प्रस्तुत चित्र में 1857 की क्रांति के दौरान नयी जेल का तोड़ा जाना दिखाया गया है। नयी जेल में उन 85 कैदियों को कैद किया गया था जिन्होंने चर्बी युक्त कारतूस चलाने से मना कर दिया था। यह नयी जेल विक्टोरिया पार्क में स्थित थी। 10 मई 1857 की विद्रोह होते ही तीसरी देशी अश्वारोही रेजिमेंट के सिपाहियों ने तत्काल घोड़ों पर सवार होकर नयी जेल में बंधक बनाये गए अपने 85 सिपाहियों को जेल तोड़ कर छुड़ा लिया और उनकी बेड़ियाँ काट कर दिल्ली की तरफ कूंच किया था। उस दौरान मेरठ को मिला कर उत्तर भारत भर में करीब 41 जेलों को तोड़ा गया था। स्वतंत्रता प्रेमियों ने उत्तर-पश्चिमी प्रान्त की 40 में से 27 जेलों को तोड़ दिया था।
तोड़े गए जेलों में- मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, अलीगढ, बिजनौर, मुरादाबाद, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, मथुरा, आगरा, इटावा, मैनपुरी, एटा, फतेहगढ़, कानपुर, फतेहपुर, इलाहबाद, बाँदा, हमीरपुर, आजमगढ़, गोरखपुर, जौनपुर, जालौन, झाँसी, ललितपुर, और दमोह आदि। बंगाल प्रान्त में भी कई जेलें तोड़ी गयी थी जिनमे गया, आरा, हजारीबाग, पुरुलिया आदि। पंजाब, दिल्ली, गुरुग्राम, लुधियाना आदि स्थानों पर भी जेल तोड़े गए थे तथा इन जेलों से कुल 23,000 कैदी भागे थे। इसमें ब्रितानी सरकार को कुल 220,350 रूपए का खर्चा मात्र उत्तर-पश्चिमी प्रान्त से आया था। जेल तोड़ने में मेरठ से कुल 1541 बंधक भागे थे जिनमे 364 पुनः ब्रितानी सरकार द्वारा पकड़ लिए गए थे तथा अन्य 1195 कभी पकडे नहीं गयें। उत्तर-पश्चिमी प्रान्त से कुल निकले बंधकों की संख्या 19,217 थी जिसमे 4,962 पुनः पकड़ लिए गए थे और अन्य 14,267 कभी नहीं पकडे गए। इस क्रांति ने ब्रितानी सरकार की कमर तोड़ कर रख दी थी इसमें उन्हें आर्थिक व युद्ध दोनों तरफ से भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था।
1.द इंडियन अपराइजिंग ऑफ़ 1857-8: प्रिजन्स, प्रिजनर्स एंड रेबेलियन, क्लार्क एंडरसन
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