आइए जानें यूरोप और इंग्लैंड में किसने की शुरुआत प्रिंटिंग प्रेस की व इसके क्या परिणाम रहे

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आइए जानें यूरोप और इंग्लैंड में किसने की शुरुआत प्रिंटिंग प्रेस की व इसके क्या परिणाम रहे

1450 में जर्मन सुनार जोहानिस/ जोहान्स गुटेनबर्ग (Johannes Gutenberg) द्वारा आविष्कार किए गए प्रिंटिंग प्रेस को मानव जाति के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण आविष्कारों में से एक माना जाता है। पहली बार, इस उपकरण के कारण पुस्तकों तक आम आदमी, महिलाओं और बच्चों की पहुंच संभव हुई। प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार से पहले किताबों को बड़ी मात्रा में उत्पादित करने के लिए उन्हें हाथ से लिखना पड़ता था। जिससे इस प्रक्रिया में अविश्वसनीय रूप से अत्यधिक समय लगता था और यह बेहद थकाऊ भी थी। 1450 ईसवी में यूरोप में प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार एक ऐसी घटना थी जिसके बहुत बड़े और लंबे समय तक रहने वाले परिणाम हुए। आइए यूरोप में प्रिंटिंग प्रेस के आगमन और जोहान्स जोहानिस गुटेनबर्ग के साथ चोए युन-उई (Choe Yun-ui) के संबंध के महत्व के बारे में जानें। इसके साथ ही 1476 में विलियम कैक्सटन (William Caxton) द्वारा इंग्लैंड (England) में प्रिंटिंग प्रेस की शुरूआत के बारे में भी चर्चा करें। जर्मन मुद्रक जोहान्स गुटेनबर्ग ने 1456 ईसवी में 42-पंक्ति वाला बाइबिल का एक संस्करण मुद्रित किया। धार्मिक कार्यों और पाठ्यपुस्तकों से शुरुआत करते हुए, प्रिंटिंग प्रेस द्वारा जल्द ही सुधार पुस्तिकाओं से लेकर रोमांटिक उपन्यासों तक सभी प्रकार के ग्रंथों का मुद्रण किया जाने लगा। शीघ्र ही अधिक संख्या में पुस्तकों का मुद्रण किया जाने लगा, जिससे उनकी लागत कम हो गई।
पुस्तकों के मुद्रण से लोगों की पढ़ने में रुचि बढ़ने लगी। विद्वानों द्वारा अपने कार्यों के साथ साथ प्राचीन ग्रंथों पर टिप्पणियां एवं एक दूसरे की आलोचना प्रकाशित की जाने लगी। जिससे पूरे यूरोप में नवीन विचारों का प्रसार होने लगा। हालांकि कैथोलिक चर्च जैसी कुछ रूढ़िवादी संस्थाओं द्वारा कुछ किताबों पर आपत्ति जताई गई और उन्हें सेंसर कर दिया या जला दिया गया, लेकिन तब तक किताबों और पढ़ने के प्रति लोगो का रवैया हमेशा के लिए बदल चुका था। यूरोप में प्रिंटिंग प्रेस के आगमन ने निम्नलिखित प्रभाव डाले:
- हस्तनिर्मित कार्यों की तुलना में मुद्रित पुस्तकें अधिक मात्रा में उत्पादित होने लगी।
- अधिक उपलब्धता और कम लागत के कारण आम आदमी की पुस्तकों तक पहुंच में वृद्धि हुई।
- अधिक संख्या में लेखकों की पुस्तकें प्रकाशित होने लगी।
- लेखकों की आजीविका में वृद्धि हुई, जिससे वे केवल लेखन पर ही निर्भर रह सकते थे।
- पुस्तकों में केवल लैटिन भाषा के विपरीत स्थानीय भाषा के उपयोग और मानकीकरण में वृद्धि हुई।
- साक्षरता दर में वृद्धि हुई।
- धर्म, इतिहास, विज्ञान, कविता, कला और दैनिक जीवन से संबंधित विचारों का तेजी से प्रसार हुआ।
- प्राचीन विहित ग्रंथों अधिक सटीकता के साथ प्रकाशित हुए।
- विभिन्न प्रकार के आंदोलनों को आयोजित करने के लिए लोगों को अब एक नया संपर्क साधन प्राप्त हो गया था।
- सार्वजनिक पुस्तकालयों का निर्माण हुआ।
- संबंधित प्राधिकारियों द्वारा पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाया गया। यद्यपि चल प्रकार मुद्रण के आविष्कार का श्रेय गुटेनबर्ग को दिया जाता है, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि 150 वर्ष पूर्व ही कोरिया के चोए युन-उई (Choe Yun-ui) ने इस प्रकार के उपकरण का आविष्कार कर लिया था। हालाँकि, कोरिया में मुद्रण कार्य का उतनी शीघ्रता से विस्तार नहीं हुआ, जितना 200 साल बाद गुटेनबर्ग के आविष्कार के बाद हुआ। इसका एक संभव कारण यह भी हो सकता है कि उस समय कोरिया युद्ध के अधीन था, जिसके कारण वहाँ नवाचार को प्रसारित करने में बाधा उत्पन्न हुई। इसके अलावा, कोरियाई लेखन, जो उस समय चीनी लेखन पर आधारित था, में बड़ी मात्रा में विभिन्न वर्णों का उपयोग किया गया, जिससे धातु के टुकड़े बनाना और उन्हें पृष्ठों में जोड़ने की प्रक्रिया अत्यंत धीमी थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गोरियो (Goryeo) शासकों द्वारा अधिकांश मुद्रण कार्य केवल कुलीन वर्ग के उपयोग के उद्देश्य से करवाया गया था, जिसके कारण आम जनता तक इनकी पहुँच संभव नहीं थी।
