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पुनः स्मरण, 1857 के विद्रोह से संबंधित मेरठ के कुछ स्मारकों और स्थानों का

मेरठ

 10-05-2024 10:11 AM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

हमारे मेरठ शहर को 'क्रांतिधरा' अर्थात क्रांति की भूमि भी कहा जाता है, जिस पर प्रत्येक मेरठ वासी को गर्व है। 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मेरठ शहर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अंग्रेजों द्वारा मराठों से इस क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के बाद 1806 में यहां मेरठ छावनी की स्थापना की गई, जो उत्तर-पश्चिमी भारत में ब्रिटिश सैन्य गढ़ के रूप में कार्य कर रही थी। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत 10 मई, 1857 को यहां मेरठ छावनी में हुई थी, जब तीसरी 'बंगाल लाइट' घुड़सवार सेना के 85 सदस्यों को चर्बी से लेस कारतूसों का उपयोग करने से इनकार करने के कारण जेल में डाल दिया गया था।
जिसके विरोध में साथी सैनिकों ने पास के सैन्य स्टेशन में तोड़फोड़ की और जो भी यूरोपीय लोग उनके रास्ते में आए, उन्हें उन्होंने मार डाला। इस विद्रोह ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया। विद्रोह के बाद, भारत का शासन ब्रिटिश ताज के हाथ में आ गया और इस तरह, भले ही विद्रोह औपनिवेशिक शासकों को पूरी तरह उखाड़ नहीं सका, इसने एक सदी पुरानी भविष्यवाणी को पूरा किया कि भारत में कंपनी का शासन केवल एक सदी तक रहेगा। इस विद्रोह का हमारे शहर की भौतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों पर व्यापक प्रभाव पड़ा। आइए 1857 के विद्रोह से संबंधित मेरठ के कुछ स्मारकों और स्थानों के विषय में जानते हैं। इसके साथ ही विद्रोह से मेरठ पर पड़ने वाले प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करते हैं। 1. काली पलटन मंदिर: हमारे शहर के प्राचीन शिव मंदिर, औघड़नाथ को काली पलटन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां ‘काली’ का अर्थ गहरे रंग की त्वचा से है जबकि ‘पलटन’ का अर्थ भारतीय सैनिकों के प्रतीक एक पलटन से है। 9 मई, 1857 को, काली पलटन मंदिर के प्रांगण में 85 भारतीय सैनिकों पर मुकदमा चलाया गया, जिन्होंने नए एनफील्ड कारतूसों का उपयोग करने से इनकार कर दिया था। अंग्रेजों ने उनके स्कंधपट्ट और हथियार छीन लिए, उनकी वर्दी फाड़ दी, उन्हें अपमानित किया और बेड़ियों में जकड़ दिया और बाद में उन्हें जेल भेज दिया। मंदिर के अंदर कई देवताओं के बीच सिपाहियों की याद में एक स्मारक भी है। इस प्रकार, यह मंदिर उन लोगों की तीर्थयात्रा और श्रद्धांजलि के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जो राष्ट्रवादी उद्देश्य के लिए समर्पित हैं। 2. सेंट जॉन्स चर्च: स्थानीय स्तर पर तैनात सैन्य छावनी की सेवा के लिए 1819 में स्थापित यह चर्च उत्तर भारत का सबसे पुराना चर्च है। 10 मई, 1857 को, यह चर्च सैनिकों के विद्रोह का गवाह बना। उस दिन यह चर्च भजनों के बजाय पीड़ितों की पीड़ा और उन लोगों के युद्ध के नारों से गूंज उठा जो बदला लेना चाहते थे। इसकी दीवारों पर आज भी विद्रोह में मारे गए लोगों की स्मृति में पट्टिकाएँ लगी हुई हैं; कोनों पर टूटी हुई तख्तियाँ लगी हुई हैं और कुछ संगमरमर की मूर्तियाँ बीते हुए गौरव की मूक गवाह के रूप में खड़ी हैं। 3. सेंट जॉन्स चर्च कब्रिस्तान: हमारे इस छावनी शहर में स्थित इस 191 साल पुराने कब्रिस्तान में 350 से अधिक कब्रें हैं, जिनमें 1857 के विद्रोह में मरने वाले 50 ब्रिटिश लोगों की कब्रें भी शामिल हैं। सेंट जॉन्स चर्च से सटा यह कब्रिस्तान लगभग 30 एकड़ में बना है।
4. विद्रोह संग्रहालय: टैक्सी स्टैंड के पास स्थित, मेरठ में ‘सरकारी स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय’, भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित है। संग्रहालय में प्रवेश निःशुल्क है। यह संग्रहालय सोमवार को बंद रहता है। 5. मॉल रोड: मेरठ छावनी की मॉल रोड के किनारों पर लाल बलुआ पत्थर लगे हुए हैं, जो 1857 के विद्रोह के स्थलों को दर्शाते हैं। यहां ब्रिटिश अधिकारियों के औपनिवेशिक काल के बंगले हैं, जिन्हें विद्रोह के दौरान स्वदेशी विरोधियों की भीड़ ने नष्ट कर दिया था। यहीं पर मेरठ की सबसे शानदार पुरानी इमारत, “बेल्वेडियर कॉम्प्लेक्स” भी है। यह सड़क ऊपर वर्णित, सेंट जॉन्स चर्च तक जाती है, जिसके दोनों ओर वर्त्तमान समय में घने पेड़ लगे हुए हैं। इसके ठीक बगल में यूरोपीय पैदल सेना परेड ग्राउंड है। 