था। 28 अक्टूबर, 1918 को नवाब मोहम्मद इशाक खान के निधन के बाद, उनके सबसे बड़े बेटे, नवाब मोहम्मद इस्माइल खान ने पदभार संभाला। 1918 से 1958 तक राष्ट्रीय संघर्ष में नवाब एम. इस्माइल खान की भागीदारी के दौरान, मुस्तफा महल राजनीतिक गतिविधि का केंद्र बन गया। प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध दोनों के बाद यह महल मेरठ में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं के लिए केंद्रीय स्थल भी रहा था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस महल ने सरोजिनी नायडू, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना जैसी उल्लेखनीय हस्तियों की भी मेजबानी की है। 30 एकड़ के क्षेत्र को कवर करते हुए, मुस्तफा महल एक शताब्दी से अधिक समय से खड़ा है और आज भी विविध स्थापत्य शैली का एक प्रमुख उदाहरण बना हुआ है। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप मुस्तफा महल के इतिहास के पन्नों पर और अधिक विस्तार से नज़र डाल सकते हैं।
https://prarang.in/meerut/posts/4017/Mustafa-Mahal-of-Meerut-is-a-sample-of-outstanding-architecture
https://prarang.in/meerut/posts/4633/Reminders-of-the-luxurious-lifestyle-of-the-Nawabs-Mustafa-Mahal


संदर्भ
https://shorter.me/88b82
https://shorter.me/clWu3
https://shorter.me/MEtq6

चित्र संदर्भ
1. रात्रि में सुन्दर मुस्तफा महल के सुंदर दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. नवाब एम. इशाक खान [बाईं ओर दाढ़ी वाले सज्जन] को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. मुस्तफा महल को संदर्भित करता एक चित्रण (lookandlearn)
4. मुस्तफा महल की छत को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
5. मुस्तफा महल में रात्रिभोज को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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