वहीं दूसरी तरफ मुद्रण तकनीक के पूर्व से पश्चिम तक फैलने की भी संभावना है। इसका एक कारण यह है कि मंगोल नेता ओगेदेई खान के पुत्र कुबलई के पास, जो एक समय पर बीजिंग में शासक था, कोरियाई और चीनी मुद्रण तकनीक तक पहुंच थी, और हो सकता है कि उसने यह ज्ञान मंगोल साम्राज्य के फारसी हिस्से के शासक हुलेगु के साथ साझा किया हो। इससे मुद्रण तकनीकें पूर्वी एशिया से हजारों मील पश्चिम की ओर स्थानांतरित हो सकती थीं। इसके अलावा, मंगोल न केवल उइघुर और फारसी क्षेत्र के माध्यम से, बल्कि जर्मनी सहित यूरोप में भी प्रौद्योगिकी ले गए होंगे। मंगोल साम्राज्य ने लगभग 1000 से 1500 ईसवी तक यूरोप पर बार-बार आक्रमण किया। उस अवधि के दौरान यूरोप में पर्याप्त संख्या में पश्चिमी एशियाई रंगरूटों और बंदियों का प्रवेश हुआ। जिससे यूरोपीय भाषाओं में तुर्की भाषाओं का मिश्रण शुरू हो गया।
क्या आप जानते हैं कि अंग्रेजी भाषा में पहली बार मुद्रण किसने किया? विलियम कैक्सटन (William Caxton) पहले अंग्रेजी मुद्रक थे, जिन्होंने अनुवादक और प्रकाशक के रूप में अंग्रेजी साहित्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। वे 1476 में इंग्लैंड में प्रिंटिंग प्रेस शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे। कैक्सटन का व्यापारिक जीवन बेहद शानदार था। वे फ़्लैंडर्स (Flanders) और हॉलैंड (Holland) में अंग्रेजी व्यापारिक समुदाय के एक समृद्ध और प्रभावशाली सदस्य थे।
उन्होंने कुछ समय के लिए "मर्चेंट एडवेंचरर्स के अंग्रेजी राष्ट्र" (English Nation of Merchant Adventurers) के गवर्नर के रूप में भी कार्य किया था। हालांकि सन 1470 में उन्होंने गवर्नर पद छोड़ दिया और बरगंडी की डचेस मार्गरेट (Margaret, duchess of Burgundy) के वित्तीय सलाहकार बन गए। उसी दौरान कैक्सटन का ध्यान साहित्य की ओर आकर्षित हुआ। मार्च 1469 में उन्होंने ‘राउल ले फेवरे’ की ‘रेक्यूइल डेस हिस्टोइरेस डी ट्रॉय’ (Raoul Le Fèvre’s Recueil des histoires de Troye) का अनुवाद करना शुरू कर दिया, हालांकि वे उसे 1471 तक पूरा नहीं कर पाए। 1470 से 1472 के बीच कोलोन (Cologne) में, उन्होंने छपाई सीखी। अपनी ही एक अनुवादित पुस्तक ‘द रिक्यूयेल ऑफ द हिस्ट्रीज़ ऑफ ट्रॉय’ (The Recuyell of the Historyes of Troye) के उपसंहार में, उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि उनके मन में मुद्रण करने का ख्याल कैसे आया? वे लिखते हैं कि पुस्तक लिखते लिखते जब उनकी कलम खराब हो गई, उसका हाथ थक गया, उसकी आंखें धुंधली हो गईं"; तो उन्होंने बड़ी व्यक्तिगत लागत पर इस बात का अभ्यास किया और सीखा कि इसे कैसे मुद्रित किया जाए। उन्होंने 1474 के आसपास ब्रुगे में एक प्रेस की स्थापना की और जहाँ 1475 में रिकुयेल (Recuyell) नामक अंग्रेजी भाषा की पहली पुस्तक प्रकाशित हुई। कैक्सटन ने अपनी इस प्रेस में विविध विषयों पर - जिनमें वीरतापूर्ण रोमांस, आचरण, नैतिकता, इतिहास और दर्शन से संबंधित पुस्तकें और एक विश्वकोश ‘द मायरर ऑफ द वर्ल्ड’ (1481) (The Myrrour of the Worlde), पहली सचित्र अंग्रेजी पुस्तक शामिल है - पर कार्य किया जिससे पता चलता है कि उन्होंने आम जनता की भी जरूरतें पूरी कीं। अपनी मृत्यु के समय तक, उन्होंने विभिन्न प्रकार की लगभग 100 पुस्तकें प्रकाशित की थीं।

संदर्भ

https://tinyurl.com/2s2szcyc
https://tinyurl.com/4y5w3nmf
https://tinyurl.com/fvdm5yfe
https://tinyurl.com/mwc9yzcf

चित्र संदर्भ
1. जोहान्स गुटेनबर्ग को संदर्भित करता एक चित्रण (rawpixel)
2. जर्मन मुद्रक जोहान्स गुटेनबर्ग ने 1456 ईसवी में बाइबिल का एक संस्करण मुद्रित किया। को संदर्भित करता एक चित्रण (worldhistory)
3. चीन में मुद्रण को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. एक प्रिंटिंग प्रेस को दर्शाता एक चित्रण (World History Encyclopedia)
5. विलियम कैक्सटन को दर्शाता एक चित्रण (lookandlearn)
6. ‘द रिक्यूयेल ऑफ द हिस्ट्रीज़ ऑफ ट्रॉय’ नामक पुस्तक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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