मेरठ: क्रिकेट के बल्लों का विश्वप्रदायक
मेरठ एक प्राचीन शहर है जो महाभारत-रामायण काल से पहले से अस्तित्व में था। जाहिर सी बात है कि किसी भी जगह को शहर का दर्जा देना हो तो वहाँ पर उद्योग, कृषि के मुकाबले ज्यादा मात्रा में उपलब्ध होते हैं। मेरठ भी प्राचीन काल से विभिन्न उद्योगों में अग्रसर था। बुनाई, कैची, सर्राफा, मृद्भांड, नील की खेती, सूती एवं रेशमी कपड़े आदि इनमें से कुछ उद्योग हैं। हालांकि कैची तथा सर्राफा छोड़ बाकी सारे उद्योग करीब-करीब विलुप्तता की ओर बढ़ चुके हैं या बंद हो चुके हैं। एक उद्योग में लेकिन मेरठ दुनिया में प्रथम स्थान पर है और वो है खेल उद्योग, ख़ास कर हम सभी के खेल-धर्म का परम इश्वर : क्रिकेट!
इस गोल गट्टम लकड़ पट्टम दे दना दन खेल का लक्कड़ पट्टा इंग्लिश विलो और कश्मीर विलो नामक पेड़ के लकड़ी से बनता है। मेरठ क्रिकेट का बल्ला और खेल-कूद के सामान का बहुत ही प्रसिद्ध और अग्र उत्पादक और आपूर्तिकर्ता है।
विलो को हिंदी में नम्रा वृक्ष कहते हैं। अंग्रेजी नम्रा और कश्मीर नम्रा एक ही प्रकार के वृक्ष हैं सिर्फ मान्यता है कि कश्मीर नम्रा की लकड़ी थोड़ी कम टिकाऊ होती है लेकिन इस खेल के दिग्गजों का कहना है कि अगर ठीक से और वक़्त पर इसकी देखभाल की जाए तो वह भी काफी समय तक इस्तेमाल होती है वरना देखभाल न हो तो दोनों प्रकार के वृक्ष से बने बल्ले ख़राब होते देर नहीं लगती। इन पेड़ों की लकड़ी का इस्तेमाल करने का कारण है कि इनसे बनी लकड़ी हल्की होती है तथा लचीली होती है। क्रिकेट के बल्ले का आकार जो बदलते आया है उन सभी को इस लकड़ी में ढालना इसकी विशिष्टता की वजह से बड़ा ही आसान था। 10 से 12 साल का नम्रा वृक्ष बल्ले बनाने के लिए उत्तम माना जाता है तथा उसके एक मध्यम (कम से कम 10 फ़ीट लम्बे) आकार के वृक्ष से तक़रीबन 2 दर्जन बल्ले बनते हैं। बल्ला बनाने की तकनीक पुराने एवं नए तरीकों का मेल होती है। कश्मीर नम्रा वृक्ष की लकड़ी बहुतायता से इस्तेमाल की जाती है क्यूंकि इससे बने बल्ले कम कीमत में मिलते हैं और तक़रीबन उसी गुणवत्ता के होते हैं। इस वृक्ष की लकड़ी को पहले 3-4 महीनों के लिए धूप दी जाती है फिर उन्हें आगे के काम के लिए भेजा जाता है। लकड़ी को बल्ले के रूप में ढालना जिसमें क्रिकेट खेल की नियमावलीनुसार वजन और आकार जरुरी होता है तथा अंतिम प्रसंस्करण, जिसमें बहुतायता से हाथ का काम होता है जो सिर्फ पेशेवर ही करते हैं, होता है फिर उसे पैकेज किया जाता है। बल्ले का हैंडल और पकड़ बिठाने का काम तथा उसकी पीठ पर त्रिकोणीय उभरा हिस्सा यह बल्ले के सबसे महत्वपूर्ण काम हैं क्यूंकि इनके बिना बल्ला ठीक से चला नहीं पाएंगे। यह तीनों बल्ले को टिकाऊ बनाते हैं तथा गति प्रदान करते हैं।
सरीनस्पोर्ट्स (एसएस: SS) और सन्स्परेइल्स ग्रीनलैन्ड्स (एसजी: SG) यह खेल-कूद के समान के मेरठ में विश्वप्रसिद्ध उत्पादकर्ता हैं। मेरठ की यह दोनों कम्पनियां क्रिकेट बल्ले के अग्र विश्व-पूर्तिकार हैं।
1. एमएसएमई, मेरठ
2. वूड हेंडीक्राफ्ट: ए स्टडी ऑफ़ इट्स ओरिजिन एंड डेवलपमेंट इन सहारनपुर: ओमचंद हांडा, डॉ.मधु जैन
3. https://gurumavin.com/kashmir-cricket-bat-industry/
4. https://www.sportskeeda.com/cricket/top-5-cricket-bat-manufacturers-in-the-world
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.