6. बेल्वेडियर कॉम्प्लेक्स (Belvedere Complex): मेरठ में छावनी की स्थापना से पहले ब्रिटिश उपस्थिति को सबसे शाही ब्रिटिश इमारतों में से एक बेल्वेडियर कॉम्प्लेक्स के रूप में देखा जा सकता है। बेल्वेडियर कॉम्प्लेक्स इमारत का निर्माण वर्ष 1802 में किया गया था, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति के निवास के समान दिखने के कारण स्थानीय रूप से कुछ लोगों द्वारा ‘व्हाइट हाउस (White House)’ कहा जाता है। इस इमारत में एक शताब्दी से रक्षा लेखा सेवाओं का कार्यालय स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि पहले इसका इस्तेमाल बॉलरूम डांस हॉल के रूप में किया जाता था। ब्रिटिश काल में, इसे अनौपचारिक रूप से वायसराय कार्यालय के रूप में जाना जाता था, क्योंकि यहां से सेना पर सीधा निरीक्षण होता था।
7. द हाउस ऑफ मिसिज़ चेम्बर्स (The House of Mrs. Chambers): यह शानदार और दुनिया भर में प्रसिद्ध स्मारक, 1857 के महान विद्रोह का एक अहम साक्षी है। 1806 में मेरठ छावनी की स्थापना के बाद, यह आवासीय बंगला विभिन्न ब्रिटिश अधिकारियों का घर था। 1857 के विद्रोह के दौरान, यह 11वीं देशी पैदल सेना के सहायक कैप्टन आर डब्ल्यू चेम्बर्स (Captain R.W Chambers) का घर था । 10 मई 1857 की पूर्व संध्या पर, मेरठ छावनी के मूल भाग में ब्रिटिश निवासियों के कई बंगलों पर सदर बाजार और शहर से आई भीड़ ने हमला कर दिया था। श्रीमती शार्लेट ब्रिटन चेम्बर्स (Mrs Charlotte Britten Chambers) उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन घर में अकेली थीं। हालांकि घर को सुरक्षा प्राप्त थी लेकिन विद्रोह की आग में सब कुछ जलकर भस्म हो गया और उन्हें एक कुएं में मार दिया गया। यह कुआँ आज भी इमारत के पीछे मौजूद है। आजादी के बाद यह बंगला भारतीय सेना के नियंत्रण में आ गया। ऐतिहासिक महत्व के कारण, इस अद्भुत संरचना को ASI द्वारा एक विरासत भवन के रूप में भी मान्यता दी गई है। अंग्रेज कई वर्ष पहले, 1947 में भारत छोड़ चुके हैं, लेकिन फिर भी इनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक छाप इतनी गहरी है कि निकट भविष्य में यह मिट नहीं सकेगी, और वास्तव में मिटनी भी नहीं चाहिए, क्यूंकि यह हमारे शहर के एक महत्वपूर्ण इतिहास का मार्मिक स्मरण है।
मॉल रोड के पास राजबन बाज़ार, औपनिवेशिक नाम रेजिमेंटल बाज़ार (Regimental Bazaar) का विकृत नाम है। मॉल रोड के किनारे लालकुर्ती इलाके का नाम ब्रिटिश “रेडकोट” (Red Court) अर्थात लाल वर्दी में ब्रिटिश सैनिकों के नाम पर रखा गया है। तोप खाना, वार्षिक राम लीला और दशहरा मेले का एक स्थल है, जहां शहर भर से लोग आते हैं । यह उस क्षेत्र में है जहां एक बार ब्रिटिश तोपखाने की बैटरियां तैनात थीं। पंजाब लाइन्स, सिख लाइन्स और डोगरा लाइन्स का नाम अभी भी लोगों के घर के पते को संदर्भित करता है, और दो केन्द्रीय विद्यालयों को अभी भी के.वी पंजाब लाइन्स (KV Punjab Lines) और के.वी सिख लाइन्स (KV Sikh Lines) के नाम से जाना जाता है, भले ही मेरठ छावनी के सिख, पंजाब और डोगरा रेजिमेंट ने अपने मुख्यालय लंबे समय से बाहर स्थानांतरित कर दिए हैं।

संदर्भ
https://rb.gy/h1dfa0
https://tinyurl.com/y76ay6dz
https://tinyurl.com/4xpyjzkj
https://tinyurl.com/ms5zuc2m
https://tinyurl.com/355sk637

चित्र संदर्भ
1. 1857 की क्रांति और मेरठ के काली पलटन मंदिर में एक क्रांति स्मारक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. काली पलटन मंदिर में एक क्रांति स्मारक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. मेरठ की सेंट जॉन्स चर्च को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
4. सेंट जॉन्स चर्च कब्रिस्तान को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
5. मेरठ शहर की मॉल रोड का दृश्य! यह सड़क मेरठ के कंटोनमेंट के एक छोर से दूसरे छोर तक जाती है। इस चित्र में बाईं ओर गांधी बाग़ की बाहरी दीवार दिखाई दे रही है। यह सड़क और यह बाग़, दोनों ही भारत की स्वतंत्रता के पहले से मौजूद है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. बेल्वेडियर कॉम्प्लेक्स की एक पुरानी तस्वीर को दर्शाता चित्रण (facebook)

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